नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को विभिन्न राज्यों के 40 जिलाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. झारखंड, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय और अन्य राज्यों के जिलाधिकारी बैठक में भाग लेंगे. इस दौरान पीएम मोदी इन जिलों में विकास की रणनीति पर चर्चा करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी की जिलाधिकारियों के साथ प्रस्तावित इस बैठक की स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सराहना की है. उनका कहना है कि जिलाधिकारी ही टीकाकरण की धीमी प्रगति के पीछे की वास्तविकता को बता सकते हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सुनीला गर्ग का बयान ईटीवी भारत से बात करते हुए ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (OMAG) की अध्यक्ष डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा कि देश में टीकाकरण की स्थिति पर एक नजर डालने के लिए इस समय यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण है. अगर हमें कोविड टीके की 180 करोड़ खुराक देनी है तो हमें इस प्रक्रिया को तेज करना होगा.
डॉ. गर्ग ने कहा कि जिलाधिकारी (District Magistrate) सही व्यक्ति हैं जो टीकाकरण की धीमी प्रगति के पीछे का सटीक परिदृश्य और कारण बता सकते हैं. उन्होंने कहा कि एक जिलाधिकारी स्पष्ट रूप से बता सकता है कि प्रशासनिक स्तर पर कोई ढिलाई है या कोई हिचकिचाहट है.
उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकारों को स्थिति की बहुत सावधानी से निगरानी करनी चाहिए.
बता दें, डॉ. सुनीला गर्ग इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा, 'कुछ जिलों में टीकाकरण की धीमी प्रगति के कई कारण हो सकते हैं. प्रतिकूल प्रतिक्रिया, हिचकिचाहट और पहली तथा दूसरी खुराक के बीच बड़े अंतर का डर हो सकता है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश के कई जिलों में कोविड टीके की पहली खुराक के लिए 50 प्रतिशत से कम रजिस्ट्रेशन हुआ है. इनमें क्रा दादी (Kra Daadi) (18.3 प्रतिशत), कुरुंग कुमे (27.4 प्रतिशत), अपर सुबनसिरी (33.1 प्रतिशत), कमले (36.4 प्रतिशत), लोअर सुबनसिरी (41.3 प्रतिशत) और पूर्वी कामेंग (42.5 प्रतिशत) शामिल हैं.
इसी तरह असम के एक जिले- दक्षिणी सलमारा मनकाचर में 44.8 फीसदी रजिस्ट्रेशन हुआ है. बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के कई जिलों में भी 50 प्रतिशत से कम टीकाकरण दर्ज किया गया है.
इसी तरह असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय के कई जिलों में कोविड-19 टीकाकरण की दूसरी खुराक की कवरेज 33 प्रतिशत से भी कम दर्ज की गई है.
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