चंडीगढ़:हाईकोर्ट में सरकार ने जो एफिडेविट दिया था उससे शिक्षा विभाग की पोल खुल गयी है. एफिडेविट से पता चलता है कि हरियाणा के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कितनी कमी है. प्रशासनिक लापरवाही का यह आलम है कि शिक्षा विभाग को आवंटित राशि बिना खर्च हुए सरकार को वापस कर दी गयी है. 10,675.99 करोड़ रूपये वापस कर दिये गये. इसको लेकर राजनीतिक दल सरकार की धेराबंद कर रही है.
स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं पर सियासत:विरोधी दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हरियाणा में शिक्षा की स्थिति कैसी है इसको लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को आईना दिखा दिया है. स्कूलों में न तो कमरें हैं और न ही शौचालय. सरकार का ध्यान नहीं है वह तो सिर्फ भर्ती में घोटाले पर घोटाले किए जा रही है. आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा कहते हैं कि शिक्षा मंत्री कहते थे कि हमारे स्कूल दिल्ली से भी अच्छे हैं. हमने कहा कि दिखाओ तो आज तक नहीं दिखाए. अब पता चला कि अब तक उन्होंने स्कूल क्यों नही दिखाया. हरियाणा में स्कूलों की कैसी स्थिति है वह किसी से छुपी नहीं है. विरोधी दलों के निशाने पर आए सीएम मनोहरलाल खट्टर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मई 2023 में हाईकोर्ट में एफिडेविट देने के बाद सरकार ने तीन किश्तों में फंड जारी किया. इससे सारी व्यवस्था ठीक कर ली गयी है. 131 स्कूल में ड्रिंकिंग वाटर नहीं होने की बात सामने आयी थी, लेकिन अब वहां पीने के पानी की व्यवस्था कर दी गयी है. लड़के और लड़कियों के टॉयलेट को भी ठीक कर दिया गया है. अब कोई मामला बचा नहीं है. सरकार इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट में नया एफिडेविट देगी. शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने भी कहा कि मैनें इस संबंध में अधिकारियों की बैठक ली है. करीब- करीब जहां पर जो कमियां थी वह हमने दूर कर दिए हैं. जहां तक कमरे बनाने की बात है तो वह इतनी जल्दी तैयार नहीं हो सकती. उसमें फाइनेंस डिपार्टमेंट के अप्रूवल की भी जरूरत होती है, इसमें 3 से 5 साल का वक्त लग सकता हैं. कमरों वाले मामले को छोड़कर लगभग हमने बाकी सारी चीजें पूरी कर ली है.
सरकार के एफिडेविट में क्या था ?: शिक्षा विभाग की ओर से 17 मई 2023 को हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे में कई चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं. इससे पता चलता है कि स्कूलों में बच्चे किस हालात में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा विभाग के एफिडेविट के मुताबिक प्रदेश के 1047 स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है. वहीं 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है. जबकि 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है. साथ ही 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है. एफिडेविट में सरकार ने खुद माना है कि छात्रों के लिए 8240 क्लासरूम की आवश्यकता है.
कैसे हाईकोर्ट में आया मामला?: कैथल जिले के बालू सरकारी स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. स्कूल के बच्चों को अपनी पढ़ाई करने में बहुत दिक्कत होती थी. बच्चों ने पढ़ाई की सही ढंग से व्यवस्था करने के लिए हर जगह गुहार लगायी. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. हालत ये थी कि स्कूल के भवन को खुद सरकार खतरनाक घोषित कर रखी थी उसके बावजूद बच्चे उसी भवन में पढ़ने को मजबूर थे. समस्या का समाधान नहीं होने पर स्कूल के बच्चों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बच्चों ने अपने वकील प्रदीप कुमार के माध्यम से 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसी याचिका के आधार पर कोर्ट ने पूरे प्रदेश की स्कूलों की स्थिति जाननी चाही जिसके बाद सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट दिया था.