नई दिल्ली :ट्विटर ने अपने भारतीय कारोबार प्रमुख मनीष माहेश्वरी (Manish Maheshwari) का अमेरिका स्थानांतरण कर दिया है. कंपनी ने इसकी कोई वजह नहीं बताई. माहेश्वरी का यूएस ट्रांसफर ऐसे समय में हुआ है जब यूपी पुलिस कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा उन्हें दी गई राहत को चुनौती (challenge the relief granted) देने जा रही है. सैन फ्रांसिस्को में उनके स्थानांतरण के साथ यह स्पष्ट नहीं है कि वह भारत में ट्विटर के खिलाफ चल रही जांच में पुलिस की सहायता कैसे करेंगे.
कंपनी ने कहा है कि माहेश्वरी को अमेरिका में वरिष्ठ निदेशक (राजस्व रणनीति एवं परिचालन) बनाया गया है. अपनी नई भूमिका में वह नए बाजारों पर ध्यान देंगे.
बता दें कि जून में गाजियाबाद पुलिस (Ghaziabad Police) ने ट्विटर पर एक फेक घृणा अपराध वीडियो को व्यापक रूप से साझा किए जाने के बाद ट्विटर और कई अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को अपना बयान दर्ज करने के लिए लोनी पुलिस स्टेशन (Loni Border Police Station ) बुलाया.
हालांकि, बेंगलुरु स्थित माहेश्वरी ने गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) में समन को चुनौती दी, जिसने शहर की पुलिस को उसके खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया. ट्विटर के जापान और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के उपाध्यक्ष यू सासामोतो ने एक ट्वीट के जरिये इस घटनाक्रम की जानकारी दी.
रिपोर्टों के अनुसार, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले महीने गाजियाबाद पुलिस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) की धारा 160 के तहत माहेश्वरी से पूछताछ करने की अनुमति दी थी, न कि धारा 41 ए के तहत, जो पुलिस को किसी संदिग्ध या आरोपी को गिरफ्तार करने की अनुमति देती है यदि वह या वह जांच में सहयोग नहीं करती है.
शुक्रवार को माहेश्वरी के यूएस ट्रांसफर की खबर सार्वजनिक होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh police) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि अगर पुलिस किसी गवाह या आरोपी को उसके सामने पेश होने की अनुमति देती है, तो अन्य सभी समान व्यवहार की मांग करेंगे.
अधिकारी ने ईटीवी भारत को नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया, 'हर साल गाजियाबाद जैसे बड़े शहर में औसतन 15,000-16,000 एफआईआर दर्ज की जाती हैं. पुलिस के लिए वीडियो लिंक पर मामलों की जांच करना संभव नहीं है.'
अधिकारी ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय का इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि घटना की जगह उत्तर प्रदेश में स्थित है और शहर की पुलिस कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी.
अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'हम इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के सभी फैसलों को चुनौती देने जा रहे हैं.'
अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) के तहत जांच करने के लिए पुलिस को राज्य सरकार से किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (special leave petition) दायर करने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता है.
अधिकारी ने ईटीवी भारत से पुष्टि की, 'हमें पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.' उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उच्चतम न्यायालय में की जाने वाली प्रार्थना के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि पुलिस इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के सभी आदेशों की जांच के लिए प्रार्थना करेगी।
क्या है लोनी हेट क्राइम वीडियो केस
बीते जून में लोनी निवासी अब्दुल समद सैफी (Abdul Samad Saifi) का एक वीडियो सोशल मीडिया (social media) में साझा किया गया था, जिसमें उसने दावा किया था कि उसे कुछ लोगों ने पीटा था, जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया और उसकी दाढ़ी काट दी गई. वीडियो सामने आने के बाद, गाजियाबाद पुलिस ने कथित तौर पर बूढ़े व्यक्ति के साथ मारपीट करने वाले छह लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन पुलिस ने सांप्रदायिक दृषटिकोण (communal angle) से इनकार किया.