नई दिल्ली : पेगासस जासूसी विवाद ने राजनीतिक जगत में खलबली पैदा कर दी है. विपक्ष अचानक ही सरकार पर हमलावर हो गई है. संसद का मानसून सत्र भी प्रभावित हो रहा है. पूरे मामले पर सरकार ने पेगासस को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. पेगासस स्पाइवेयर इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का प्रोडक्ट है. कंपनी का दावा है कि वह इसे सिर्फ सरकारों को बेचती है. मीडिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि एनएसओ के क्लाइंट लिस्ट में भारत की एजेंसी भी है. लेकिन वह कौन सी एजेंसी है, किसी को पता नहीं है.
ईटीवी भारत ने पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई और सबा नकवी से बात की है. किदवई का मानना है कि सरकार के सामने साख का सवाल है. इसलिए बेहतर होगा कि पूरे मामले पर संयुक्त संसदीय समिति की जांच बिठाई जाए.
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार सबा नकवी ने कहा, 'यह सबसे बड़ी खबर है. सरकार को जांच बिठानी चाहिए. पता लगाना चाहिए कि किसने इस तरह के आदेश दिए, जिसने मूल अधिकारों का खुल्लम-खुल्ला हनन किया.'
उन्होंने कहा कि क्या हम प्रजातंत्र में जी रहे हैं या फिर 'जासूसतंत्र' में. हमारे संविधान ने हमें जो भी मूल अधिकार दिए हैं, उसका भी उल्लंघन हो रहा है. जो विदेशी यहां पर आ रहे हैं, उनके अधिकारों का भी हनन कर रहे हैं.
फ्रांस के अखबार ले-मोंदे ने लिखा है कि इसमें कई राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के सदस्यों का भी नाम है.
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक ब्रिटिश उच्चायुक्त के एक कर्मी और अमेरिकन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के दो कर्मचारियों तथा बिल एंड मिलिंडा गेट फाउंडेशन के कर्मचारियों के मोबाइल नंबर भी डेटाबेस में मिले हैं.
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर विषय है. उन्होंने कहा कि तकनीक प्रजातंत्र के लिए खतरा बढ़ा रहा है, इसलिए व्यापक तरीके से जांच करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन होना जरूरी है. यह किसी एक पार्टी या एक व्यक्ति का मामला नहीं है. जासूसी से प्रजातंत्र की राह कठिन हो जाएगी. फोन टैपिंग अनैतिक है. यह गलत है. यह आपराधिक कृत्य है. स्वस्थ प्रजातंत्र में फोन टैपिंग की भी इजाजत नहीं होनी चाहिए.
किदवई ने कहा कि भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे प्रजातांत्रिक देशों में भी तकनीक की दखलंदाजी बढ़ती जा रही है. अगर सरकार चाहती है कि सच्चाई सामने आए और उनकी ओर से कुछ भी गलत नहीं है, तो संयुक्त संसदीय समिति का गठन कर दे. सरकार और विपक्ष दोनों सहयोग करेंगे. जो भी दोषी होगा, उसकी पहचान होगी, और उनके खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी. इसमें गलत क्या है.
विदेश नीति को लेकर पेगासस के परिप्रेक्ष्य में भारत की क्या प्रतिक्रिया हो सकती है, इस पर किदवई ने कहा कि हम एक स्वतंत्र गणराज्य हैं. सरकार की प्राथमिक भूमिका प्रजातंत्र को सुरक्षित रखने की होती है. अगर किसी विदेशी या बाहरी ताकत को जिम्मेवार ठहराना है, तो उसे भी कटघरे में लाएंगे. लेकिन इससे विदेशी संबंध प्रभावित होंगे, ऐसा नहीं है.
कांग्रेस को करीब से जानने वाले किदवई ने कहा कि निश्चित तौर पर जिस तरह के गंभीर और सनसनीखेज आरोप लगे हैं, चाहे किसी की भी सरकार हो, उसे इस आंच से बाहर निकलना ही होगा. और सबसे अच्छा तरीका जेपीसी है. उन्होंने कहा कि अगर आप व्यवस्था को मजबूत नहीं करेंगे, तो फिर उस पर कौन यकीन करेगा.