Political controversy in Kerala : 'जेडीएस-भाजपा के गठजोड़' पर देवेगौड़ा के बयान से केरल में राजनीतिक विवाद, सीएम विजयन ने खारिज किया दावा
केरल में उस समय राजनीतिक विवाद पैदा हो गया जब एचडी देवेगौड़ा ने दावा किया कि केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कर्नाटक में भाजपा के साथ उनकी पार्टी के गठबंधन को मंजूरी दे दी है. Political controversy, H D Deve Gowda, Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan, BJP in Karnataka, kerala Political controversy.
तिरुवनंतपुरम:जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा के एक दिन पहले दिए गए उस बयान पर केरल में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अपने हितों की रक्षा के लिए कर्नाटक में भाजपा के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन को हरी झंडी दे दी है.
देवगौड़ा तीसरे मोर्चे के वह नेता हैं जो एक किसान से देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. जनता परिवार के सशक्त नेता एच. डी. देवगौड़ा ने राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन सरकार का सफल उदाहरण प्रस्तुत किया. वह एक समय नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक भी रहे हैं.
देवगौड़ा ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि वह कर्नाटक में 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ लड़ेंगे. जो लोग देवेगौड़ा को करीब से जानते हैं वे उनके राजनीतिक लचीलेपन को जानते हैं. लेकिन इस बार क्या यह देवेगौड़ा की राजनीतिक चाल है या इस बार की राजनीतिक गलती?
जनता दल के महज एक क्षेत्रीय पार्टी बन जाने के बाद देवेगौड़ा के दिमाग में एकमात्र बात अपने गृह राज्य कर्नाटक में अस्तित्व बचाने की है. एनडीए में शामिल होने और बीजेपी के साथ 2024 का चुनाव लड़ने के देवेगौड़ा के फैसले को उनके ही खेमे से विरोध का सामना करना पड़ा.
गुरुवार को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सीएम इब्राहिम (CM Ibrahim) को जेडीएस कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने और अपने बेटे एचडी कुमारस्वामी को तदर्थ अध्यक्ष नियुक्त करने के फैसले की घोषणा की. लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके बयानों ने कर्नाटक के बाहर खासकर केरल में हलचल पैदा कर दी, जहां जेडीएस सदस्य मंत्रालय में हैं.
देवगौड़ा ने सबसे पहले कहा कि केरल में जेडीएस की राज्य इकाई उनके साथ है और वहां हमारे मंत्री जानते हैं कि कर्नाटक में किन परिस्थितियों में नया राजनीतिक गठबंधन बना है. बाद में जब देवेगौड़ा ने बताया कि बीजेपी में शामिल होने का फैसला केरल के वामपंथी मुख्यमंत्री की पूर्ण सहमति से लिया गया, तो इससे केरल में राजनीतिक हंगामा शुरू हो गया.
काफी समय से कांग्रेस नेताओं ने पिनाराई विजयन पर भाजपा नेतृत्व के साथ संबंध रखने का आरोप लगाना शुरू कर दिया था, जो कि एनडीए में शामिल जेडीएस को कैबिनेट में बने रहने की अनुमति देने की ओर इशारा कर रहे थे. इसकी पुष्टि के लिए देवेगौड़ा का बयान भी आया.
असामान्य रूप से पिनाराई विजयन को तुरंत प्रतिक्रिया देनी पड़ी. एक फेसबुक पोस्ट में, पिनाराई ने स्पष्ट किया कि देवेगौड़ा को सही करना बेहतर है और उन्होंने उनके साथ किसी भी तरह की चर्चा नहीं की. पिनाराई ने बताया कि वह अपनी राजनीतिक उथल-पुथल के लिए औचित्य खोजने के लिए झूठ बोल रहे थे. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि न तो सीपीएम और न ही वह अन्य दलों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं. जेडीएस की केरल इकाई के अध्यक्ष मैथ्यू टी थॉमस और कैबिनेट में जेडीएस के प्रतिनिधि कृष्णनकुट्टी ने भी स्पष्ट किया कि वे भाजपा गठबंधन के खिलाफ हैं और देवगौड़ा के साथ नहीं हैं.
यहां तक कि जब देवेगौड़ा के नेतृत्व में जेडीएस ने एनडीए में शामिल होने का फैसला लिया, तो केरल इकाई ने इस पर असहमति जताते हुए कहा था कि वे केरल में एक अलग पार्टी के रूप में खड़े होंगे और वाम मोर्चे पर बने रहेंगे. प्रदेश नेतृत्व ने 7 अक्टूबर को एक बैठक में इसका औपचारिक फैसला किया था. इतना सब होने के बावजूद देवेगौड़ा ने ऐसा बयान देने की हिम्मत क्यों की?
उनका उद्देश्य कर्नाटक और अन्य राज्यों में असंतुष्ट राज्य इकाइयों को एकजुट करके समाजवादी छतरी के नीचे एक और जनता दल के गठन को रोकना था जब उनकी जेडीएस पार्टी एनडीए में शामिल हो गई. उनका उद्देश्य राज्य इकाइयों को राजनीतिक रूप से विभिन्न राजनीतिक मोर्चों में विभाजित करना हो सकता है.
यह स्पष्ट था कि केरल में जेडीएस तत्व वामपंथियों के साथ खड़ा होगा. देवेगौड़ा अच्छी तरह से जानते हैं कि केरल में कोई अन्य निर्णय नहीं होगा क्योंकि वामपंथी मंत्रिमंडल में उनका प्रतिनिधित्व है.
यह भी साफ हो गया कि कर्नाटक में सी.एम. इब्राहिम कांग्रेस के करीब रहना पसंद करते हैं. इब्राहिम ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि जेडीएस कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का समर्थन करेगी. यह स्पष्ट नहीं है कि पिछले साल अप्रैल में एमएलसी पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस छोड़ने वाले सीएम इब्राहिम कांग्रेस में वापस आएंगे या नहीं.
सीएम इब्राहिम कर्नाटक में जनता परिवार की दूसरी पार्टी जेडीयू को पुनर्जीवित करने की पहल कर सकते हैं. देवेगौड़ा का उद्देश्य सीएम इब्राहिम को अन्य राज्य इकाइयों के साथ सौदेबाजी की शक्ति नहीं बनने देना है. 2006 में भी जेडीएस ने कर्नाटक में बीजेपी से हाथ मिलाया था. देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी बीजेपी से जुड़े और उस वक्त मुख्यमंत्री थे.
पिछले विधानसभा चुनावों में मैसूर, मांड्या और रामनगर के किलों में मिली हार ने देवेगौड़ा को इस बार अपना मन बदलने के लिए प्रेरित किया. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने खुलेआम कहा कि उन्होंने कर्नाटक में पार्टी को जिंदा रखने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन करने का फैसला लिया है.