पोकरण (जैसलमेर) :परमाणु परीक्षण की घटना को लेकर खेतोलाई गांव के लोग कहते हैं कि पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज पास में ही स्थित होने के कारण यहां भारत सहित अन्य देशों की सेनाओं के युद्धाभ्यास होने के कारण धमाके होते रहते हैं. लेकिन 11 मई 1998 को वो लम्हा आज भी लोगों ने जहन में वीरगाथा के रूप में संजोया हुआ है.
ग्रामीण बताते हैं कि उस दिन फिल्ड फायरिंग रेंज के अधिकारियों व जवान गांव में पहुंचे. सेना के अधिकारियों ने गांव के लोगों से कहा कि आज दोपहर से लेकर शाम तक मकानों के अंदर नहीं बैठें, घरों से बाहर खुले में बैठें. आसपास जान-माल का कोई नुकसान नहीं हो, उन स्थानों पर पहुंच जाएं. उस दिन गांव को सेना के जवानों ने चौतरफा घेर लिया.
11 मई 1998 के दिन सुबह से ही सेना के वाहनों द्वारा गांव में गश्त शुरू कर दी गई थी. सेना के जवानों द्वारा लोगों को बार–बार घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही थी. दोपहर के 3 बजकर 20 मिनट पर तेज धमाके की आवाज से गांव गूंज उठा. लोगों को लगा कि कोई प्राकृतिक आपदा हुई है.
इसी दौरान ग्रामीणों ने देखा कि फिल्ड फायरिंग की तरफ से आसमान में धुएं का विस्फोट हो रहा था. उस ऐतिहासिक व गौरवान्वित मंजर को याद करते हुए ग्रामीण बताते हैं कि धमाके की आवाज से जमीन में थोड़ी हलचल हुई. लोगों को लगा कि भूंकप आ गया. गांव के मवेशी इधर-उधर भागने लगे. कई मकानों की छतों पर दरारें आ गईं. धमाके के समय गांव में सेना के अधिकारी व जवान खड़े थे. उस तेज धमाके की आवाज के कुछ क्षण बाद ही सेना के अधिकारी गाड़ियों के काफिले के साथ गांव से बाहर निकल गए.
डॉ. कलाम ने किया नेतृत्व
11 मई 1998 को जब पोकरण स्थित फिल्ड फायरिंग रेंज में परमाणु परीक्षण हुआ, उस समय डीआरडीओ के तत्कालीन निदेशक भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम थे. भारत की जनता देश के पूर्व राष्ट्रपति को मिसाइल मैन के नाम से भी जानती है. परीक्षण से पहले डॉ. कलाम ने सेना के जवानों के साथ पोकरण फायरिंग रेंज का निरीक्षण किया था.
सेना के अलावा किसी भी व्यक्ति को इस ऐतिहासिक होने वाले मंजर की जानकारी नहीं थी. डॉ. कलाम ने अपनी विवेकशीलता से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. जैसे ही डॉ. कलाम के नेतृत्व में राजस्थान की इस वीर धरती पर परमाणु परीक्षण किया गया, उसके चंद घंटों बाद पूर्व राष्ट्रपति व सेना के अधिकारी पत्रकारों से रू-ब-रू हुए.
वाजपेयी ने दिया नया नारा
उस दौरान डॉ. कलाम ने परमाणु परीक्षण के साथ पोकरण व खेतोलाई गांव में एक नहीं कई बार आने का जिक्र भी किया था. उन्होने उस समय कहा था कि इंसान की पहचान साधारण रूप में अधिक होती है न की पद व प्रतिष्ठा से. परीक्षण के बाद उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. उन्होने भी परमाणु परीक्षण को देश के लिए गौरवशाली बता लोगों का आभार व्यक्त किया था.
पोकरण की सरजमीं से डॉ. कलाम व देश के पूर्व प्रधानमंत्री को इतना प्यार था कि वाजपेयी ने 19 मई 1998 को पोकरण में आयोजित एक कार्यक्रम में लोगो से रू-ब-रू होकर इस ऐतिहासिक मंजर को साझा किया.
उसी समय उन्होंने सेना, किसान व विज्ञान के क्षेत्र में जय जवान, जय किसान व जय विज्ञान का नारा दिया. उसी दिन उन्होंने कहा कि भारत में बुद्ध मुस्कराएं हैं. एक अग्रेजी अखबार को दिए अपने निजी इंटव्यू में उन्होंने खेतोलाई गांव का जिक्र करते हुए आइ लव यू खेतोलाई भी कहा.