पटना:विधानसभा के शीतकालीन सत्र का समापन (Winter session of assembly concludes) पर राष्ट्रगीत को लेकर जमकर बवाल (Uproar In Assembly Over Vande Matram Song) हुआ. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने राष्ट्रगीत गाने का विरोध किया और इसको लेकर सवाल भी खड़े किये. बता दें कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम (National Song Vande Mataram) जिसे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने हथियार बनाया था और वो इसी गीत को गाकर सूली पर चढ़ गए थे.
बता दें कि प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी (Bankim Chandra Chatterjee) ने 1875 में वंदे मातरम गीत की रचना बंगाली भाषा में की थी. बाद में रविंद्र नाथ टैगोर ने उसे 1896 के कांग्रेस अधिवेशन में गाया था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने जब इस गीत की रचना की थी, तब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और उस दौरान हर समारोह में 'गॉड सेव द क्वीन' गीत गाया जाता था, भारतीयों को यह नागवार गुजरता था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने आहत होकर इस गीत की रचना की और उसका शीर्षक 'वंदे मातरम' दिया.
बिहार विधानसभा सत्र की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ होती है और इस बार राष्ट्रगीत के साथ समापन किया गया, लेकिन एआईएमआईएम विधायक अख्तरुल इमान (AIMIM MLA Akhtarul Iman) को यह पहल नागवार गुजरी. पार्टी ने राष्ट्रगीत के गाए जाने पर नाराजगी जाहिर की.
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''इस्लाम में हम सिर्फ एक ईश्वर को मानते हैं और इस गीत में देवी-देवताओं की आराधना की गई है. इस वजह से हम इस गीत को गाने से परहेज करते हैं. राष्ट्रगान के प्रति हमारा सम्मान है और संविधान में इसका जिक्र भी है. राष्ट्रगीत पूरी तरह ठीक है संविधान निर्माण के दौरान भी इस बात पर जब बात हुई थी तो मतभेद थे और लोगों की अलग-अलग राय थी.''-अख्तरुल इमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम