नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के जरिए छात्रों से संवाद किया. ये कार्यक्रम आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में संपन्न हुआ. पीएम ने छात्रों को बताया कि किस तरह से परीक्षा के दबाव को कम किया जाए. परीक्षा पे चर्चा का ये पांचवां एडिशन था. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 15 लाख से अधिक छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था.
पीएम मोदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, 'मन में तय कर लीजिए कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है. हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं. इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं. पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं. जब ये विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाले एक्जाम के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता हैं. अपने इन अनुभवों को, जिस प्रक्रिया से आप गुजरे हैं, उसको आप कतई छोटा मत मानिए. दूसरा आपके मन में जो पैनिक होता है, उसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप किसी दबाव में मत रहिए. जितनी सहज दिनचर्या आपकी रहती है, उसी सहज दिनचर्या में आप अपने आने वाले परीक्षा के समय को भी बिताइए. जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं, या reel देखते हैं? दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है. क्लासरूम में भी कई बार आपका शरीर क्लासरूम में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी, लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी, क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा. मन कहीं और होगा तो सुनना ही बंद हो जाता है. जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं. इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है. माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा. जब हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं. हमें इसे एक opportunity मानना चाहिए, न कि समस्या.
पीएम ने आगे कहा, दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे, बल्कि इनरलाइन में होंगे. तनाव खत्म हो जाएगा, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे. अगर इन चीजों को कर लेते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि ये सारे संकट आपके लिए कोई कठिनाई पैदा कर सकते हैं. 2014 से ही हम नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के काम पर लगे थे. हिंदुस्तान के हर कोने में इस काम के लिए इस विषय पर brainstorming सेशन हुआ. देश के अच्छे विद्वान, जो लोग साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े थे, उनके नेतृत्व में इसकी चर्चा हुई. इसमें लाखों लोग शामिल हैं. इसे देश के नागरिकों, विद्यार्थियों, अध्यापकों ने बनाया है और देश के भविष्य के लिए बनाया है. सरकार कुछ भी करे तो कहीं न कहीं से तो विरोध का स्वर उठता ही है. किन्तु मेरे लिए खुशी की बात है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का हिंदुस्तान के हर तबके में पुरजोर स्वागत हुआ है. इसलिए इस काम को करने वाले सभी लोग अभिनंदन के अधिकारी हैं. पहले हमारे यहां खेलकूद एक एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था. लेकिन इस नेशनल एजुकेशनल पॉलिसी में उसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है. हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए.