नई दिल्ली : तमिलनाडु के बिजली मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी पर राजनीति गरमा गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया था. गिरफ्तारी के बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी. अस्पताल में ले जाने पर उन्हें बायपास सर्जरी की सलाह दी गई है. इस बीच जिला अदालत ने सेंथिल को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. ईडी ने उनसे और अधिक पूछताछ के लिए अदालत से कस्टडी की मांग की है. उनकी गिरफ्तारी के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन खुद उनसे मिलने अस्पताल गए थे. बालाजी के समर्थन में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है, जबकि एआईएडीएमके ने बालाजी को मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग की है.
जिस समय ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया था, उस समय का एक वीडियो सामने आया है. इस दौरान बालाजी रोते हुए नजर आ रहे हैं. इस पर एआईएडीएमके ने कहा कि वह ड्रामा कर रहे हैं. एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने कहा कि एक दिन पहले तक बालाजी बिल्कुल स्वस्थ थे, लेकिन जिस दिन ईडी ने छापेमारी की, उनकी तबियत किस तरह से बिगड़ गई. पार्टी महासचिव ई पलानीस्वामी ने भी कहा कि वह नाटक कर रहे हैं.
राज्य भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि जिस घोटाले को लेकर सेंथिल की गिरफ्तारी की गई है, उस घोटाले को लेकर खुद स्टालिन भी सवाल उठा चुके हैं. फिर आज अचानक ही उनके समर्थन में आने की क्या वजह है.
इसके विपरीत मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने उनकी गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताया है. उन्होंने अपने आवास पर सभी वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक बुलाई है. स्टालिन ने कहा कि वह इसे कानूनी रूप से लड़ेंगे. राज्य के लॉ मिनिस्टर एस रघुपति ने कहा कि बालाजी को प्रताड़ित किया जा रहा है.
डीएमके को कांग्रेस और अन्य पार्टियों का भी साथ मिला है. कांग्रेस ने इसे पॉलिटिकल उत्पीड़न बताया है. पार्टी ने कहा कि वह ऐसी कार्रवाई से डरने वाले नहीं हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार का जो भी विरोध करता है, वह उसके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई करती है. इसी तरह से टीएमसी ने भी केंद्र सरकार की निंदा की है. प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सरकार को परेशान करने के लिए उठाया गया कदम कहा है. टीएमसी सांसद सौगाता ऱॉय ने कहा कि लगातार 24 घंटे तक पूछताछ करना मानवाधिकार के खिलाफ है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.
क्या है यह मामला - आपको बता दें कि ईडी ने सेंथिल बालाजी के खिलाफ मंगलवार को छापेमारी की थी. उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर शिकायत की गई थी. उन पर कैश फॉर जॉब घोटाले का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे. छापेमारी चेन्नई, इरोड और करूर में की गई थी. 2011-16 के दौरान सेंथिल एआईएडीएमके में थे. उस समय वह परिवहन मंत्रालय का कामकाज देख रहे थे. उसी दौरान यह घोटाला हुआ था. बाद में सेंथिल डीएमके में शामिल हो गए. ई़डी के समन के खिलाफ बालाजी सुप्रीम कोर्ट गए थे, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी.
कौन हैं सेंथिल बालाजी - 47 साल के बालाजी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. वह चार बार विधायक रह चुके हैं. पहली बार वह 2006 में विधायक बने थे. उस समय वह एआईएडीएमके में थे. 2011-15 के दौरान वह एआईएडीएमके के कार्यकाल में परिवहन मंत्री थे. 2018 में वह डीएमके में आए. जिस समय वह एआईएडीएमके में थे, उस समय सेंथिल सुर्खियों में बने रहते थे. वह जयललिता के सम्मान में पूजा करते थे, दीये जलाते थे. उनके समर्थन में सेंथिल ने अपना सिर भी मुड़वा लिया था. 2013 में अम्मा वाटर को साकार करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. इसमें हर घर को जल पहुंचाने का संकल्प लिया गया था. जयललिता के निधन के बाद वह वीके शशिकला के गुट में आ गए थे. उसके बाद से वह एआईएडीएमके से लगातार दूर होते चले गए. वह तमिलनाडु के करूर से आते हैं. अपने जिले में उन्होंने कई बार जॉब मेले का आयोजन किया था और ब्लड डोनेशन कैंप भी चलाते रहे हैं. इस वजह से वह अपने इलाके में काफी पॉपुलर हैं. उन्होंने अपने जिले में ई-सेवा केंद्र खोला है, जिसके जरिए लोग सरकारी सुविधाओं का फायदा मुफ्त उठा सकते हैं. वह ओबीसी गाउंडर समुदाय से आते हैं.
27 मई को आयकर विभाग ने भी सेंथिल बालाजी के आवास पर छापेमारी की थी. उस दौरान एजेंसी के अधिकारियों को उनके समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ा था.
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