देहरादून: अमेरिका के ह्वाइट हाउस की रसोई में उत्तराखंड के लंबे चावलों की खुशबू महकेगी. अमेरिका के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धान्यदान के रूप में उत्तराखंड के चावल अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को उपहार स्वरूप प्रदान किए हैं.
पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति को दिए ये उपहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर हैं. अमेरिका पहुंचकर उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी जिल बाइडन से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ खास उपहार भी अमेरिका के राष्ट्रपति को भेंट किए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति को भेंट किए गए इन खास उपहारों में गौदान (गाय का दान), भूदान (भूमि का दान), तिलदान (तिल के बीज का दान), राजस्थान में हस्तनिर्मित 24K शुद्ध और हॉलमार्क वाला सोने का सिक्का, हिरण्यदान (सोने का दान), रौप्यदान (चांदी का दान), लवंदन (नमक का दान), बॉक्स में गणेश जी की मूर्ति है शामिल हैं. एक दीया (तेल का दीपक), डिब्बे में पंजाब का घी भी भेंट में दिए गए हैं.
ह्वाइट हाउस की रसोई में महकेगी उत्तराखंड की बासमती: झारखंड के टसर रेशम का कपड़ा, साथ ही उत्तराखंड से प्राप्त होने वाले लंबे दाने वाला चावल बासमती और महाराष्ट्र का गुड़ भी पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को भेंट में दिए हैं. इसके साथ ही पीएम मोदी ने अमेरिका की पहली महिला जिल बाइडन को उपहार के रूप में 7.5 कैरेट का ग्रीन डायमंड दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका जाकर उत्तराखंड का मान बढ़ाया जाने पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद अदा किया है. धामी ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर उत्तराखंड और यहां की पहचान को स्थान देने पर प्रत्येक उत्तराखंड वासी की तरफ से गौरवपूर्ण पल की संज्ञा दी है.
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सीएम धामी ने पीएम मोदी का किया धन्यवाद: दरअसल उत्तराखंड और खासकर देहरादून में होने वाली बासमती चावल की डिमांड देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति को भेंट में दी गई सामग्री में उत्तराखंड की बासमती चावल को भी शामिल किया है, जिससे दुनिया में उत्तराखंड का मान बढ़ा है.
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क्या है देहरादून की बासमती:देहरादून की बासमती दरअसल अफगानिस्तान से लाई गई बासमती है. साल 1839 से 1842 तक ब्रिटिश और अफगानों के बीच युद्ध चला था. अफगान हारे तो अफगानी शासक दोस्त मोहम्मद खान को देश निकाला हो गया. दोस्त मोहम्मद खान ने मसूरी में निर्वासित जीवन बिताया. कहते हैं कि दोस्त मोहम्मद को देहरादून का चावल खाकर आनंद नहीं आया. उसने अफगानिस्तान से बासमती के बीच मंगवाए. बासमती के बीच देहरादून की वादियों में बोए गए तो वादी महक उठी. यहां की आबोहवा, मिट्टी-पानी अफगानी बासमती को रास आ गई. इस तरह देहरादून की घाटी बासमती चावल के लिए जानी जाने लगी. इस बासमती की खासियत ये है कि ये स्वादिष्ट तो होती ही है, इसकी महक दूर से पता चल जाती है.