Prashant Kishor का बड़ा बयान सारण: बिहार में जन सुराज पदयात्रा के दौरान चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोरने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जेपी का आंदोलन देश में सत्ता परिवर्तन के लिए था. सिर्फ उसका केंद्र बिंदू भर बिहार था. जेपी आंदोलन बिहार में व्यस्था सुधार के लिए नहीं था. उन्होंने उस दौरान ये भी कहा कि जनसुराज कोई आंदोलन नहीं है. क्योंकि खुद वो किसी आंदोलन के पक्षधर नहीं हैं. जेपी ने जिसके लिए आंदोलन किया उसमें उन्हें सफलता मिली. प्रशांत किशोर के इस बयान को लालू और नीतीश की सियासी जमीन को खोखला करने वाला बयान बताया जा रहा है. क्योंकि दोनों की सियासत में इंट्री जेपी आंदोलन से ही हुई थी.
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''जेपी का आंदोलन बिहार को सुधारने के लिए था ही नहीं. उन्होंने उस समय देश की सत्ता को हटाने के लिए आंदोलन किया. उसका केंद्रबिंदु बिहार था. लेकिन वो बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के लिए कोई लड़ाई नहीं थी. उस समय उन्होंने जिस चीज के लिए आंदोलन किया उसमें उन्हें सफलता मिली.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज पदयात्रा
'आंदोलन और क्रांति तेज हथियार जैसा': एक उदाहरण देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि ''आंदोलन और क्रांति तेज हथियार के जैसा है. हथियार तेज है तो आप उससे बड़े से बड़ा पेड़ काट सकते हैं. लेकिन पौधे को पेड़ बनाने के लिए कोई हथियार काम आने वाला नहीं है. कुछ लोगों को लगता है कि जेपी के आंदोलन से बिहार नहीं सुधरा तो प्रयास करना बेकार है. ये बिल्कुल गलत सोच है.''
'जेपी आंदोलन बिहार के लिए नहीं था': चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बड़े ही स्ट्रेटजिकल ढंग से लालू और नीतीश की सियासत को शून्य कर दिया. इसके लिए उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जेपी के आंदोलन में सुधार का मूल बिहार नहीं बल्कि देश का सत्ता परिवर्तन था. आज लोगों को बताया जाता है कि उसी आंदोलन से निकले हुए लोग बिहार को चला रहे हैं. इस दावे में कोई दम नहीं है. क्योंकि, जेपी का आंदोलन हुआ 1975-76 में और उस विधा से निकले हुए लालू मुख्यमंत्री बने 1990 में. जेपी ये कहके थोड़ी गए थे कि यही सीएम बनेंगे. इन दोनों में कोई संबंध नहीं है.
''जनसुराज कोई आंदोलन नहीं है, कोई क्रांति नहीं है. जनसुराज समाज की मदद से एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने का प्रयास है. जिसमें, दल तो बने, लेकिन वो दल कोई व्यक्ति, कोई परिवार या कोई जाति, कोई एक विषय को लेकर न बनाया जाए. वो दल बिहार के लोग मिलकर बनाएं.'' - प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज पदयात्रा