सागर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के सागर में 100 की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर की आधारशिला रखी, इस दौरान उन्होंने कहा कि "संत रविदास जी की कृपा से मैं तीसरी बार पीएम बनूंगा और फिर से सागर आकर इस मंदिर का लोकार्पण करुंगा." पीएम मोदी ने कहा कि "देश की सांझी संस्कृति को और समृद्ध करने के लिए लिए संत रविदास मंदिर व संग्रहालय की नींव पड़ी है. मैं काशी का सांसद हूं और मेरे लिए ये दोहरी खुशी का अवसर है, आज संत रविदास मंदिर का शिलान्यास कर रहा हूं. दो साल बाद इस मंदिर का लोकार्पण का मौका भी अवश्य मिलेगा. उन पर संत रविदास की बड़ी कृपा है. क्योंकि काशी में भी वह रविदास जी की जन्मस्थली पर जाते हैं और शीश नवाते हैं. अब उनके इस दूसरे स्थली पर आने का सौभाग्य हासिल हुआ है."
समरसता यात्रा का जिक्र किया:पीएम मोदी ने कहा कि संत रविदास स्मारक व संग्रहालय में भव्यता और दिव्यता होगी. समरसता की भावना से ओतप्रोत 52 हजार से ज्यादा गांवों के साथ ही 350 नदियों की मिट्टी इस स्मारक का हिस्सा बनी है. समरसता भोज के लोगों ने एक-एक मुट्ठी अनाज भेजा है. 5 समरसता यात्राओं का समागम हुआ है. ये यात्राएं यहां खत्म नहीं हुई. ये यहां से सामाजिक समरसता की नई शुरुआत है. उन्होंने कहा कि प्रेरणा व प्रगति जब एक साथ जुड़ते हैं, तो नए युग की शुरुआत होती है. मध्यप्रदेश इसी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है.
संत रविदास से लें प्रेरणा:संत रविदास स्मारक और संग्रहालय की नींव रखने के बाद पीएम मोदी ने अगले 25 वर्षों का खाका पेश करते कहा कि यह अमृत काल होगा. इसमें अपनी विरासत को आगे बढ़ाते हुए अपने अतीत से लोग सीख लें. समाज में कुछ बुराइयां भी आई हैं लेकिन भारतीय समाज के संत, महापुरुष और औलिया समाज ने इन बुराइयों को खत्म करने का काम किया है और आगे भी करते रहेंगे. संत रविदास ने भी ऐसे ही कालखंड में जन्म लिया, जब मुगलों का शासन था. मुगलों के अत्याचार से लोगों को बचाने के लिए समाज में जागरुकता लेकर आए. उन्होंने लोगों को लड़ना सिखाया. संत रविदास ने सामाजिक कुरीतीयों से लोगों को जगाकर लड़ना सिखाया. उन्होंने पराधीनता को पाप कहा और इसे स्वीकार करने वालों को झकझोरा.