हैदराबाद :लालू प्रसाद यादव के उत्थान और पतन की कहानियों में 'बिहार का नेल्सन मंडेला' और 'चारा चोर' दोनों उपाधियां बहुत रोचक हैं, लेकिन जेपी आंदोलन द्वारा देश के राजनीतिक क्षितिज पर उभरे इस सितारे ने कथित घोटाले करके अचानक अपनी चमक खो दी.
बता दें, लोकतांत्रिक व्यवस्था में पीछे रहने वालों को आगे करने के लिए चपरासी के क्वार्टर से बाहर आए लालू यादव को चारा घोटाले में सजा दी गई. वर्तमान समय में वह अब सक्रिय राजनीति से अलग हो गए हैं. ऐसा कहा जाता है कि आप लालू यादव का समर्थन और विरोध दोनों कर सकते हैं, लेकिन नजरअंदाज बिल्कुल नहीं कर सकते.
छात्र राजनीति और शुरुआती करियर
लालू यादव ने 1970 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ (PUSU) के महासचिव के रूप में छात्र राजनीति में प्रवेश किया. 1973 में वे पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष बने. बाद में 1974 में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ जेपी के नेतृत्व वाले छात्र आंदोलन में शामिल हुए. यह उस समय था जब लालू कई वरिष्ठ नेताओं के करीब आए और 1977 के लोकसभा चुनाव में पहली बार छपरा से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में संसद में प्रवेश किया. 29 साल की उम्र में वह उस समय भारतीय संसद के सबसे कम उम्र के सदस्यों में से थे, लेकिन 1980 के लोकसभा चुनाव में हार गए.
निर्णायक सफलताएं
1980 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद लालू राज्य की राजनीति में सक्रिय हो गए और उसी वर्ष विधानसभा के सदस्य के रूप में चुने गए. उन्होंने 1985 में फिर से चुनाव जीता. पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु के बाद कई पसंदीदा विपक्षी नेताओं को दरकिनार करते हुए वे 1989 में विधानसभा में विपक्षी दल के नेता बने, लेकिन उसी वर्ष उन्होंने फिर से लोकसभा में अपनी किस्मत आजमाई जिसमें वे सफल रहे. 1989 के भागलपुर दंगों के बाद लालू प्रसाद यादव जाति के एकमात्र नेता बन गए, जिन्हें कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है. उन्हें मुसलमानों का भी व्यापक समर्थन था. फिर उन्होंने वीपी सिंह के साथ मिलकर मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करना शुरू कर दिया.
विशेष नेता
लालू की एक विशेषता है कि वह हर एक काम अनोखी स्टाइल में करते हैं. इसी स्टाइल के चलते संसद में उनका भाषण भी चर्चा में रहता है. चाहे वो हेमा मालिनी के गाल की तरह बिहार की सड़कें बनाने का वादा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत. लालू हमेशाा से ही खबरों में बने रहते हैं. इस अवधि के दौरान इंटरनेट पर लालू के जीवन का जो दौर शुरू हुआ, वह आज तक नहीं रुका.
मुख्यमंत्री बनकर आडवाणी की रथयात्रा को रोका
1990 में लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने. 23 सितंबर 1990 को उन्होंने राम रथ यात्रा के दौरान समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया और खुद को धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में पेश किया. उस दौरान राजनीति में पिछड़े समाज को साधने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. उसी समय मंडल आयोग की सिफारिशें भी लागू की गईं और राज्य में अगड़े-पिछड़े की राजनीति अपने चरम पर पहुंच गई. तब से लालू प्रसाद की पहचान एक उच्च जाति के रूप में की जाती है. पिछड़ा वर्ग 'लालू का जिन्न ’बन गया, इसी वजह से 1995 में उन्होंने भारी बहुमत से चुनाव जीता और बिहार में फिर से सीएम बने. इस बीच जुलाई 1997 में शरद यादव के साथ मतभेदों के कारण उन्होंने जनता दल से अलग राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया.
लालू की जेल यात्रा
1. 27 जनवरी 1996: चारा घोटाले के रूप में सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की लूट सामने आई. इसके लिए चाईबासा ट्रेजरी से 37.6 करोड़ रुपये गलत तरीके से निकाले गए.
2.11 मार्च 1996: पटना उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश दिया.
3. 19 मार्च 1996:सर्वोच्च न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि करते हुए उच्च न्यायालय से पीठ की निगरानी करने को कहा.
4.30 जुलाई 1997: लालू प्रसाद ने सीबीआई कोर्ट के सामने किया आत्मसमर्पण.
5.19 अगस्त 1998: लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के खिलाफ अवैध संपत्ति का मामला दर्ज किया गया.
6.4 अप्रैल 2000:लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के खिलाफ चार्जशीट दायर कर सह-अभियुक्त बनाया गया.
7.5अप्रैल 2000:लालू प्रसाद और राबड़ी देवी ने आत्मसमर्पण किया, राबड़ी देवी को जमानत मिल गई.
8. 9 जून 2000:अदालत में लालू प्रसाद के खिलाफ आरोप तय हुए.
9.अक्टूबर 2001:झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को नए राज्य में स्थानांतरित कर दिया. इसके बाद लालू ने झारखंड में आत्मसमर्पण किया.
10.18 दिसंबर 2006:अवैध संपत्ति के मामले में लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को क्लीन चिट दे दी.
11.17 मई 2012: लालू पर सीबीआई की विशेष अदालत में कुछ नए आरोप लगाए गए. इनमें दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से निकासी शामिल है.
12. 30 सितंबर 2013: राजद प्रमुख लालू प्रसाद चारा घोटाले में दोषी करार.
लालू यादव के खिलाफ प्रमुख मामले: