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हिंसा पर सियासत : कांग्रेस ने शाह को ठहराया जिम्मेदार, BJP बोली- विपक्ष ने उकसाया

गणतंत्र दिवस अवसर पर किसान संगठनों के ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा को लेकर आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी का दौर जारी है. कांग्रेस ने हिंसा के लिए गृह मंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस ने अमित शाह के इस्तीफे तक की मांग की है. वहीं भाजपा का आरोप है कि जिस तरह से विपक्ष के नेताओं ने इस आंदोलन में भाग लिया, उसी का नतीजा 26 जनवरी को हुई ये हिंसा थी. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

ट्रैक्टर परेड में हिंसा
ट्रैक्टर परेड में हिंसा

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Published : Jan 27, 2021, 9:46 PM IST

नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद अब सरकार आक्रामक मुद्रा में नजर आ रही है. एक तरफ विपक्षी पार्टियां अभी भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहीं. साथ ही भारतीय जनता पार्टी और सरकार पर यह आरोप लगा रही हैं कि यह प्रायोजित हिंसा थी.

गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को पूरी छूट दी
बैठक में सूत्रों की मानें तो गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को पूरी छूट दे दी है कि वह किसान नेताओं के खिलाफ अपने हिसाब से कार्रवाई करें और हर हाल में इस तरह की हिंसात्मक कार्रवाई दोबारा दिल्ली में दोहराई नहीं जाए. इसके लिए सख्त कदम उठाने के लिए भी दिल्ली पुलिस को कड़े शब्दों में मंत्रालय ने कहा है.

शाह के इस्तीफे की मांग
एक तरफ कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे तक की मांग की है. वहीं दूसरी तरफ 63 दिन से चल रहे किसान आंदोलन के अलग-अलग यूनियन और नेताओं के बीच भी फूट पड़ती नजर आ रही है.

26 जनवरी को हुए उग्र ट्रैक्टर रैली और हिंसात्मक कार्रवाई के बाद बुधवार को दो किसान संगठनों ने इस आंदोलन से अपना हाथ खींच लिया है, जिसमें से एक ऑल इंडिया किसान संघर्ष समिति भी शामिल है.

शाहनवाज हुसैन का बयान
भारतीय जनता पार्टी के नेता शाहनवाज हुसैन ने ईटीवी भारत से बातचीत में विपक्ष पर आरोप लगाया कि विपक्ष मुद्दा विहीन है और कांग्रेस खुद तो कोई आंदोलन नहीं कर सकती, इसीलिए किसानों को बरगला कर बहका रही है. शाहनवाज हुसैन का यह भी आरोप है कि जिस तरह से विपक्ष के नेताओं ने इस आंदोलन में भाग लिया उसी का नतीजा 26 जनवरी को हुई ये हिंसा थी.

किसान नेताओं को चौतरफा घेरने की रणनीति
वहीं सरकार ने अब आक्रामक रवैया अपनाते हुए किसान नेताओं को चौतरफा घेरने की रणनीति बनाई है. इसके तहत दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के 10 से ज्यादा कोतवाली थाने में अलग-अलग अपराधिक धारा में मुकदमा दर्ज किया है. इसके साथ ही सूत्रों की मानें, तो राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव सहित कई और किसान नेताओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है.

यही नहीं सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने जहां लाल किले की संपत्ति के लूट-पाट करने और क्षति पहुंचाने से संबंधित भी एफआईआर कराए हैं. वहीं गृह मंत्रालय के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ धारा 307, धारा 147 दंगा को लेकर सजा और 353 जिसमें सरकारी नौकरशाह को ड्यूटी से रोकना या उन पर हमला करने जैसे धाराएं लगाई हैं, जबकि दिल्ली पुलिस का यह भी आरोप है कि उपद्रवियों ने पुलिस से हथियार भी लूटे हैं और पुलिस को शक है कि सरकारी पिस्टल का दुरुपयोग भी किया जा सकता है. यही नहीं दिल्ली पुलिस ने आपराधिक साजिश के साथ लाल किले में डकैती का भी मामला दर्ज किया है.

सरकार अब फ्रंट फुट पर आ रही नजर
इतना तो तय है कि किसानों के मामले में अभी तक बैकफुट पर चल रही सरकार अब फ्रंट फुट पर आ गई है और जिस तरह से गणतंत्र दिवस पर किसानों के आंदोलन ने हिंसात्मक रुख अख्तियार किया, उसके बाद से सरकार को यह भलीभांति मालूम है कि जनता की सहानुभूति अब सरकार के साथ है और इसका सरकार पूरा पूरा फायदा उठाने की रणनीति तैयार कर रही है, जिसमें सत्ताधारी पार्टी सीधे-सीधे कांग्रेस समेत विपक्षियों पर सवाल उठाते हुए उन्हें कटघरे में खड़ा कर रही है और इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है.

सुदेश वर्मा का बयान
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने सीधे-सीधे किसान नेताओं से सवाल करते हुए कहा कि यह जो किसान नेता है, वह अपनी जवाबदेही से कैसे बच सकते हैं. उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने पहले यह कहा था कि सब कुछ शांतिपूर्ण होगा और यह दावा किया था कि किसान आएंगे और सिर्फ ट्रैक्टर रैली दिखा कर चले जाएंगे, लेकिन जिस तरह की अराजकता गणतंत्र दिवस पर हुई उससे जवाबदेही से यह नेता कैसे बच सकते हैं.

भाजपा के प्रवक्ता का यह भी आरोप है कि यह कोई किसान नेता नहीं हैं. इनमें से एक व्यक्ति जो है वह सोनिया गांधी की एडवाइजरी काउंसिल में था और उसने अपनी एक पार्टी भी बनाई थी, उसके बाद भी उसने एक और पार्टी भी ज्वाइन की थी और जहां से उसे निकाल भी दिया गया था.

भाजपा प्रवक्ता ने एक और किसान नेता का नाम न लेते हुए आरोप लगाया कि एक व्यक्ति हैं, जिन्होंने चुनाव लड़ा था और उनकी जमानत जब्त हो गई थी और आज वह अपने आपको किसान नेता बता रहे हैं और अराजकता कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि समाज में जब ऐसी अराजकता फैलाई जाती है, तो उसका इंपैक्ट नेगेटिव होता है. सरकार ने बार-बार इन नेताओं से अपील की थी कि वह आकर बात कर लें कोई समाधान निकालें, क्योंकि यह सरकार किसानों के लिए है और इस वजह से सरकार ने इतनी हिंसा के बाद भी किसानों के साथ नरम रुख अख्तियार किया. मगर इसका बेजा इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इन लोगों ने जो दिल्ली पुलिस के साथ किया है. उसे समाज कभी क्षमा नहीं करेगा, जिस तरह से भारतीय झंडे का अपमान हुआ है, उसे समाज कभी क्षमा नहीं करेगा और अब इन्हें जनता के सामने आकर माफी मांगनी चाहिए. इन नेताओं को शर्म आनी चाहिए.

भाजपा की विपक्षी पार्टियों के खिलाफ अभियान चलाने की योजना
सूत्रों की मानें, तो 26 जनवरी को किसानों द्वारा की गई हिंसा की रिपोर्ट और उससे संबंधित वीडियो क्लिपिंग को तैयार कर भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में विपक्षी पार्टियों के खिलाफ और किसान नेताओं के खिलाफ एक अभियान चलाने की भी योजना बना रही है, ताकि किसानों द्वारा किए गए तोड़फोड़, पुलिस बल पर की गई बर्बरता, राष्ट्रीय ध्वज के अपमान और राष्ट्रीय धरोहर में की गई तोड़फोड़ और संपत्ति के नुकसान की स्लाइड फिल्म तैयार कर अन्य राज्य के किसानों और जनता को दिखाया जाएगा, ताकि किसान बिल पर सरकार अपने समर्थन में सहमति जुटा सके.

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