राजनीतिक दल अब चुनाव आयोग के वेब पोर्टल पर दाखिल कर सकेंगे वित्तीय लेखा-जोखा
भारतीय चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को वित्तीय खाते ऑनलाइन दाखिल करने के लिए एक नया वेब पोर्टल लॉन्च किया है. इस वेब पोर्टल को पोल पैनल की 3सी रणनीति के तहत लॉन्च किया गया है.
भारतीय चुनाव आयोग
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Published : Jul 3, 2023, 3:17 PM IST
नई दिल्ली: भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने सोमवार को राजनीतिक दलों को वित्तीय खाते ऑनलाइन दाखिल करने में सक्षम बनाने के लिए एक नया वेब पोर्टल लॉन्च किया. सूत्रों ने बताया कि यह कदम पोल पैनल की 3सी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें राजनीतिक फंडिंग और व्यय में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करने के लिए सफाई, कार्रवाई और अनुपालन शामिल है, जिस पर वह मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के तहत एक साल से काम कर रहा था.
पोल पैनल ने अपने प्रेस नोट में कहा कि विनियामक वित्तीय रिपोर्टिंग के अनुपालन के निराशाजनक स्तर और कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) के मामलों में आयोग के सामने आए गंभीर वित्तीय अनौचित्य के कुछ उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए, मई, 2022 में भारत के चुनाव आयोग ने आरयूपीपी में अनुपालन पालन को लागू करने के लिए एक अभियान चलाया.
एक सूत्र ने कहा कि जो राजनीतिक दल ऑनलाइन मोड के माध्यम से वित्तीय रिपोर्ट दाखिल करने का इरादा नहीं रखते हैं, उन्हें लिखित रूप में ऐसा नहीं करने का कारण बताना होगा और पूल पैनल इसे वेबसाइट पर अपडेट करेगा. चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि बदले में, आयोग वित्तीय विवरण ऑनलाइन दाखिल न करने के लिए पार्टी द्वारा भेजे गए औचित्य पत्र के साथ ऐसी सभी रिपोर्ट ऑनलाइन प्रकाशित करेगा.
ईसीआई ने कहा कि आयोग ने कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा स्वयं टैक्स धोखाधड़ी और टैक्स चोरी करने और अन्य व्यक्तियों के लिए ऐसी अवैध गतिविधियों के लिए उपकरण बनने के लिए सक्षम वैधानिक प्रावधानों के दुरुपयोग के कुछ हालिया उदाहरणों पर चिंता व्यक्त की है. आयोग ने कहा कि यह कदम दोहरे उद्देश्यों के साथ उठाया गया है- भौतिक रिपोर्ट दाखिल करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना और मानकीकृत प्रारूप में समय पर दाखिल करना सुनिश्चित करना.
यह पोर्टल राजनीतिक दलों द्वारा योगदान रिपोर्ट, लेखापरीक्षित वार्षिक खाते और चुनाव व्यय विवरण ऑनलाइन दाखिल करने की सुविधा प्रदान करेगा. पोल पैनल ने प्रेस नोट में कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और पिछले कई वर्षों में समय-समय पर आयोग द्वारा जारी पारदर्शिता दिशानिर्देशों के अनुसार, ये वित्तीय विवरण राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग/राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को प्रस्तुत किए जाने आवश्यक हैं.