नागपुर : याचिकाकर्ता मुकेश शाहू ने अपने वकीलों- चंद्रशेखर सखारे और प्रीति फड़के के माध्यम से नागपुर पुलिस आयुक्त की अधिसूचना को चुनौती देते हुए दावा किया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 'खोलियों' या अधिसूचित क्षेत्रों के कमरों में रहने का अधिकार वेश्याओं/यौनकर्मियों का मौलिक अधिकार है और कानून के अनुपालन को छोड़कर, उन्हें उनके निवास में रहने से नहीं रोका जा सकता है.
इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि केवल इस वजह से कि ये महिलाएं वेश्यावृत्ति के धंधे में हैं, उन्हें उनके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.