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दीपावली तक 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त मिलेगा राशन: पीएम मोदी

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Published : Jun 7, 2021, 5:02 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 6:34 PM IST

पीएम मोदी देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस (Coronavirus) पिछले 100 साल की सबसे बड़ी त्रासदी है. उन्होंने कहा कि इस वैश्विक आपदा से निपटने के लिए नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेश से भी दवाओं के आयात में कोई कसर नहीं छोड़ी.

पीएम मोदी संबोधन
पीएम मोदी संबोधन

नई दिल्ली :प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देशवासियों को संबोधित किया. कोरोना महामारी से बचाव के उपायों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि भारत में वैक्सीन नहीं बनी होती तो सोचिए क्या होता? उन्होंने कहा कि विदेश से कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लाने में वर्षों का समय लगता. वैक्सीन हमारा सुरक्षा कवच है.

पीएम ने कहा कि दूसरी वेब से लड़ाई जारी है. बहुत बड़ी पीड़ा से गुजरा है भारत. अपने परिजनों व परिचितों को खोया है. मेरी पूरी संवेदना उनके साथ है. बीते सौ वर्षों में आई यह सबसे बड़ी त्रासदी है. आधुनिक विश्व ने ऐसी त्रासदी कभी नहीं देखी थी. कोविड अस्पताल बनाने से लेकर, आईसीयू बेड बनाने, टेस्टिंग लैब का नेटवर्क तैयार करना, नया हेल्थ ढांचा तैयार किया गया है.

पीएम मोदी का संबोधन.

पीएम ने कहा पिछले साल जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लगाना पड़ा था, तो 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था की थी, इस साल दूसरी वेब के दौरान भी ऐसा ही फैसला लिया गया है. इसे दीपावली तक जारी रखा जाएगा.

लिक्विड ऑक्सीजन का उत्पादन 10 गुना बढ़ा
उन्होंने कहा, 'अप्रैल-मई में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय तरीके से बढ़ गई थी. मेडिकल इतिहास में इतनी जरूरत ऑक्सीजन की कभी नहीं हुई. सरकार के सभी तंत्र इसमें लग गए. रेल से लेकर नौसेना तक इसमें लग गया. लिक्विड ऑक्सीजन का उत्पादन 10 गुना बढ़ाया गया. दुनिया के हर कोने से जो भी मिला, उसे लाने का पूरा प्रयास किया गया.जरूरी दवाओं का प्रोडक्शन बढ़ाया गया. दवाओं को विदेशों से लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई, लेकिन सबसे कारगर हथियार है- प्रोटोकॉल. मास्क लगाकर रहना. वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है.'

80 करोड़ लोगों के मुफ्त राशन की व्यवस्था

एक साल के भीतर दो मेड इन इंडिया वैक्सीन
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 2014 से हमने वैक्सीनेशन (Vaccination) के लिए मिशन इंद्रधनुष पर काम शुरू किया. पांच -छह सालों में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60 फीसदी से 90 फीसदी तक हम पहुंच गए. दायरा भी बढ़ा और स्पीड भी बढ़ा. गरीबों की चिंता कर हमने इस मिशन की शुरुआत की थी. तभी अचानक ही कोरोना वायरस से हम घिर गए. चिंता थी कि भारत इतनी बड़ी आबादी को कैसे बचा पाएगा. नीति स्पष्ट हो, मंशा साफ हो, निरंतर प्रयास हों, तो नतीजे जरूर मिलते हैं. एक साल के भीतर ही भारत ने दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी.

कोरोना टीके की एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए सेवा शुल्क

वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन
उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों से दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नहीं है. 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. विश्वासेन ही सिद्धि. सफलता तब मिलती है, जब आपको स्वयं पर विश्वास होता है. हमारे वैज्ञानिक सफलता हासिल कर लेंगे, हमें पूरा विश्वास था. रिसर्च जारी ही था, तभी हमने लॉजिस्टिक तैयारी शुरू कर दी थी. पिछले साल अप्रैल में कोरोना के कुछ हजार ही केस थे, वैक्सीन टास्क फोर्स (Vaccine Task Force) का गठन कर दिया गया था. सरकार ने हर तरह से इन कंपनियों का समर्थन किया. क्लीनिकल ट्रायल में मदद, जरूरी फंड दिया गया. उनके साथ सरकार कंधे से कंधा मिलाकर चली. मिशन कोविड सुरक्षाचक्र के तहत करोड़ों की मदद की गई.

राज्यों के पास टीकाकरण की जो 25 फीसद जिम्मेदारी थी, वह अब भारत सरकार उठाएगी

विदेशों से दशकों बाद आती थी वैक्सीन
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैक्सीन की डिमांग (Vaccine Demand) की तुलना में उत्पादन बहुत कम है. अगर हमारे पास भारत की अपनी वैक्सीन न होती, तो क्या होता, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है. भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे. वहां पर काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे यहां शुरू भी नहीं होता था. चेचक, पोलियो, हैपिटाइटस, का दशकों तक इंतजार किया था.

एडवांस स्तर पर तीन और वैक्सीन का ट्रायल
पीएम मोदी ने कहा 'आप पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे, तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे. विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था.' तीन और वैक्सीन का ट्रायल एडवांस स्तर पर चल रहा है. दूसरे देशों से वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया (Vaccination Purchase) को तेज किया गया है.

2014 में देशभर में टीकाकरण का कवरेज महज 60 फीसद था

कम समय में वैक्सीन बनाना, मानवता के लिए बड़ी उपलब्धि
उन्होंने कहा कि कुछ विशेषज्ञों ने बच्चों को लेकर चिंता जताई है. इस पर भी वैक्सीन का ट्रायल (Vaccination Trial) जारी है. नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है. नाक में स्प्रे करने का यह तरीका है. इससे भारत के वैक्सीन अभियान में तेजी आ जाएगी. कम समय में वैक्सीन बनाना अपने आप में पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. हां, कुछ सीमाएं जरूर हैं. वैक्सीन बनने के बाद भी वैक्सीनेशन की शुरुआत अधिकतर जगहों पर नहीं हुई. कुछ एडवांस देशों में जरूर शुरू हुई.

दूसरी लहर से पहले फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर को टीके
मोदी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ दिशा निर्देश जारी किए. हमने उसी का अनुपालन किया. केंद्र ने सीएम के साथ बैठकों कर, संसद के साथियों से जो सुझाव मिला, उसके आधार पर ही हम आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि हेल्थ वर्कर, साठ वर्ष से अधिक उम्र के नागरिक, बीमार व्यक्ति को प्राथमिकता दी गई. अगर कोरोना की दूसरी लहर से पहले फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर को सूई न लगी होती, तो क्या होता, इसकी कल्पना कीजिए. इसकी वजह से वे दूसरों की सेवा कर पाए.

देश के 23 करोड़ से ज्यादा लोगों को मिली कोरोना वैक्सीन

16 जनवरी से 30 अप्रैल तक केंद्र की देखरेख में टीकाकरण
बकौल पीएम मोदी, देश में कम होते कोरोने के कम मामलों के बीच बहुत तरीके के सुझाव आए. पूछा जाने लगा कि सबकुछ केंद्र ही क्यों कर रहा है. लॉकडाउन पर वही फैसला करते हैं. वैक्सीन पर वही निर्णय लेते हैं. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने दलील दी कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है. इसलिए उनका अधिकार बनता है. स्थानीय स्तर पर कर्फ्यू, से लेकर लॉकडाउन की मांगों को हमने स्वीकार कर लिया. 16 जनवरी से 30 अप्रैल तक वैक्सीनेशन मुख्यतः केंद्र की देख-रेख में ही चला. देश के नागरिकों ने अनुशासन का पालन भी किया.

एक मई के बाद राज्यों को सौंपा गया टीकाकरण
पीएम मोदी ने कहा, कई राज्यों ने कहा कि वैक्सीन का विकेंद्रीकरण हो. पूछा गया कि उम्र की सीमा केंद्र क्यों तय कर रहा है, पूछा गया कि बुजुर्गों को पहले क्यों. मीडिया ने भी कैंपेन चलाया. अब राज्य सरकार चाहती है प्रयास करना, तो उनके आग्रह को ध्यान में रखते हुए हमने बदलाव किया. राज्यों का उत्साह है, तो 25 फीसदी काम उन्हें ही सौंप दिया जाए. एक मई से राज्यों से यह काम सौंप दिया गया. उसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपने स्तर से प्रयास भी किए. उसके बाद उन्हें कठिनाइयों का पता चला. वैक्सीन की क्या स्थिति है, उन्हें पता चला.

राज्यों के पास जो जिम्मेदारी थी, केंद्र करेगा पूरा
उन्होंने कहा, अब तो कई राज्य सरकारें भी कहने लगे कि पुरानी व्यवस्था ही अच्छी है. सुचारू रूप से उनका वैक्सीनेशन हो, हमने इस पर भी विचार किया. हमने यह निर्णय लिया कि राज्यों के पास जो वैक्सीनेशन की जिम्मेवारी थी, अब केंद्र ही उसे पूरा करेगा.

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टीके पर अधिकतम 150 रुपये ही सर्विस चार्ज
पीएम ने एलान किया कि 21 जून से 18 साल से अधिक के उम्र के सभी नागरिकों को मुफ्त में वैक्सीन दी जाएगी. हम राज्यों को मुफ्त में वैक्सीन (Free Covid Vaccine) देंगे. जो व्यक्ति मुफ्त में नहीं लगवाना चाहते हैं, वे निजी अस्पतालों में जाकर ले सकते हैं. निजी अस्पताल अधिकतम 150 रुपये ही सर्विस चार्ज ले सकते हैं.

राजनीतिक छींटाकशी से बचें
उन्होंने कहा कि हम वैक्सीन प्राप्त करने की गति भी बढ़ाएंगे और वैक्सीनेश देने की रफ्तार भी बढ़ेगी. यह आज भी दुनिया में बहुत तेज है. हमने कोविन प्लेटफॉर्म जो बनाया है, पूरी दुनिया में उसकी सराहना की जा रही है. पीएम मोदी ने कहा, केंद्र राज्यों को पहले ही बता देगा, कि उसे कब और कितनी डोज मिलने वाली है. राजनीतिक छींटाकशी से बचें. वैक्सीन की उपलब्धता बनी रहे. किसी भी गरीब भाई बहन को भूखा सोना न पड़े. इन प्रयासों के बीच भ्रम और अफवाहों से बचें.

वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाने में सहयोग
वैक्सीन पर जब से काम शुरू किया गया, कुछ लोगों ने भ्रम फैलाने की कोशिश की गई. उन्हें हताश करने की कोशिश की गई. शंका और आशंका को बढ़ाया गया. वैक्सीन न लगवाने के लिए भांति-भांति के तर्क दिए गए. जो लोग वैक्सीन को लेकर आशंका पैदा कर रहे हैं, वे भोले-भाले लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उनसे सतर्क रहें. मेरा अनुरोध है कि वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाने में सहयोग करें. अभी कुछ ढिलाई दी जा रही है, पर अब भी उसका पालन करते रहें.

Last Updated : Jun 7, 2021, 6:34 PM IST

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