नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को निर्यातकों और उद्योग जगत से अपने लिए दीर्घकालिक निर्यात लक्ष्य तय करने और उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सरकार को सुझाव देने की अपील की. यहां नए बने वाणिज्य भवन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि निर्यात किसी देश को विकासशील से विकसित स्थिति में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. प्रधान मंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक वैश्विक व्यवधानों के बावजूद पिछले वित्त वर्ष में भारत का निर्यात 670 बिलियन अमरीकी डालर (50 लाख करोड़ रुपये) के कुल (वस्तुओं और सेवाओं) पर रहा. पिछले वर्ष 2021-22 में भारत का व्यापारिक निर्यात 418 बिलियन अमरीकी डालर (31 लाख करोड़ रुपये) को पार कर गया, जबकि 400 बिलियन अमरीकी डालर (30 लाख करोड़ रुपये) का लक्ष्य था.
"पिछले वर्षों की सफलता से ही उत्साहित होकर हमने अपने निर्यात लक्ष्यों को बढ़ा दिया है और उन्हें प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया है. इन नए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी का सामूहिक प्रयास बहुत आवश्यक है उद्योग, निर्यातक और निर्यात प्रोत्साहन परिषद यहां हैं. मैं उनसे न केवल अल्पकालिक बल्कि दीर्घकालिक निर्यात लक्ष्य भी निर्धारित करने का आग्रह करूंगा. नए भवन से व्यापार, वाणिज्य और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र से जुड़े लोगों को काफी फायदा होगा. प्रधान मंत्री ने NIRYAT (व्यापार के वार्षिक विश्लेषण के लिए राष्ट्रीय आयात-निर्यात रिकॉर्ड) पोर्टल भी लॉन्च किया - जिसे भारत के विदेश व्यापार से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए हितधारकों के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया गया है. सरकार व्यापार करने में आसानी और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है, मोदी ने कहा कि हथकरघा जैसे नए घरेलू उत्पाद नए बाजारों में पहुंच रहे हैं.
विकासशील से विकसित देश में एक देश के संक्रमण में निर्यात बढ़ाने की भूमिका को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में भारत लगातार अपने निर्यात में वृद्धि कर रहा है. निर्यात बढ़ाने के लिए बेहतर नीतियों, प्रक्रिया को आसान बनाने और उत्पादों को नए बाजारों में ले जाने से इस दिशा में बहुत मदद मिली है, आज सरकार का हर विभाग 'संपूर्ण सरकार' दृष्टिकोण के साथ निर्यात बढ़ाने को प्राथमिकता दे रहा है. नए क्षेत्रों से निर्यात बढ़ रहा है. कई आकांक्षी जिलों से भी निर्यात अब कई गुना बढ़ा है. कपास और हथकरघा उत्पादों के निर्यात में 55 प्रतिशत की वृद्धि से पता चलता है कि जमीनी स्तर पर कैसे काम किया जा रहा है.