पटना : बिहार की राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में इन दिनों अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि आम इंसान तो छोड़िए, पुलिस वालों पर भी गोली चलाने से अपराधी परहेज नहीं कर रहे हैं. बिहार में नई सरकार के गठन के बाद बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर सीएम नीतीश पांच बार समीक्षा बैठक कर चुके हैं. इसके बावजूद भी अपराध बेलगाम हो रहा है.
कानून व्यवस्था पर जब उंगली उठने लगती है तो सत्ता पक्ष आरजेडी के शासन काल की याद दिलाता है. लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार का जो हाल अब है, वो काफी चिंताजनक है. बेखौफ अपराधियों से बिहार छलनी होता जा रहा है. 2005 में जब सीएम नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली तब जंगलराज पर काबू पाना बड़ी चुनौती थी. पहले शासन काल में बहुत हद तक नीतीश सरकार कामयाब रही. लेकिन साल दर साल अपराध पर नियंत्रण कम होता गया. और आज हालात ये हैं कि उन्हें बस इन आंकड़ों से ही समझा जा सकता है.
बिहार में अपराध का ग्राफ
क्राइम | 2005 | 2020 |
हत्या | 104778 | 257506 |
अपहरण | 3423 | 3149 |
दुष्कर्म | 2262 | 8004 |
दंगा | 973 | 1438 |
चोरी | 7704 | 9419 |
लूट | 11809 | 31971 |
डकैती | 2379 | 1902 |
सूबे में बढ़ रहा क्राइम ग्राफ
प्रदेश में कोई भी दिन ऐसा नहीं है रहा हो जब वारदात कम हुई हो. ये आंकड़े वर्तमान स्थिति बताने के लिए काफी हैं. बिहार में क्राइम बढ़ रहा है बावजूद इसके पुलिस अपनी पीठ थपथपाने में जुटी है. बिहार के डीजीपी एसके सिंघल दावा करते हैं कि उनकी पुलिस अपराध पर लगाम लगाने के लिए काम कर रही है. डीजीपी सिंघल की मानें तो ज्यादातर मामलों में पुलिस उद्भेदन करने में कामयाब रही है. समय रहते ही पुलिस ने वारदातों का खुलासा किया है. संलिप्त अपराधियों की गिरफ्तारी भी की है.
क्राइम कंट्रोल करने के लिए पुलिस को हाईटेक बनाने की तैयारी
क्राइम पर कंट्रोल करने के लिएपुलिसको हाइटेक बनाने के साथ नई भर्तियां भी की जा रही हैं. नीतीश के इन 15 साल के कार्यकाल में लगभग 50 हजार पुलिसकर्मियों की नियुक्ति हुई है. 10 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में है. सीएम नीतीश कुमार कहते हैं कि अपराध पर अनुसंधान पूरा करने के लिए बिहार के सभी जिलों में चलंत विधि विज्ञान प्रयोगशाला लाने का निर्णय लिया गया है. ताकि समय रहते किसी भी मामले का अनुसंधान किया जा सके. पहले इसी काम में 2 साल तक लगते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
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राजधानी में खुलेआम चल रही गोली
राजधानी पटना के चर्चित रूपेश सिंह हत्याकांड मामले में भी पुलिस को अब तक पूर्ण रूप से कामयाबी नहीं मिली है. हालांकि इस मामले में अब तक एक अपराधी की गिरफ्तारी हुई है. जिसकी निशान देही पर अन्य अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.
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खाकी पर भी चली गोली
24 फरवरी को सीतामढ़ी में शराब तस्करों को पकड़ने गई पुलिस पर अपराधियों ने गोली चला दी. गोलीबारी में दारोगा दिनेश राम शहीद हो गए. चौकीदार लाल बाबू घायल हो गए. इस मामले में भी पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं.
26 फरवरी शुक्रवार को राजधानी पटना के कंकड़बाग में ऑटो रोककर इंजीनियरिंग के छात्र के साथ लूट की घटना को अंजाम दिया गया. विरोध करने पर बाइक सवार बदमाशों ने छात्र को गोली मार दी. छात्र की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है. पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर छापेमारी कर रही है. लेकिन अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिली है.
सूबे में हुई बड़ी वारदात
12 जनवरी को बेतिया में वारंटी को गिरफ्तार करने नवलपुर के खलवा टोला पहुंची पुलिस पर हमला हुआ. पुलिस पिपरिया गांव में वारंट लेकर बाबूलाल मुखिया को गिरफ्तार करने गई थी. ग्रामीणों ने पुलिस की टीम पर हमला कर दिया. जिसमें जमादार और सिपाही बुरी तरह से घायल हो गए थे.