नई दिल्ली :अफगानिस्तान संकट के बीच एससीओ-सीएसटीओ आउटरीच समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर क्षेत्रीय फोकस और सहयोग की आवश्यकता है.
अफगानिस्तान में घटनाक्रम का पड़ोसी देशों पर प्रभाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद कायम रहता है, तो यह पूरी दुनिया में आतंकवादी और चरमपंथी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन समावेशी नहीं है और बिना बातचीत के हुआ है. उन्होंने कहा कि वित्तीय और व्यापार प्रवाह में रुकावट के कारण अफगान लोगों का आर्थिक संकट बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम से मादक पदार्थ, अवैध हथियारों का अनियंत्रित प्रवाह और मानव तस्करी की घटनाएं बढ़ सकती हैं. पीएम मोदी ने कहा कि हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानवीय सहायता अफगानिस्तान तक निर्बाध रूप से पहुंचे.
शांति व सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों के मूल में बढ़ती कट्टरता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कट्टरता और अतिवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से एक साझा खाका विकसित करने का आह्वान किया और शांति, सुरक्षा व विश्वास की कमी को इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए कहा कि इन समस्याओं के मूल में कट्टरपंथी विचारधारा ही है.
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शुक्रवार को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वार्षिक शिखर बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस कड़ी में अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों का उल्लेख किया और कहा कि संगठन के सदस्य देशों को ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए.
उन्होंने अपने संबोधन में बंदरगाह विहीन मध्य एशिया के देशों और भारत के बीच संपर्कों को बेहतर बनाने का आह्वान किया लेकिन साथ ही कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए संपर्क परियोजनाएं परामर्शी, पारदर्शी और सहभागी हो और इनका क्रियान्वयन करने के लिए सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'एससीओ की 20वीं वर्षगांठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने के लिए भी उपयुक्त अवसर है. मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ती हुई कट्टरता है. अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है.'
उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर एससीओ को पहल करके कार्य करना चाहिए.' प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो यह पता चलेगा कि मध्य एशिया का क्षेत्र शांत और प्रगतिशील संस्कृति तथा मूल्यों का गढ़ रहा है और सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपीं और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं.
उन्होंने कहा कि इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं.
उन्होंने कहा, 'मध्य एशिया की इस ऐतिहासिक धरोहर के आधार पर एससीओ को कट्टरता और अतिवाद से लड़ने का एक साझा खाका विकसित करना चाहिए. भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में इस्लाम से जुड़ी शांत, सहिष्णु समावेशी संस्थाएं व परम्पराएं हैं. एससीओ को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए.'
एससीओ के रैट्स प्रक्रिया तंत्र की तारीफ
उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में एससीओ के रैट्स प्रक्रिया तंत्र की ओर से किए जा रहे काम की वह प्रशंसा करते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि कट्टरपंथ से लड़ाई क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी विश्वास के लिए तो आवश्यक है ही युवा पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य के लिए भी जरूरी है.
उन्होंने कहा, विकसित विश्व के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए हमारे क्षेत्र को उभरती प्रौद्योगिकी में हितधारक बनना होगा. इसके लिए हमें अपने प्रतिभाशाली युवाओं को विज्ञान और विवेकपूर्ण सोच की ओर प्रोत्साहित करना होगा. हम अपने उद्यमियों और स्टार्टअप्स को एक दूसरे से जोड़कर इस तरह की सोच को बढ़ावा दे सकते हैं. इसी सोच से पिछले वर्ष भारत ने पहले एसएसीओ स्टार्ट-अप फोरम और युवा वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन किया.