पणजी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को उत्तरी गोवा के मोपा में ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पहले चरण का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री (दिवंगत) मनोहर पर्रिकर के नाम पर हवाईअड्डे का नाम मनोहर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा रखा जाएगा. उन्होंने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने सार्वजनिक सुविधाओं के मामले में लोगों की जरूरत का ध्यान रखने के बजाय दशकों तक वोट बैंक पर ध्यान दिया. उत्तरी गोवा में स्थित मोपा हवाईअड्डा राज्य का दूसरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है. हवाई अड्डे के पहले चरण के तहत हर साल 44 लाख यात्रियों की आवाजाही की व्यवस्था होगी.
पीएम मोदी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार तेजी से विकास कर रही है. भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदला. उन्होंने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार केंद्र मे थी तब इस हवाई अड्डे की प्लानिंग हुई थी. मगर उनकी सरकार जाने के बाद इस हवाई अड्डे के लिए बहुत कुछ नहीं किया गया. लंबे समय तक ये प्रोजेक्ट लटका रहा. 2014 के बाद हमने सभी प्रक्रियाएं तेजी से शुरू की और 6 साल पहले मैंने यहां आकर इसकी आधारशिला रखी. कई अड़चनों के बाद आज ये शानदार हवाई अड्डा बनकर तैयार है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में आधारभूत संरचना को लेकर दशकों तक जो दृष्टिकोण रही उसमें सरकारों द्वारा लोगों की जरूरत से ज्यादा वोट बैंक को प्राथमिकता दी गई. इस वजह से अक्सर ऐसी परियोजनाओं पर हजारों करोड़ रुपए खर्च किए गए जिसकी जरूरत नहीं थी.
विभिन्न उपचार पद्धतियों को आजमाने के बाद दुनिया आयुर्वेद की ओर लौट रही है -इससे पहले पीएम मोदी ने गोवा स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान और दिल्ली स्थित राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान का गोवा से उद्घाटन किया. मोदी नौवें विश्व आयुर्वेद सम्मेलन और आरोग्य 'एक्सपो' के समापन सत्र को संबोधित करने के लिए आज दोपहर गोवा पहुंचे थे. आयुर्वेद सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दुनिया विभिन्न उपचार शैलियों को आजमाकर आयुर्वेद की प्राचीन उपचार पद्धति की ओर लौट रही है.
उन्होंने कहा, 'दुनिया ने उपचार के कई तरीके आजमाए हैं और अब यह आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति की ओर लौट रही है. आयुर्वेद न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि समग्र स्वास्थ्य की बात करता है.' प्रधानमंत्री ने 30 से अधिक देशों में आयुर्वेद को एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्वीकार किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, 'हमें इसका और देशों में प्रसार करना चाहिए और आयुर्वेद को मान्यता देनी चाहिए.'