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विचाराधीन कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया तेज की जाए: प्रधानमंत्री मोदी

जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की पहली बैठक शनिवार से शुरू हो गयी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीजेआई एन. वी. रमना इसमें शामिल हुए.

pm modi will address conference of district legal services authority take part of power
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पहले सम्मेलन को संबोधित करेंगे PM मोदी

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Published : Jul 30, 2022, 8:08 AM IST

Updated : Jul 30, 2022, 4:08 PM IST

नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्याय की सुगमता को जीवन की सुगमता जितना ही महत्वपूर्ण बताते हुए न्यायपालिका से शनिवार को आग्रह किया कि वह विभिन्न कारागारों में बंद एवं कानूनी मदद का इंतजार कर रहे विचाराधीन कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लाए. मोदी ने अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहली बैठक को संबोधित करते हुए यहां कहा कि नागरिकों का न्यायपालिका पर बहुत भरोसा है और किसी समाज के लिए न्याय प्रणाली तक पहुंच एवं न्याय दिया जाना समान रूप से जरूरी है. इस सम्मेलन में प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण भी शामिल हुए.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'यह 'आजादी के अमृत काल' का समय है. यह ऐसे संकल्प लेने का समय है, जो आगामी 25 साल में देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएं. देश की इस अमृत यात्रा में व्यवसाय करने की सुगमता और जीवन की सुगमता जितनी महत्वपूर्ण है, न्याय की सुगमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने विचाराधीन कैदियों के मानवीय मामलों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता के बारे में कई बार बात की है. उन्होंने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने की जिम्मेदारी ले सकते हैं.

मोदी ने कहा कि जिला न्यायाधीश विचाराधीन मामलों की समीक्षा संबंधी जिला-स्तरीय समितियों के अध्यक्ष के रूप में विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेजी ला सकते हैं. प्रधानमंत्री ने विचाराधीन कैदियों की रिहाई संबंधी मुहिम चलाने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की सराहना की और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से इस प्रयास में और अधिक वकीलों को जोड़ने का आग्रह किया.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2020 में प्रकाशित 'जेल सांख्यिकी भारत' रिपोर्ट के अनुसार, जेल में 4,88,511 कैदी हैं, जिनमें से 76 प्रतिशत या 3,71,848 कैदी विचाराधीन हैं.

मोदी ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में कानूनी सहायता के स्थान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी महत्ता देश की न्यायपालिका पर नागरिकों के भरोसा से प्रतिबिम्बित होती है. प्रधानमंत्री ने कहा, 'किसी समाज के लिए न्याय प्रणाली तक पहुंच जितनी जरूरी है, न्याय दिया जाना भी उतना ही जरूरी है. इसमें न्यायिक बुनियादी ढांचे का भी अहम योगदान है. पिछले आठ साल में देश के न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम किया गया है.'

'ई-कोर्ट मिशन' के तहत डिजिटल अदालतें
उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी और वित्तीय प्रौद्योगिकी में भारत के नेतृत्व को रेखांकित करते हुए जोर दिया कि न्यायिक कार्यवाहियों में और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, 'ई-कोर्ट मिशन' के तहत देश में डिजिटल अदालतें शुरू की जा रही हैं. अदालतों ने यातायात उल्लंघन जैसे अपराधों के लिए चौबीसों घंटे काम करना शुरू कर दिया है. लोगों की सुविधा के लिए अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस संबंधी बुनियादी ढांचे का भी विस्तार किया जा रहा है.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक करोड़ से अधिक मामलों की सुनवाई हो चुकी है. उन्होंने कहा, 'इससे साबित होता है कि हमारी न्यायिक प्रणाली न्याय के प्राचीन भारतीय मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध होने के साथ ही 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुसार स्वयं को ढालने के लिए तैयार है.' उन्होंने कहा, 'एक आम नागरिक को संविधान में दिए अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में पता होना चाहिए. उन्हें अपने संविधान और संवैधानिक ढांचों, नियमों और उपायों के बारे में पता होना चाहिए. प्रौद्योगिकी इसमें भी एक बड़ी भूमिका निभा सकती है.'

नालसा द्वारा आयोजित डीएलएसए की दो दिवसीय बैठक शनिवार को यहां शुरू हुई. इसके उद्घाटन सत्र में मोदी और न्यायमूर्ति रमण के अलावा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश यू यू ललित एवं न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़, विधि मंत्री किरेन रीजीजू और विधि राज्य मंत्री एस पी एस बघेल भी मौजूद थे. इस दौरान उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों (एसएलएसए) के कार्यकारी अध्यक्ष और डीएलएसए के अध्यक्ष भी उपस्थित थे.

'रिहाई के लिए विचाराधीन कैदियों की पहचान करने का अभियान चला रहा नालसा'
वहीं, कार्यक्रम में मौजूद विधि मंत्री किरण रीजीजू ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने रिहाई के लिए पात्र विचाराधीन कैदियों की पहचान करने और उनके मामलों को समीक्षा समिति में भेजने की सिफारिश करने के लिए एक अभियान चलाया है. अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की यहां आयोजित पहली बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रीजीजू ने कहा कि यह अभियान 16 जुलाई को शुरू हुआ, जिसके तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकारियों को प्रगति पर चर्चा करने के लिए, अतिरिक्त मामलों की समीक्षा करने और जरूरत पड़ने पर उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में जमानत याचिकाएं दायर करने सहित अन्य कदम उठाने के लिए साप्ताहिक आधार पर विचाराधीन समीक्षा समिति (यूटीआरसी) की बैठक करने का निर्देश दिया गया है.

रीजीजू ने कहा कि ये बैठकें 13 अगस्त तक प्रत्येक सप्ताह होंगी, ताकि 15 अगस्त से पहले अधिकतम विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जा सके. यह अभियान देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर मनाए जा रहे 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत चलाया जा रहा है. रीजीजू ने 'हर घर तिरंगा' अभियान का संदर्भ देते हुए न्यायपालिका को भी इसमें शामिल होने का अनुरोध किया. इस अभियान के तहत लोगों को 13 से 15 अगस्त के बीच अपने-अपने घरों पर तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने एक बयान में कहा कि जिला स्तरीय विधिक सेवा की यह पहली बैठक है, जिसमें सभी न्यायिक जिलों के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश तथा डीएलएसए के अध्यक्ष और डीएलएसए के पूर्णकालिक सचिव भाग लेंगे. इसके अलावा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव और अन्य न्यायिक अधिकारी भी इसमें भाग लेंगे.

इस सम्मेलन में सभी डीएलएसए के बीच एकरूपता लाने और समन्वय स्थापित करने के लिये एक एकीकृत प्रक्रिया के निर्माण पर विचार किया जाएगा. पीएमओ ने कहा कि देश में कुल 676 जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हैं. इन प्राधिकरणों का नेतृत्व जिला न्यायाधीश द्वारा किया जाता है, जो इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं. डीएलएसए और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के माध्यम से नालसा विभिन्न विधिक सहायता एवं जागरूकता कार्यक्रम कार्यान्वित करता है. डीएलएसए, नालसा द्वारा आयोजित लोक अदालतों को विनियमित करके अदालतों पर बोझ को कम करने में भी योगदान करते हैं.

Last Updated : Jul 30, 2022, 4:08 PM IST

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