नई दिल्ली :मशहूर कवि और पत्रकार मंगलेश डबराल का आज 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया. मंगलेश अंतिम समय में कोरोना वायरस और निमोनिया की चपेट में आने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे. सांस लेने में हो रही परेशानी के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. बताया जा रहा है कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ.
उत्तराखंड में जन्म
गौरतलब है कि कवि और पत्रकार मंगलेश डबराल मूलरूप से उत्तराखंड के निवासी थे. उनका जन्म 14 मई, 1949 को टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गांव में हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में ही हुई थी.
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि-लेखक मंगलेश डबराल समकालीन हिंदी के चर्चित कवियों में शुमार थे. उनके निधन पर साहित्य जगत से जुड़े कई लोगों ने अपनी संवेदनाएं जताई हैं. पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज़ भी एक जगह है और नये युग में शत्रु- मंगलेश डबराल के 5 काव्य संग्रह हैं.
मंगलेश के निधन पर उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शोक जताया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा,
हिंदी कवि डॉ कुमार विश्वास ने भी मंगलेश के निधन पर उन्हीं एक रचना को रीट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
ट्विटर यूजर प्रियंका शुक्ला ने भी मंगलेश की ही रचना 'सरल होना साधारण नहीं है' का जिक्र करते हुए उनके निधन पर श्रद्धांजलि दी.
वाम दल की इकाई सीपीआईएमएल लिबरेशन ने अपने ट्वीट में मंगलेश डबराल के निधन पर शोक जताया. इसी के साथ पार्टी ने मंगलेश को जनआंदोलन का सच्चा दोस्त करार दिया.
माकपा नेता रणविजय सिंह ने भी मंगलेश डबराल के निधन पर शोक जताया है.
रेडियो प्रस्तोता, गीतकार, लेखक और पत्रकार के रूप में पहचान रखने वाले नीलेश मिसरा ने भी मंगलेश के निधन पर शोक व्यक्त किया है.