नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नए ससद भवन का उद्घाटन करने वाले है, मगर इस ससद भवन के उद्घाटन को लेकर घमासान मचा है. विपक्ष के तेवर तल्ख हैं कि सरकार ने संसद भवन के उद्घाटन का अधिकार महामहिम राष्ट्रपति को क्यों नहीं दिया जबकि बीजेपी का कहना है की ये पुरानी परिपाटी बनी हुई है कि संसद या कई ऐसे संवैधानिक संस्थाओं के भवनों का उद्घाटन पहले भी कांग्रेस शासित प्रधानमंत्री या अन्य लोग करते रहे हैं.
इतिहास उठाकर देखा जाए तो महात्मा गांधी ने भी संसद भवन के सेंट्रल हॉल में पहली प्रतिमा का अनावरण किया था. इसके अलावा 28 अगस्त 1947 में देश के पहले राष्ट्रपति ने भी सेंट्रल हॉल में प्रतिमा का अनावरण किया था. यही नहीं संसद भवन में दूसरी प्रतिमा जो बाल गंगाधर तिलक की लगाई गईं थी सांसद के स्त्रोत के अनुसार उसका अनावरण राष्ट्रपति ने नही बल्कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था. यही नहीं संसदीय रिकार्ड के अनुसार इतिहास देखें तो 13 मार्च 1953 के अनुसार लगभग 25 प्रतिमाएं लगाई गई हैं जिनमें से 20 प्रतिमाओं का 3 प्रधानमंत्री, जिसमें नेहरू, विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर ने अनावरण किया बाकी का राष्ट्रपतियों ने किया. जबकि लोकसभा स्पीकर ने इनमे से एक भी नहीं किया.
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जफर इस्लाम से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जहां तक निमंत्रण का सवाल है ये स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में आता है लेकिन देश की जनता उनसे ये पूछना चाहती है की जब महामहिम द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया उस वक्त कांग्रेस ने क्यों विरोध किया था. जफर इस्लाम ने कहा कि कांग्रेन ने मारग्रेट अल्वा को क्यों उम्मीदवार बनाया था. क्या एक आदिवासी महिला उम्मीदवार के सामने सोनिया गांधी जी की मित्र थीं इसलिए उन्हें तरजीह दी जा रही थी.