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पीएम मोदी का स्वर्वेद मंदिर से नौ संकल्प का आह्वान, काशी में भारत का अविनाशी वैभव

पीएम मोदी दो दिवसीय दौरे (PM Modi Varanasi visit) पर वाराणसी में हैं. यहां उन्होंने स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित किया.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 18, 2023, 12:43 PM IST

वाराणसी में स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित करते पीएम मोदी.

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन करने के बाद उसकी भव्यता और दिव्यता का बखान किया. साथ ही स्वर्वेद मंदिर की सभा के मंच से वहां मौजूद हजारों लोगों से नौ आग्रह किए. मोदी ने लोगों से इन नौ आग्रह को संकल्प के रूप में अपने जीवन में उतारने के लिए कहा. पीएम मोदी ने कहा कि मैं चाहूंगा यह हमारे व्यक्तिगत संकल्प बनने चाहिए.

पीएम मोदी के नौ आग्रह

  • पानी की बूंद बचाइए.
  • गांव-गांव जाकर लोगों को डिजिटल पेमेंट के लिए जागरूक करें.
  • गांव मोहल्ले को स्वच्छता में आगे करिए.
  • मेड इन इंडिया उत्पाद का इस्तेमाल करिए.
  • पहले पूरा देश घूमिए, पूरा देश घूमने के बाद ही विदेश जाइए.
  • प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें.
  • श्रीअन्न को रोज खाने में इस्तेमाल करें.
  • फिटनेस यानी योग या खेलों को जीवन का हिस्सा बनाइए.
  • नौवा आग्रह है कम से कम एक गरीब परिवार का संबल बनिए और उसकी मदद करिए.

काशी प्रवास का हर क्षण अद्भुतःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि काशी प्रवास का हमेशा की तरह बीता हर क्षण अपने आप में अद्भुत होता है. अद्भुत अनुभूतियों से भरा होता है. आपको याद होगा दो वर्ष पहले इसी तरह हम अखिल भारतीय विहंगम योग के वार्षिक उत्सव में सम्मिलित हुए थे. एक बार फिर हमें इस शताब्दी समारोह में शामिल होने का अवसर मिला है. विहंगम योग साधना की यह यात्रा 100 वर्षों की अपनी भविष्यवाणी यात्रा है.

महायज्ञ से विकसित भारत का संकल्प और सशक्त होगाः महर्षि सदाफल देव जी ने पिछली सदी में ज्ञान और योग्य की दिव्य ज्योति प्रज्ज्वलित की थी. इन 100 वर्षों की यात्रा में इस दिव्य ज्योति ने देश दुनिया के लाखों करोड़ों लोगों के जीवन को परिवर्तित करने का काम किया. इस पुण्य अवसर पर यहां 25000 कुंडी स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का आयोजन भी हो रहा है. मुझे खुशी है, मुझे विश्वास है, इस महायज्ञ की हर एक आहुति से विकसित भारत का संकल्प और सशक्त होगा.

काशी के कायाकल्प के लिए हो रहा कामःमैं इस अवसर पर महर्षि सदाफल देव जी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं. उनके प्रति मेरे हृदय के भावों को पूर्ण श्रद्धा के साथ समर्पित करता हूं. मैं उनकी परंपरा को अनवरत आगे बढ़ाने वाले सभी संतों को भी प्रणाम करता हूं. मेरे परिवार जनों आप संतों के सानिध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास और नवनिर्माण के कितने ही नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. सरकार समाज और संतगंध सब साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं.

स्वर्वेद मंदिर की भव्यता हमें अचंभित करती हैः आज स्वर्वेद मंदिर बनकर तैयार है, इसी ईश्वर या प्रेरणा का उदाहरण है. यह महामंदिर महर्षि सदाफल देव जी की शिक्षाओं का और उनके उद्देश्यों का इस मंदिर की दिव्यता कितनी आकर्षित करती है. इसकी भव्यता हमें उतनी ही अचंभित भी करती है. मंदिर का भ्रमण करते हुए मैं खुद भी मंत्र मुक्त हो गया था. यह मंदिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक समर्थ का एक आधुनिक प्रतीक है.

स्वर्वेद मंदिर की दीवारों पर चित्रों से ग्रंथों के महत्वपूर्ण संदेश उकेरे गएः मैं देख रहा था, इसकी दीवारों पर सर्व वेद के मित्रों को बड़े ही सुंदर तरीके से अंकित किया गया है. उपनिषद वेद रामायण गीता और महाभारत आदि के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिए उकेरे गए हैं. इसलिए मंदिर एक तरह से आध्यात्मिक और इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है. यहां हजारों सड़क एक साथ साधना कर सकते हैं. इसलिए यह मंदिर अनूठा भी है और साथ-साथ यह ज्ञान तीर्थ भी है.

मैं अदभुत अध्यात्मिक निर्माण के लिए महामंडल ट्रस्ट को और लाखों लाख अनुयायियों को बधाई देता हूं. विशेष रूप मैं स्वतंत्र देव जी और विज्ञान देव जी को धन्यवाद देता हूं और नमन करता हूं जो उन्होंने इतना बड़ा कार्य किया. मैं मानता हूं यह कार्य सदियों तक विश्व के लिए आर्थिक समृद्धि और भौतिक विकास का उदाहरण रहा है. हमने प्रगति के प्रतिमान गाड़े हैं. समृद्धि के सोपान तय किए हैं.

ज्ञान और अनुसंधान के नए मार्ग खुलेः भारत ने कभी भी भौतिक उन्नति को भौगोलिक विस्तार और शोषण का माध्यम नहीं बनने दिया है. भौतिक प्रगति के लिए भी हमने आध्यात्मिक और मानवीय प्रति की रचना की है. हमने काशी जैसे जीवन पर सांस्कृतिक वेदों का आशीर्वाद लिया है. हमने कोणार्क जैसे मंदिर बनाएं. हमने सारनाथ और गया जैसी जगह का भी अद्भुत स्वरूप देखा और निर्माण किया. हमने नालंदा और तक्षशिला जैसी जगह को भी देखा. भारत की इन आध्यात्मिक संरचनाओं के इर्द-गिर्द हमारी शिल्प और कला ने और कल्पना ऊंचाइयों को छुआ. यहां से ज्ञान और अनुसंधान के नए मार्ग खुले हैं. आस्था के साथ-साथ योग जैसे विज्ञान फल-फूल और यहीं से पूरे विश्व के लिए मानवीय मूल्यों की अविरल धारा भी वही गुलामी के कालखंड में जिन अत्याचारियों ने भारत को कमजोर करने का काम किया.

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