दिल्ली

delhi

By

Published : Mar 6, 2023, 7:07 PM IST

ETV Bharat / bharat

BJP Selfie Campaign: छत्तीसगढ़ में भाजपा के सेल्फी अभियान का सियासी समीकरण समझिए !

भारतीय जनता पार्टी ने देश में केंद्रीय योजनाओं का लाभ ले रही लाभार्थियों के साथ एक करोड़ सेल्फी का अभियान को सोमवार 27 फरवरी से शुरू किया. इस अभियान के जरिए भाजपा महिला मोर्चा की कार्यकर्ता लाभार्थियों के साथ सेल्फी खींचकर नरेंद्र मोदी एप में फोटो अपलोड करेंगी. इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव हैं और 2024 में लोकसभा चुनाव भी हैं. लिहाजा इस सेल्फी अभियान को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा ने महिला वोटरों को साधने के लिए यह अभियान छेड़ा है. chhattisgarh assembly election 2023

BJP Selfie campaign for women voters in cg
बीजेपी के सेल्फी अभियान की शुरुआत

बीजेपी को सेल्फी अभियान की जरूरत क्यों पड़ी

रायपुर:इस अभियान को लेकर बीजेपी महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष शालिनी राजपूत का कहना है कि "महिला मोर्चा द्वारा 27 फरवरी से लाभार्थी सेल्फी अभियान की शुरुआत की गई है. इसके माध्यम से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जो महिलाओं को लाभ मिल रहा है उनसे संपर्क स्थापित करेंगे और नमो एप्स से उन्हें जोड़ा जाएगा, हम कमल सखी के तहत उन लाभार्थियों से मुलाकात करेंगे भूत को मजबूत करने का यह एक अच्छा अभियान है. इस अभियान के जरिए लाभार्थी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ेंगे."



सेल्फी अभियान पर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा: भाजपा के इस अभियान को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत का कहना है " भाजपा के सेल्फी अभियान से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता है, भाजपा के अन्य अभियान की तरह भी यह सेल्फी अभियान फ्लॉप हो जाएगा. भारतीय जनता पार्टी जब सेल्फी अभियान के तहत जनता के बीच जाएंगे तो जनता उनसे 4 सवाल करेगी. जनता यह सवाल पूछेगी कि आप मेरी सेल्फी ले रहे हैं तो क्या मेरे खाते में 15 लाख रुपए आ गए हैं, 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महंगाई कम करने का वादा किया था क्या महंगाई नियंत्रित हो गई,2022 में किसानों की आमदनी दुगनी करने की बात कही गई थी लेकिन क्या वह दोगुनी हो गई. क्या 18 करोड़ युवाओं को रोजगार मिल गया."

कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत का कहना है कि "इन प्रश्नों का जवाब भारतीय जनता पार्टी के पास नहीं है. हर कार्यक्रम की तरह यह सेल्फी अभियान भी भाजपा का पूरी तरह से फ्लॉप हो जाएगा. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार के कामो को जनता अच्छे से जानती है.और गड़बो नवा छत्तीसगढ़ का नाम देश में अलग पहचान बना रहा है."

छत्तीसगढ़ में महिला वोटर्स की अहमियत



जानकार ने ये कहा:इस अभियान को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि "हमेशा से ही चुनाव में महिलाए डिसाइडिंग फैक्टर रही हैं. खासकर छत्तीसगढ़ में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है. भारतीय जनता पार्टी अलग-अलग तरीकों से अपने मतदाताओं को साधने का काम करती है. भाजपा ने एक करोड़ लाभार्थियों के साथ जो सेल्फी अभियान शुरू किया है. यह वोटरों को आकर्षित करने का एक तरीका हो सकता है. छत्तीसगढ़ में महिला वोटरों का अनुपात बराबर ही रहा है."

वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि "2018 विधानसभा चुनाव में 1 करोड़ 85 लाख मतदाता थे. उसमें भी आधा अनुपात महिला वोटरों का था. इसी बार 2023 विधानसभा चुनाव में लगभग 2 करोड़ 7 लाख वोटर हो सकते है. वर्तमान में भी महिला और पुरुष मतदाताओं का अनुपात बराबर है. लेकिन आदिवासी बहुल क्षेत्रों में महिलाओ का अनुपात बढ़ जाता है. क्योंकि वहां महिलाओं की संख्या ज्यादा है. हमेशा से ही चुनाव में महिलाओं के मतदान निर्णायककारी रहे है. इसलिए भारतीय जनता पार्टी की यह रणनीति है. वे लाभार्थी महिलाओं के साथ सेल्फी लेकर उसे प्रमोट करके अपनी और आकर्षित करने का राजनीतिक दृष्टिकोण है."


छत्तीसगढ़ में क्या है महिला मतदाताओं की संख्या:साल 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में 1 करोड़ 81 लाख से अधिक मतदाता थे. जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 90 लाख 32 हजार 505 थी. वर्तमान में 1 जनवरी 2023 के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कुल 1 करोड़ 94 लाख 54 हजार 9 मतदाता है. इनमें 97 लाख 26 हजार 415 महिला मतदाता हैं.


छत्तीसगढ़ में क्या है महिला अपराध की स्थिति:छत्तीसगढ़ में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध की बात की जाए तो, साल 2017-2018 में दुष्कर्म के मामले पर छत्तीसगढ़ दूसरे और पहले स्थान पर था. वहीं साल 2019 छत्तीसगढ़ छठवें स्थान पर और साल 2020 में छठवें स्थान पर रहा. एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 -2018 में दुष्कर्म के मामले का अपराध दर 14.6 प्रतिशत और 14.7 प्रतिशत था. वहीं 2019 और 2020 में यह कम होकर 7.2 प्रतिशत और 8.3 प्रतिशत है.

यह भी पढ़ें: Chhattisgarh Budget: 6 मार्च को पेश होगा छत्तीसगढ़ का बजट, जानिए लोगों की इससे क्या है उम्मीदें

एनसीआरबी के आंकड़ों की बात की जाए तो छत्तीसगढ दुष्कर्म के मामले लगातार कम होते गए. भाजपा सरकार के मुकाबले कांग्रेस की सरकार में दुष्कर्म के मामले कम हुए है. साल 2016 में प्रदेश में 1626 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए, 2017 में 1908 दुष्कर्म के मामले दर्ज. 2018 में प्रदेश में 2091 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए. 2019 में 1036 दुष्कर्म के मामले दर्ज. 2020 में 1210 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए. 2021 में प्रदेश में 1093 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए हैं. साल 2016 से 2021 का आकलन किया जाए तो लगातार दुष्कर्म के मामले कम हुए है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details