नई दिल्ली : कोरोना महामारी की दूसरी लहर (second wave of corona pandemic) के दौरान दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत (Oxygen shortage in Delhi) को लेकर ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी (Oxygen Audit Committee) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपनी रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली ने इस दौरान अपनी असल जरूरत से चार गुना ज्यादा तक ऑक्सीजन की डिमांड (Oxygen demand up to four times higher) की, जिसके चलते अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ा. यहां तक कि कई जगहों पर खपत के आंकड़ों को लेकर भी कमेटी ने चूक की बात कही है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि कमेटी ने एक्यूरेट ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट के लिए एक फार्मूला तैयार किया था और उसे करीब 260 अस्पतालों में भेजा था. इस फार्मूले के तहत करीब 183 अस्पताल (जिसमें तमाम बड़े अस्पताल शामिल है) का डाटा एनालाइज किया गया. इस डाटा के मुताबिक, लिक्विफाइड मेडिकल ऑक्सीजन के कंसम्पशन के मामले में इन 183 अस्पतालों का आंकड़ा 1140 मीट्रिक टन दिया गया था पर असल में अस्पतालों से मिली जानकारी में यह महज 209 मीट्रिक टन है.
कमेटी की रिपोर्ट में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के नॉन आईसीयू बेड में ऑक्सीजन खपत के फार्मूले को भी बातों का आधार बनाया गया है. इसमें बताया गया है कि कई अस्पतालों ने कम बेड होने के बावजूद अपनी खपत जरूरत से कहीं अधिक दिखाई है. दोनों ही सरकारों के फार्मूले के बावजूद यह खपत जरूरत से कहीं अधिक है.
गौरतलब है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन को लेकर मची खींचतान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऑडिट कमिटी से दिल्ली में ऑक्सीजन की असल खपत और जरूरत की जांच के हिसाब से उसके बेहतर इस्तेमाल के विकल्प सुझाने के लिए कहा था. इस कमेटी का एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया नेतृत्व कर रहे थे, जबकि इसमें दिल्ली सरकार के बड़े अधिकारियों से लेकर कई अस्पतालों के डॉक्टर और एक्सपोर्ट भी शामिल थे.