नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत एक निर्णायक मोड़ पर है और उसके पास कोविड-19 महामारी के बाद उभर रही नई विश्व व्यवस्था को आकार देने की ताकत है. देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया कि वे देश की क्षमता को साकार करने का अवसर न गंवाएं क्योंकि इस अवधि में लिए गए निर्णय और बलिदान अगले 1,000 वर्षों तक देश को प्रभावित करेंगे. उन्होंने कहा, "आज हमारे पास जनसांख्यिकी, लोकतंत्र, विविधता है और इस 'त्रिवेणी' (तीन कारक) में भारत के हर सपने को सच करने की क्षमता है."
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि भारत को रोका नहीं जा सकता. उन्होंने कहा, "द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभरी है, मैं स्पष्ट रूप से एक नई विश्व व्यवस्था देख सकता हूं. कोविड-19 के बाद एक नया भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से आकार ले रहा है. मैं बदलती दुनिया को आकार देने में 140 करोड़ भारतीयों की ताकत देख सकता हूं. आप निर्णायक मोड़ पर हैं." अपने करीब 90 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने पिछले 10 साल में अपनी सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों को रेखांकित किया जिनमें देश की सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण और समाज के गरीब एवं वंचित तबकों का कल्याण शामिल है.
उन्होंने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा सहित देश की विभिन्न घटनाओं का भी जिक्र किया और कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति में सुधार हो रहा है. अपने लगातार 10वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में लोगों ने देश को आगे ले जाने का फैसला किया था. उन्होंने कहा, "भारत अस्थिरता के युग से मुक्त हो गया है. 2014 में हम 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थे. आज 140 करोड़ नागरिकों के प्रयासों से हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं. यह यूं ही नहीं हुआ. भ्रष्टाचार के जिस दानव ने देश को अपने चंगुल में जकड़ रखा था- हमने उसे रोका और एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाई."
'राष्ट्र सर्वप्रथम' को अपनी सरकार की नीतियों का आधार बताते हुए मोदी ने कहा कि लोगों ने 2014 और 2019 में ऐसी सरकार बनाई जिससे उन्हें सुधारों को आगे बढ़ाने की ताकत मिली. मोदी ने कहा कि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा है और उन्हें विश्वास है कि देश ने जो कुछ भी हासिल किया है, वह दुनिया में स्थिरता की गारंटी लेकर आया है. उन्होंने कहा, "अब न तो हमारे दिमाग में और न ही दुनिया के दिमाग में कोई किंतु-परंतु है. एक विश्वास विकसित हुआ है. अब गेंद हमारे पाले में है. हमें इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए."