नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिये उजबेकिस्तान पहुंच चुके हैं. उज्बेकिस्तान के समरकंद में बैठक होगी. उनकी रवानगी से पहले भारत ने कहा कि समूह की बैठक में कारोबार, सम्पर्क, क्षेत्रीय सहयोग सहित ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने संवाददाताओं को बताया कि उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव के निमंत्रण पर एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक में भाग लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को ही समरकंद पहुंचेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बैठक की संभावना के बारे पूछे जाने पर क्वात्रा ने सिर्फ इतना कहा कि एससीओ की बैठक आगे बढ़ने के साथ ही वे प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति और कुछ अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. क्वात्रा ने कहा, 'हमें एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रासंगिक मुद्दों, व्यापार, संपर्क और क्षेत्रीय सहयोग पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है.'
उन्होंने बताया कि बैठक में विकास से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा, और आतंकवाद सहित साझा चुनौतियों से निपटने, कारोबार एवं आर्थिक विषयों पर चर्चा होगी. उन्होंने बताया कि एससीओ की बैठक में क्षेत्रीय विषयों, विकास एवं आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होती है और इसमें द्विपक्षीय विषय नहीं आते. एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि भारत इस क्षेत्रीय संगठन का सदस्य देश है और इसकी मध्य एशियाई देशों के बीच सहयोग इसकी केंद्रीयता का एक स्तम्भ है.
उन्होंने कहा कि एससीओ में भारत के हित क्षेत्रीय विषयों से जुड़े हैं जिसमें सदस्य देशों के साथ सहयोग प्रमुख है. इस सहयोग में आर्थिक सहयोग, सुरक्षा सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चर्चा आदि शामिल हैं. क्वात्रा ने कहा कि ऐसे में भारत इसे किसी एक देश की नहीं बल्कि क्षेत्रीय सहयोग की केंद्रीयता के रूप में देखता है. उन्होंने कहा, 'इस प्रकार यह (भारत का) रूख अपने आप में पूर्ण और सम्पूर्ण है. इसका किसी तृतीय देश के परिप्रेक्ष्य में आकलन नहीं किया जाता.'