नई दिल्ली : अखिल भारतीय वार्षिक राज्य मंत्रियों के सम्मेलन 'वॉटर विजन 2047' पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय राज्यों के नियंत्रण में आता है. जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत आगे जाएंगे. ऐसे में वॉटर विजन 2047 अगले 25 वर्षों के अमृत यात्रा का महत्वपूर्ण आयाम है. जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में हमें जनता जनार्दन को, सामाजिक संगठनों को और सिविल सोसायटी को ज़्यादा से ज़्यादा जोड़ना होगा.
उन्होंने कहा, "जल संरक्षण के लिए जन भागीदारी की सोच को जनता के मन में जगाना है. हम इस दिशा में जितना ज़्यादा प्रयास करेंगे उतना ही अधिक प्रभाव पैदा होगा. भारत ने जल सुरक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की है. 2047 की ओर हमारी जल दृष्टि अमृत काल में बहुत बड़ा योगदान होगा. जियो मैपिंग और जियो सेंसिंग जैसी तकनीक जल संरक्षण के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. इस कार्य में विभिन्न स्टार्टअप भी सहयोग कर रहे हैं."
पीएम मोदी ने कहा, "जल संरक्षण की दिशा में सिर्फ सरकार के प्रयास ही काफी नहीं हैं. जनभागीदारी का एक नया अध्याय समाज के सभी वर्गों के कई हितधारकों के साथ शुरू करने की आवश्यकता है. स्वच्छ भारत अभियान से जब लोग जुड़े तब जनता में भी चेतना और जागरूकता आई. सरकार ने संसाधान जुटाए, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और शौचालय जैसे अनेक कार्य किए. लेकिन अभियान की सफलता तब सुनिश्चित हुई जब जनता ने सोचा कि गंदगी नहीं फैलानी है, जनता में यही सोच जल संरक्षण के लिए भी जगानी होगी."
उन्होंने कहा, "इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे सेक्टर्स हैं, जिसमें पानी की आवश्यकता अधिक होती है. इन दोनों सेक्टर्स को मिल कर जल संरक्षण अभियान चलाना चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए. हमारे देश में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और जब शहरीकरण की रफ़्तार ऐसी हो तो हमें पानी के विषय में पूरी गंभीरता से सोचना चाहिए. उद्योग और कृषि क्षेत्र में पानी की प्रचुर मात्रा में आवश्यकता होती है और इसलिए हमें इन दोनों क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करनी चाहिए. सरकार ने इस बजट में सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है. जल संरक्षण में परिपत्र अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका है."