जयपुर :देशभर में जारी किसान आंदोलन की सियासत के बीच राजस्थान में भी किसान के नाम पर राजनीति साधने की कवायद जोरों पर है. अपनी ही पार्टी से बागी होकर वापसी कर रहे कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व उपमुख्यमंत्री और टोंक से विधायक सचिन पायलट ने पूर्वी राजस्थान में अपनी जमीन को मजबूत करने के लिये किसान सम्मेलन और महापंचायतों का दौर शुरू कर दिया है.
मतलब साफ है कि आलाकमान की आवाज में आवाज मिलाकर पायलट किसानों की बात कर रहे हैं और जमीन पर पकड़ बनाये रखने के लिए राजस्थान के दौरे भी शुरू कर दिये हैं, ताकि एक तीर से दो निशाना साधा जा सके.
आलाकमान किसान महासम्मेलन में आने वाली भीड़ के जरिये पायलट की मौजूदा पकड़ को नजर अंदाज नहीं कर पाएगा तो सक्रियता से मिली पब्लिसिटी के आगे विरोधियों के पैतरों को भी विफल बनाने की नीति काम कर सकती है.
वहीं, दूसरी ओर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की तरफ से जयपुर में भी ट्रैक्टर रैली के जरिये हुंकार का दावा किया गया, लेकिन ये हुंकार भी सांकेतिक रही. जिसमें एक दर्जन के करीब ट्रैक्टर चालकों ने शिरकत करते हुए केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का सड़कों पर विरोध किया.
पायलट ने पकड़ी 'किसान एक्सप्रेस'
शुक्रवार को दौसा में शुरू हुई किसान महापंचायत में सचिन पायलट ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने चंद उद्योगपति मित्रों के लिए पूरे देश के किसानों को संकट में डाल रही है. किसानों को यह दिलासा दिया जा रहा है कि हम मंडी बंद नहीं कर रहे हैं, लेकिन ये जाहिर है कि जब मंडी व्यापारियों की खरीद-फरोख्त बंद हो जाएगी तो एक-दो साल में मंडी खुद ब खुद बंद हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की किसानों के प्रति यह अन्याय पूर्ण सोच हम किसी भी हद तक बर्दाश्त नहीं करेंगे और गांधीवादी तरीके से हम काले कानूनों को वापस करवाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
मोदी सरकार पर बरस रहे पायलट
सचिन पायलट ने कहा कि मोदी सरकार ने अपनी निरंकुशता के चलते ये तीनों कानून पारित करने से पहले किसी भी राज्य की सरकार से पूछा तक नहीं. जबरन सदन में इन्हें पेश कर देश पर थोप दिया गया. पायलट ने कहा कि हमारे किसान दिल्ली की सड़कों पर पिछले दो महीने से भी अधिक समय से कड़कड़ाती ठंड में बैठे हैं और कई किसान शहीद हो गए. इसके बावजूद केंद्र सरकार इन विरोधी कानूनों को वापस लेना नहीं चाहती.