दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

लोकसभा चुनाव 2024: ऐतिहासिक जीत के लिए रणनीति बना रही मोदी-योगी सरकार, जानिये कौन कर रहा है मॉनिटरिंग

2024 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत को लेकर भाजपा नेतृत्व के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर बेहतर ढंग से काम किया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार, यूपी में सरकार के कामकाज और केंद्रीय योजनाओं की मॉनिटरिंग का काम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को सौंपा गया है.

lok sabha elections 2024
लोकसभा चुनाव 2024

By

Published : Jul 28, 2022, 5:21 PM IST

लखनऊ : 2024 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत को लेकर भाजपा नेतृत्व के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर बेहतर ढंग से काम किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र और राज्य सरकार की योजना को धरातल तक पहुंचाने और समाज के हर वर्ग तक अपनी पहुंच बढ़ाने की रणनीति तैयार की है. सूत्रों के अनुसार, यूपी में सरकार के कामकाज और केंद्रीय योजनाओं की मॉनिटरिंग का काम राज्यपाल को सौंपा गया है. जिससे कामकाज को और बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया जा सके और 2024 के चुनाव को ढीक ढंग से फतह किया जा सके.

दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का कामकाज बेहतर ढंग से निचले स्तर तक पहुंचे, केंद्र की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक जनता तक पहुंचे, इसको लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार न सिर्फ चिंतित है बल्कि इस दिशा में काम भी कर रही है. सूत्र बताते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के माध्यम से केंद्रीय योजनाओं की मॉनिटरिंग के साथ-साथ उनके माध्यम से मंत्रिमंडल संगठन और ब्यूरोक्रेसी के बीच बेहतर सामंजस्य बनाए जाने को लेकर काम करने का सिलसिला शुरू कराया है. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने योगी मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों को चाय पर बुलाया और विस्तार से बातचीत की.

दिलीप अग्निहोत्री, राजनीतिक विश्लेषक

उन्होंने मंत्रियों से कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को निचले स्तर तक पहुंचाया जाए. जनहित की समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता के साथ अधिकारियों के माध्यम से कराया जाए. जन समस्याओं का निस्तारण व केंद्रीय योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक जनता तक पहुंचे, इस दिशा में बेहतर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि किसी भी स्तर पर कोई दिक्कत, समन्वय बनाने में समस्या आ रही है तो वह सीधे राजभवन आकर अवगत करा सकते हैं. कुल मिलाकर सरकार जनता के हितों के लिए काम करे और इसका फायदा 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व को मिल सके. इस दिशा में राज्यपाल की तरफ से महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कराए जाने का काम शुरू कराया गया है.


राजभवन में राज्यपाल ने पिछले 100 दिनों के दौरान जिस प्रकार से मंत्रियों को जिलों में भेजकर समीक्षा बैठक कराई, उसका भी फीडबैक लिया. कहां क्या समस्याएं हैं, उनका निस्तारण कैसे किया जा सकता है, इस दिशा पर भी राज्यपाल ने मंत्रियों से सुझाव लिए. उन्होंने कहा है कि अधिकारियों पर दबाव बनाकर समस्याओं का निस्तारण कराया जाए और केंद्रीय योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ लोगों तक पहुंचे. सूत्र बताते हैं कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक की उपस्थिति में कहा कि सभी कैबिनेट मंत्री अपने राज्य मंत्रियों से बेहतर सामंजस्य बनाकर काम करें और कहीं कोई मनमुटाव जैसी स्थिति नहीं होनी चाहिए. कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में न सिर्फ केंद्रीय योजनाओं की मॉनिटरिंग का काम राज्यपाल के माध्यम से कराया जा रहा है, बल्कि सरकार के स्तर पर बेहतर सामंजस्य बना रहे और कहीं कोई समस्या हो तो वह राजभवन के स्तर पर दूर कराए जाने का भी काम कराया जाएगा.

राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि भारतीय संविधान में संसदीय शासन प्रणाली का प्रावधान किया गया है. इसके अनुसार मुख्यमंत्री वास्तविक प्रधान होता है शासन का, जबकि राज्यपाल संवैधानिक मुखिया होते हैं. वह मंत्रिमंडल की सिफारिश से कार्य करते हैं. वैसे राज्यपाल को कतिपय विषयों पर विवेक से निर्णय का भी अधिकार होता है. विशेष परिस्थितियों में वह केंद्र को रिपोर्ट भेज सकते हैं. विधेयक विचार के लिए राष्ट्रपति को प्रेषित कर सकते हैं. वह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में स्थानांतरण को लेकर कुछ आरोप लगे हैं. एक राज्यमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र भी लिखा. कई मंत्रियों और उनके सचिवों में तनाव की खबरें भी हैं. कहा जा रहा है कि राज्यपाल केंद्रीय योजनाओं और मतभेद की खबरों के मद्देनजर मॉनिटरिंग करते हुए स्थिति का आकलन कर कर रही हैं. वैसे उत्तर प्रदेश में फिलहाल राज्यपाल के हस्तक्षेप जैसी स्थिति नहीं है.

ये भी पढ़ें : ओमप्रकाश राजभर को झाड़-फूंक की जरूरत: अखिलेश यादव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्थितियों को संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं. उनके नेतृत्व में पचास से अधिक योजनाओं में यूपी नंबर वन है. ऐसे में यह अवश्य देखना होगा कि कुछ मंत्रियों की नाराजगी का कारण क्या है. यदि वह जनता के कार्यों को लेकर नाराज हैं तो उनकी समस्याओं का समाधान अवश्य होना चाहिए. यदि उनकी नाराजगी निजी कारणों से है तो हाईकमान को दूसरे ढंग से विचार करना होगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details