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2024 की आहट ..... विकास पर हावी होता जाति और संप्रदायवाद - t raja controversy

जैसे-जैसे 2024 नजदीक आ रहा है, राजनीतिक पार्टियां विकास के बजाए संप्रदाय और जाति की ओर ज्यादा फोकस करती हुई दिख रहीं हैं. सिर्फ भाजपा ही नहीं, अब तो कांग्रेस, आप, जेडीयू, एआईएमआईएम जैसी पार्टियां भी इसी ढर्रे पर मुद्दों को उठा रहीं हैं. टी राजा का मुद्दा हो या फिर विष्णुपद मंदिर में मुस्लिम मंत्री के प्रवेश का विषय हो, मुद्दे हर पक्ष द्वारा उठाए जा रहे हैं. हर पक्ष को विकास के बजाए इसी पिच पर रास आ रहा है. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की एक रिपोर्ट.

bihar muslim minister in gaya temple
विष्णुपद मंदिर में बिहार के मुस्लिम मंत्री

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Published : Aug 23, 2022, 9:32 PM IST

नई दिल्ली : क्या विकास को छोड़ सभी राजनीतिक पार्टियां एक बार फिर अलग-अलग सांप्रदायिक वोट बैंक से जुड़ती नजर आ रहीं हैं. यदि हाल की घटनाओं और बयानबाजियों को देखा जाए तो एक के बाद एक नेताओं के सांप्रदायिक बयान बाजी और घटनाएं कहीं ना कहीं विकास, महंगाई, बेरोजगारी जैसी बुनियादी मुद्दों पर हावी होती जा रही हैं. ना सिर्फ सत्तापक्ष बल्कि विपक्ष भी अब इन्ही मुद्दों पर ज्यादा राजनीति करने में जुट गया है.

वीर सावरकर पर कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस के बीच उठे विवाद का मामला हो या फिर बिहार के गया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अल्पसंख्यक मंत्री के विष्णुपद मंदिर में एंट्री का मामला हो, सभी पार्टियों द्वारा इन मुद्दों को जोरशोर से उछाला जा रहा है. खास तौर पर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इसमें कहीं भी पीछे नहीं रहना चाहती.

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विष्णुपद मंदिर में मंत्रिमंडल के सदस्य मोहम्मद इसराइल अंसारी को लेकर मंदिर के गर्भ गृह में पहुंच गए, इस मंदिर के बाहर बकायदा गैर हिंदुओं का आना वर्जित है, का बोर्ड बरसों से लगा रहा है. इससे पहले भी बिहार सरकार में कई अल्पसंख्यक मंत्री रहे मगर कोई भी मंत्री इस मंदिर के गर्भ गृह में नहीं पहुंचा था. मगर नीतीश कुमार ने अपने साथ साथी मंत्री की भी एट्री क्या करवाई. इस मुद्दे पर राजनीतिक सियासत गर्म हो गई. बीजेपी अब इस पर जोर शोर से उक्त मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही है. बीजेपी का कहना है कि मंत्री के इस्तीफे से नीचे इसी बात पर वह तैयार नहीं होंगे, क्योंकि इससे एक वर्ग विशेष की भावनाएं आहत हुई हैं.

केंद्र में मंत्री अश्विनी चौबे का कहना है कि मंदिर और मस्जिद आस्था का विषय है और नीतीश कुमार यह जानते हुए कि उस मंदिर में गैर हिंदुओं का जाना वर्जित है. हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए अपने साथ अल्पसंख्यक मंत्री को ले गए थे. उन्होंने कहा कि इसमें गलती उस मंत्री की नहीं बल्कि मुख्यमंत्री की है.

इस सवाल पर कि नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री इसराइल अहमद का कहना है कि विष्णुपद मंदिर के अंदर दर्शन करने के बाद वह अपने आप को भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का कहना है कि यह उनके लिए भाग्य का विषय तो है ही, लेकिन यदि मुस्लिम धर्म में भी कहीं पर कोई नियम बनाया गया हो और वहां पर कोई गैर मुस्लिम जाकर उन नियमों को तोड़े तो हमारे मुस्लिम भाइयों की भी है भावनाएं आहत होती हैं या नहीं, फिर यदि विष्णुपद मंदिर में यह नियम बनाया गया है तो वह पुरातन काल से चला आ रहा है, ऐसे में नीतीश कुमार क्या संदेश बिहार की जनता को देना चाहते थे, क्या मंदिर के गर्भ गृह में भी वह अब तुष्टीकरण की राजनीति करेंगे. यह बहुत ही अच्छी बात है और बिहार की जनता इसे देख रही है.

वहीं कर्नाटक में हिंदू सेना और टीपू सेना के बीच वीर सावरकर के फ्लेक्स को लेकर भी विवाद चल रहा है और इसमें राजनीतिक पार्टियां भी जमकर राजनीति कर रही हैं. वीर सावरकर के फ्लेक्स को हटाने को लेकर दो युवाओं पर चाकू से हमला किया गया. इस घटना पर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के नेताओं के बीच कानून-व्यवस्था को लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है. शिवमोग्गा से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा ने मंगलवार को कहा कि अगर हिंदू समुदाय का उत्थान होता है, तो मुस्लिम समुदाय के गुंडों के जीवित रहने का कोई सवाल ही नहीं है. जबकि विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि बीजेपी को झूठ बोलने और हर चीज के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराने की आदत है.

इसी बीच अब इस विवाद में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी कूद पड़े हैं और बीजेपी सरकार और नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा रहे हैं. वही इस विवाद के बीच बीजेपी तेलंगाना के विधायके टी राजा का बयान तूल पकड़ता जा रहा है. इस विवादित बयान का वीडियो वायरल होने के बाद बीजेपी ने कारवाई करते हुए विधायक टी राजा को निलंबित कर उनसे सितंबर तक जवाब भी मांगा है.

वहीं इस मुद्दे पर संसदीय बोर्ड के सदस्य के लक्ष्मण ने कहा कि ऐसे बयानबाजी से पार्टी अपने आप को अलग करती है और तुरंत कारवाई करते हुए राजा को निलंबित भी किया गया है, लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि बीजेपी ने तो कारवाई कर दी. मगर लगातार हिंदुओं और हिंदू धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी और बयानबाजी भी की गई है, लेकिन उन राजनीतिक पार्टियों में क्या हमारी पार्टी की तरह हिम्मत है कि वो अपने नेताओं को निलंबित करें. कुल मिलाकर राज्यों के चुनाव और 2024 के चुनाव से पहले भी एकबार फिर राजनीति का मुख्य बिंदु विकास से हटकर धर्म, जाति और संप्रदाय पर टिकता जा रहा है.

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