नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि दुनिया के एक बड़े हिस्से को भारत से समस्याओं के समाधान की उम्मीद है और यह इसलिए संभव हो पा रहा है, क्योंकि पिछले आठ वर्षों में सरकार ने सामान्य भारतीय के विवेक पर भरोसा किया और जनता को विकास में ईमानदार भागीदार के रूप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया. वित्त मंत्रालय और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के 'अनुप्रतीकात्मक सप्ताह' (आइकॉनिक वीक) समारोह का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने प्रधानमंत्री क्रेडिट-लिंक्ड सरकारी योजनाओं के लिए जन समर्थ पोर्टल की शुरुआत की और सिक्कों की नयी श्रृंखला भी जारी की.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले आठ वर्षों में भारत ने जो सुधार किए हैं, उनमें बड़ी प्राथमिकता इस बात को भी दी गई है कि देश के युवाओं को अपना सामर्थ्य दिखाने का पूरा मौका मिले. उन्होंने कहा, हमारे युवा अपनी मनचाही कंपनी आसानी से खोल पाएं, वे अपने उद्यम आसानी से स्थापित कर पाएं, उन्हें आसानी से चला पाएं, इसके लिए 30 हजार से ज्यादा स्वीकृति संबंधी खामियों को कम करके, डेढ़ हजार से ज्यादा कानूनों को समाप्त करके, कंपनीज एक्ट के अनेक प्रावधानों को अवैध मानना बंद करके यह सुनिश्चित किया गया है कि भारत की कंपनियां न सिर्फ आगे बढ़ें, बल्कि नयी ऊंचाई प्राप्त करें.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधार के साथ ही सरकार ने जिस बात पर ध्यान केंद्रित किया है, वह है सरलीकरण. उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा है कि केंद्र और राज्य के अनेक करों के जाल की जगह अब वस्तु एवं सेवा कर यानी (जीएसटी) ने ले ली है. मोदी ने कहा, इस सरलीकरण का नतीजा भी देश देख रहा है. अब हर महीने जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार जाना सामान्य बात हो गई है.
पिछली सरकारों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिशों के तहत प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले मौजूद सरकार-केंद्रित शासन का देश ने बहुत बड़ा खामियाजा उठाया है. उन्होंने दावा किया, आज 21वीं सदी का भारत जन-केंद्रित रुख अपनाकर आगे बढ़ रहा है. मोदी ने कहा कि भारत ने पिछले आठ वर्षों में अलग-अलग आयामों पर काम किया है और इस दौरान जो जनभागीदारी बढ़ी, उससे देश के विकास को गति मिली है तथा गरीब से गरीब नागरिक सशक्त बना है.