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Saryu Canal Project : वर्ष 1972 में इंदिरा के कार्यकाल में शुरू हुई, बलरामपुर में मोदी ने किया लोकार्पण

चार दशकों से लंबित सरयू नहर परियोजना (saryu canal project) का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पण (saryu canal project launch in balrampur) होने के साथ ही सियासत भी तेज हो गई है. इस पर सियासत तेज होना भी लाजिमी है, क्योंकि जिस परियोजना की रूपरेखा वर्ष 1972 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के शासनकाल में तैयार हुई थी, उसका उद्घाटन 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, वह भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले. कहा जा रहा है कि इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के 30 लाख किसानों को सीधा फायदा होगा. आइए जानते हैं इस परियोजना की खासियत और सियासी बवाल.

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Published : Dec 11, 2021, 9:23 PM IST

saryu canal project
saryu canal project

हैदराबाद :संभवत: सरयू नहर परियोजना (saryu canal project) देश की सबसे बड़ी परियोजना है. कुल 9802 करोड़ रुपए की लागत से पूरी हुई इस परियोजना से 30 लाख किसानों को सीधा फायदा होगा. वर्ष 1972 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के शासनकाल में परियोजना को योजना आयोग ने सहमति दी थी. वर्ष 1978 में औपचारिक रूप से इसपर काम शुरू हुआ, लेकिन वर्ष 2017 तक (39 वर्ष में) सिर्फ 52 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ. योगी सरकार ने साढ़े चार साल में बाकी बचे 48 प्रतिशत काम को पूरा कर दिया. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी खुद इस परियोजना पर ध्‍यान दे रहे थे. सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना छह हजार 623 किलोमीटर लंबी है. सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (saryu canal project) यूपी के नौ जिलों की पांच नदियों को जोड़ती है. इसमें घाघरा से सरयू और सरयू से राप्ती को जोड़ा गया है. इसके साथ ही राप्ती को बाणगंगा तथा बाणगंगा से रोहिन नदी जोड़ी गई है.

नदियों को आपस में जोड़ने से बाढ़ जैसी विभीषिका से भी लोगों को बचाया जा सकेगा. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 45 जिले बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील हैं. इसमें से 24 जिले अति संवेदनशील, 16 जिले संवेदनशील और पांच सामान्य हैं. तराई का पूरा इलाका, खासकर पूर्वांचल में हर साल बाढ़ तबाही मचाती है. हर साल बारिश ( 15 जून से 15 अक्टूबर) के मौसम में नेपाल की पहाड़ियों से निकलने वाली गंडक, रोहिन, राप्ती, शारदा, सरयू घाघरा आदि नदियां सामान्य बारिश होने पर भी खतरे के निशान को पार करती हैं. जिसके चलते जन-धन की भारी हानि होती है. लाखों लोग अपना घर-बार छोड़कर परिवार और मवेशियों के साथ बंधो या अन्य सुरक्षित जगहों पर ठिकाना बनाने को मजबूर होते हैं.

इंदिरा के कार्यकाल में शुरू हुई थी परियोजना.

30 लाख से ज्यादा किसानों को मिलेगा फायदा

इस परियोजना (saryu canal project) के शुरू होने के बाद लोगों को बाढ़ की विभीषिका से राहत मिलने के साथ सिंचाई के लिए नहर में पानी छोड़ा जा सकेगा. सरयू नहर में घाघरा, राप्ती, सरयू, बाण गंगा और रोहिणी जैसी पांच नदियों को आपस में जोड़कर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. इसके शुरू होने से बहराइच, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर, महराजगंज, श्रावस्ती, गोंडा और बलरामपुर के 30 लाख से अधिक किसानों के सीधा फायदा होने का दावा सरकार की ओर से किया जा रहा है.

बलरामपुर में मोदी ने अखिलेश पर कसा तंज

आज बलरामपुर में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने अखिलेश यादव पर तंज (saryu canal project launch in balrampur) कसते हुए कहा, 'सुबह से इंतजार कर रहा था कि कोई आएगा और कहेगा कि ये हमारी परियोजना है, हमने इसका फीता काटा था. कुछ लोगों की आदत हो गई है ऐसा कहने की. हो सकता है बचपन में इस परियोजना का फीता भी उन्होंने ही काटा हो. इन लोगों की प्राथमिकता सिर्फ फीता कांटना है, जबकि हम लोगों की प्राथमिकता काम को वक्त पर पूरा करना है. उन्होंने कहा, 'सरयू नहर का काम जो 40 साल से अटका था, हमने 5 साल से पहले पूरा करके दिखाया.'

अखिलेश ने किया अपना दावा

अखिलेश ने ठोंका अपना दावा

वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया है कि सरयू नहर परियोजना का काम समाजवादी पार्टी की सरकार में तीन चौथाई पूरा हो गया था. लेकिन इस परियोजना के बाकी बचे कार्य को पूरा कराने में भाजपा सरकार ने पांच साल का समय लगा दिया. अखिलेश यादव ने ट्वीट कर रहा, 'सपा के समय तीन-चौथाई बन चुकी सरयू राष्ट्रीय परियोजना के शेष बचे काम को पूर्ण करने में उप्र भाजपा सरकार ने पांच साल लगा दिए. 22 में फिर सपा का नया युग आएगा और विकास की नहरों से प्रदेश लहलहाएगा.'

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आखिर क्यों मचा है सियासी बवाल

अब इस परियोजना को लेकर सियासी बवाल का मचा है जो लाजिमी भी है. क्योंकि पिछले पांच दशक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जोड़ लें तो 14 प्रधानंमत्री और उत्तर प्रदेश में 27 बार सत्ता में बदलाव हुआ. जिसमें 6 बार राष्ट्रपति शासन रहा. अब अगले साल फरवरी-मार्च महीने मे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में श्रेय लेने की राजनीति तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में परियोजना को आगे बढ़ाने का दावा करतें हैं तो भाजपा चार साल के अंदर इस परियोजना को पूरा करने और इस पर दोबारा काम शुरू करने का श्रेय ले रही है.

बेशक इस परियोजना का पानी सिंचाई के लिए खेतों में पहुंचेगा, लेकिन इससे 2022 में होने जा रहे यूपी विधानसभा चुनाव की फसल भी लहलहाएगी इसमें भी कोई संशय नहीं है.

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