वाशिंगटन: प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी तीन दिवसीय राजकीय यात्रा का समापन शुक्रवार को किया और इससे पहले गुरुवार को उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडेन से व्हाइट हाउस में वार्ता की थी. इस दौरान दोनों देशों ने रणनीतिक संबंधों में लंबी छलांग लगाते हुए भारत में संयुक्त रूप से जेट इंजन निर्माण और सैन्य ड्रोन खरीदने सहित कई अहम समझौते किए थे. भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह यात्रा इतिहास में दर्ज होगी क्योंकि इससे रिश्तों के नए पन्ने खुलेंगे और अमेरिका-भारत संबंधों के ‘नए साहसिक अध्याय’ की शुरुआत होगी. लॉस एंजिलिस के पूर्व महापौर और राष्ट्रपति बाइडेन के करीबी माने जाने वाले गार्सेटी ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच संबंधों से बढ़कर है. उन्होंने कहा, ‘‘यह मित्रता है, यह वास्तविक और गहरी है.’’
उन्होंने कहा कि यह यात्रा कई उम्मीदों से कहीं आगे निकल गई है, चाहे वह प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच व्यक्तिगत संबंध हों, सरकारों के कार्यों की व्यापकता और गहराई हो, या फिर चाहे लोगों से लोगों के बीच संपर्क हो, कारोबारियों और सांस्कृतिक हस्तियों या रोजमर्रा में अमेरिकी और भारतीयों के संबंध हों.’’
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में यह भविष्य के बारे में है और मेरा मानना है कि अमेरिका व भारत भविष्य हैं. अगर यह संबंध गहरा होता है तो हम और मजबूत होंगे और रास्ता दिखाएंगे कि सभी के लिए दुनिया को कैसे और समृद्ध बनाया जा सकता है.’’ प्रधानमंत्री की यात्रा से निकले नतीजों के बारे में पूछे जाने पर 52 वर्षीय गार्सेटी ने चार ‘पी’ यानी पीस(शांति), प्रॉस्पेरिटी (समृद्धि), प्लैनेट (ग्रह) और पीपुल्स (लोग) को इंगित किया.
उन्होंने कहा कि जब शांति, वास्तविक रक्षा और प्रौद्योगिकी साझा करने की बात आती है तो अमेरिका ने यह किया है, यहां तक अपने सबसे करीबी साझेदारों के साथ. गार्सेटी ने कहा कि समृद्धि के मामले में ‘अंतत: व्यापार विवाद को पीछे छोड़ प्रौद्योगिकी सहयोग व आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग को गहरा किया गया, ग्रह के मुद्दे पर दोनों पक्ष जलवायु, अंतरिक्ष और समुद्र के मुद्दे पर काम करने को लेकर सहमत हुए. अमेरिकी राजदूत ने कहा कि लोगों से लोगों के संपर्क मोर्चे पर दोनों पक्षों ने नए वाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा, ‘‘अब ये संबंधों के क्षेत्र हैं और यह रिश्तों से कही बढ़कर हैं. यह मित्रता है जो वास्तविक और गहरी है.’’ गार्सेटी ने कहा कि इस क्षण को उम्मीदों के साथ परिभाषित किया गया है और ‘‘ मैं नहीं देखता कि आने वाले सालों में भी यह उम्मीद कम होगी. लेकिन मेरा मानना है कि यह योजना केवल इसी क्षण के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि अगले 20 से 25 साल के लिए होनी चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ऐसे लोग हैं ‘‘जो हमारे मूल्यों को साझा नहीं करते और जिन्होंने दीर्घकालिक योजना बनाई है; जो लोकतांत्रिक नहीं है, जो प्रौद्योगिकी को लोगों की जिंदगियों में बदलाव का माध्यम नहीं मानते, संभव है कि उनकी रुचि जलवायु परिवर्तन को रोकने या इससे निपटने में नहीं हो.’’ उन्होंने कहा कि अगले 25 साल में भारत और अमेरिका को और आज के मुकाबले कहीं अधिक तैयार रहना चाहिए.