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23 वर्ष पूर्व जब पोकरण के धमाके से स्तब्ध रह गई दुनिया, जानें पूरी गौरव गाथा - Nuclear Test 1998

आज पोकरण परमाणु परीक्षण की 23वीं वर्षगांठ है. एक ऐसा दिन जिसे याद कर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. पोकरण से 25 किलोमीटर दूर स्थित वह गांव जहां पर आज से ठीक 23 वर्ष पूर्व 11 मई 1998 को हुए परमाणु परीक्षण ने न केवल पोकरण बल्कि भारत देश को विश्व में परमाणु शक्ति के रूप में नई पहचान दिलाई. खेतोलाई गांव में कुछ बुर्जुग जो उस समय की घटना के बारे में बताते हैं कि उस धमाके की गूंज से पूरी दुनिया जो दंग रह गई थी. देखिये जैसलमेर के पोकरण से ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट..

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Published : May 11, 2021, 5:13 PM IST

Updated : May 11, 2021, 5:38 PM IST

पोकरण (जैसलमेर) :परमाणु परीक्षण की घटना को लेकर खेतोलाई गांव के लोग कहते हैं कि पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज पास में ही स्थित होने के कारण यहां भारत सहित अन्य देशों की सेनाओं के युद्धाभ्यास होने के कारण धमाके होते रहते हैं. लेकिन 11 मई 1998 को वो लम्हा आज भी लोगों ने जहन में वीरगाथा के रूप में संजोया हुआ है.

ग्रामीण बताते हैं कि उस दिन फिल्ड फायरिंग रेंज के अधिकारियों व जवान गांव में पहुंचे. सेना के अधिकारियों ने गांव के लोगों से कहा कि आज दोपहर से लेकर शाम तक मकानों के अंदर नहीं बैठें, घरों से बाहर खुले में बैठें. आसपास जान-माल का कोई नुकसान नहीं हो, उन स्थानों पर पहुंच जाएं. उस दिन गांव को सेना के जवानों ने चौतरफा घेर लिया.

गौरव गाथा

11 मई 1998 के दिन सुबह से ही सेना के वाहनों द्वारा गांव में गश्त शुरू कर दी गई थी. सेना के जवानों द्वारा लोगों को बार–बार घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही थी. दोपहर के 3 बजकर 20 मिनट पर तेज धमाके की आवाज से गांव गूंज उठा. लोगों को लगा कि कोई प्राकृतिक आपदा हुई है.

इसी दौरान ग्रामीणों ने देखा कि फिल्ड फायरिंग की तरफ से आसमान में धुएं का विस्फोट हो रहा था. उस ऐतिहासिक व गौरवान्वित मंजर को याद करते हुए ग्रामीण बताते हैं कि धमाके की आवाज से जमीन में थोड़ी हलचल हुई. लोगों को लगा कि भूंकप आ गया. गांव के मवेशी इधर-उधर भागने लगे. कई मकानों की छतों पर दरारें आ गईं. धमाके के समय गांव में सेना के अधिकारी व जवान खड़े थे. उस तेज धमाके की आवाज के कुछ क्षण बाद ही सेना के अधिकारी गाड़ियों के काफिले के साथ गांव से बाहर निकल गए.

डॉ. कलाम ने किया नेतृत्व

11 मई 1998 को जब पोकरण स्थित फिल्ड फायरिंग रेंज में परमाणु परीक्षण हुआ, उस समय डीआरडीओ के तत्कालीन निदेशक भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम थे. भारत की जनता देश के पूर्व राष्ट्रपति को मिसाइल मैन के नाम से भी जानती है. परीक्षण से पहले डॉ. कलाम ने सेना के जवानों के साथ पोकरण फायरिंग रेंज का निरीक्षण किया था.

जानें पूरी गौरव गाथा

सेना के अलावा किसी भी व्यक्ति को इस ऐतिहासिक होने वाले मंजर की जानकारी नहीं थी. डॉ. कलाम ने अपनी विवेकशीलता से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. जैसे ही डॉ. कलाम के नेतृत्व में राजस्थान की इस वीर धरती पर परमाणु परीक्षण किया गया, उसके चंद घंटों बाद पूर्व राष्ट्रपति व सेना के अधिकारी पत्रकारों से रू-ब-रू हुए.

वाजपेयी ने दिया नया नारा

उस दौरान डॉ. कलाम ने परमाणु परीक्षण के साथ पोकरण व खेतोलाई गांव में एक नहीं कई बार आने का जिक्र भी किया था. उन्होने उस समय कहा था कि इंसान की पहचान साधारण रूप में अधिक होती है न की पद व प्रतिष्ठा से. परीक्षण के बाद उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. उन्होने भी परमाणु परीक्षण को देश के लिए गौरवशाली बता लोगों का आभार व्यक्त किया था.

पोकरण की सरजमीं से डॉ. कलाम व देश के पूर्व प्रधानमंत्री को इतना प्यार था कि वाजपेयी ने 19 मई 1998 को पोकरण में आयोजित एक कार्यक्रम में लोगो से रू-ब-रू होकर इस ऐतिहासिक मंजर को साझा किया.

उसी समय उन्होंने सेना, किसान व विज्ञान के क्षेत्र में जय जवान, जय किसान व जय विज्ञान का नारा दिया. उसी दिन उन्होंने कहा कि भारत में बुद्ध मुस्कराएं हैं. एक अग्रेजी अखबार को दिए अपने निजी इंटव्यू में उन्होंने खेतोलाई गांव का जिक्र करते हुए आइ लव यू खेतोलाई भी कहा.

किसी को नहीं थी परीक्षण की जानकारी

11 मई 1998 को हुए परमाणु परीक्षण की जानकारी सेना के अलवा किसी के पास नहीं थी. फिल्ड फायारिंग रेंज के पास स्थित खेतोलाई गांव के ग्रामीणों को भी इस घटना का अंदेशा नहीं होने दिया. सेना के अधिकारियों द्वारा सुबह के समय खेतोलाई गांव पहुंच लोगों को घरों से बाहर सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा.

हालांकि, लोगों ने घरों से बाहर निकलने का कारण भी सेना के अधिकारियों से पूछा तो सेना के अधिकारियों ने इसे सामान्य घटना बताया. दोपहर के समय परमाणु परीक्षण किया गया तो लोगों को लगा कि कोई बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है. हांलाकि, लोगों को अब भी किसी घटना के बारे में पुख्ता होने का प्रमाण नहीं मिला था.

कुछ घंटों के बाद ही देश के तत्कालीन प्रधामनंत्री व सेना के उच्चाधिकारीयों ने एक संदेश के माध्यम से यह जानकारी लोगों तक पहुंचाई तो लोगों को मालूम हुआ. इसके बाद सेना द्वारा 13 मई को और विस्फोट किए गए ओर इसी घटना ने पोकरण को परमाणु नगरी के रूप में विश्व पटल पर अंकित कर दिया.

पोकरण परमाणु परीक्षण की 23वीं वर्षगांठ

परमाणु परीक्षण से नई पहचान

11 व 13 मई को हुए पांच परमाणु परीक्षण ने विश्व के देशों को बता दिया कि भारत भी अब परमाणु शक्ति संपन्न देशों में शुमार हो गया है. हालांकि, इस घटना के बाद कई देशों ने भारत पर पैनी नजर रखनी शुरू कर दी लेकिन इस परीक्षण को एक तय रणनीति से किया गया. जिससे किसी देश को भनक तक नहीं लगी. ऑपरेशन शक्ति पोकरण द्वितीय व शक्ति 98 का नया नाम दिया गया.

वजूद खो रहा 'शक्ति स्थल'

11 व 13 मई के परमाणु विस्फोट के बाद पोकरण ने विश्व पटल पर नया कीर्तिमान स्थापित किया. विस्फोट के बाद खेतोलाई गांव में सरकार की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं करने से विकास की राह से कोसों दूर रह गया है. यहां के वांशिदों को आज भी सरकार द्वारा विकास कार्यों के होने का इंजतार है.

प्रशासन की उदासीनता

वहीं, दूसरी ओर पोकरण शहर में परमाणु परीक्षण की वीर गाथाओं को दिल में संजोने के लिए जैसलमेर रोड स्थित एक भवन में प्रशासन की ओर से शक्ति स्थल के नाम पर भवन में सेना के टैंकर, बंकर व युद्धाभ्यास के वाहनों के मॉडल बनाए गए थे. इस स्थल पर जैसलमेर के पूर्व जिला कलेक्टर केके पाठक द्वारा प्रयास कर सेना का एक कार्यक्रम भी आयोजित करवाया गया था.

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लेकिन यह स्थल समय के साथ प्रशासन के उदासीन रवैये से उजड़ गया है. आज इस स्थल पर ताले लगे हुए हैं. आज परमाणु परीक्षण की 23वीं वर्षगांठ भले ही लोगों के जहन में जरूर है लेकिन शहर के इस स्थल पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं होता.

Last Updated : May 11, 2021, 5:38 PM IST

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