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पंजाब की राजनीति में बदलाव की बयार, क्या चन्नी के चयन से बदलेंगे समीकरण?

कई घंटे के सियासी उफान के बाद कांग्रेस ने घोषणा की है कि चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री होंगे. विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश में है. कांग्रेस का यह कदम इस मायने में महत्वपूर्ण है कि भाजपा ने पहले कहा था कि पंजाब में उसकी सरकार बनने पर दलित को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. लेकिन अब देखना होगा कि कांग्रेस अपने मंसूबे में कहां तक सफल साबित हो सकती है. इस पर पढ़ें यह रिपोर्ट..

चरणजीत सिंह चन्नी
चरणजीत सिंह चन्नी

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Published : Sep 19, 2021, 10:00 PM IST

हैदराबाद : कई घंटों तक चले उठापटक और मंथन के कई दौर के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब की राजनीति के हिसाब से एक बड़ा फैसला करते हुए एक सिख दलित (चरणजीत सिंह चन्नी) को पंजाब का अगला मुख्यमंत्री बनाने का एलान कर दिया. साफ जाहिर है कि पंजाब के दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए यह फैसला किया गया है. कहीं ने कहीं कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बड़े लक्ष्य की ओर भी देख रही है. बता दें कि दोनों राज्यों में अगले साल की शुरुआत में ही चुनाव होने हैं.

कांग्रेस का यह कदम इस मायने में महत्वपूर्ण है कि भाजपा ने पहले कहा था कि पंजाब में उसकी सरकार बनने पर दलित को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. बसपा के साथ गठबंधन करने वाली शिरोमणि अकाली दल ने दलित उप मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया है. आम आदमी पार्टी भी दलित समुदाय को लुभाने के लिए लगातार प्रयासरत है.

पंजाब में 32 प्रतिशत मतदाता दलित
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश में है. बता दें कि पंजाब में न केवल 32 प्रतिशत के लगभग मतदाता दलित समुदाय से आते हैं, बल्कि राज्य विधानसभा की कुल 117 सीटों में से 34 अनुसूचित समुदाय के लिए ही आरक्षित है. इसलिए सभी राजनीतिक दल दलित मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं. इसलिए पंजाब में सरकार बनाने में दलित मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. एक तरफ अकाली दल है, जिसने दलितों का समर्थन हासिल करने के लिए बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर लिया है.

वहीं दूसरी तरफ पंजाब में पहली बार अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ रही भाजपा दलित और हिंदुओं के 70 फीसदी के लगभग मतदाताओं के बल पर पंजाब में कामयाबी हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है. वर्तमान विधानसभा में सबसे ज्यादा दलित विधायकों वाली पार्टी कांग्रेस ने भी अब दलित मुख्यमंत्री बनाकर इन्हे फिर से लुभाना शुरू कर दिया है.

दलित समुदाय से आतें हैं चन्नी
चन्नी दलित सिख (रामदसिया सिख) समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे. वह रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह इस क्षेत्र से साल 2007 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार जीत दर्ज की. वह शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन के शासनकाल के दौरान साल 2015-16 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे.

सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी के नाम की जोरदार पैरवी की और फिर राहुल गांधी ने दिल्ली में सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेताओं के साथ लंबी मंत्रणा के बाद चन्नी के नाम को मंजूरी दी.

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भाजपा का प्रतिक्रिया
हालांकि भाजपा ने कांग्रेस के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सिर्फ कुछ महीनों के लिए एक दलित को सीएम बनाने से प्रदेश के दलित समुदाय को कोई लाभ नहीं होगा. इसके साथ ही भाजपा यह दावा भी कर रही है कि पंजाब का दलित काम की वजह से मोदी का साथ देगा.

पंजाब से भाजपा के दलित लोकसभा सांसद एवं केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि सिर्फ कुछ महीनों के लिए एक दलित को मुख्यमंत्री बनाने से दलितों को कोई फायदा नहीं होगा. सोम प्रकाश ने दावा किया कि मोदी सरकार ने दलितों के विकास के लिए ऐतिहासिक काम किए हैं और पंजाब का दलित यह समझता है कि भाजपा ही उनकी सबसे बड़ी हितैषी पार्टी है.

दलित मतदाताओं पर कांग्रेस और अकाली-बसपा गठबंधन के दावे को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा मोदी सरकार द्वारा कराए गए विकास के कामों का झंडा लेकर विधानसभा चुनाव में जाएगी और उन्हें उम्मीद है कि दलित सहित पंजाब के सभी मतदाता भाजपा का साथ देंगे.

गौतरलब है कि अमरिंदर सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि विधायकों की बार-बार बैठक बुलाए जाने से उन्होंने अपमानित महसूस किया, जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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