नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बुधवार को स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के लिए एकीकृत, समावेशी और संस्थागत वैश्विक प्रतिक्रिया का आह्वान किया और कहा कि कोविड महामारी ने दिखाया है कि गहराई से आपस में जुड़ी दुनिया में सीमाएं स्वास्थ्य से जुड़े खतरों को रोक नहीं सकती (PM inaugurated 6th Edition of One Earth One Health) हैं. वन अर्थ, वन हेल्थ- एडवांटेज हेल्थकेयर इंडिया 2023’ को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत की मौजूदा जी-20 अध्यक्षता के दौरान स्वास्थ्य सेवा के मुद्दों पर सामूहिक प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य न केवल हमारे नागरिकों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए स्वास्थ्य सेवा को सुलभ और किफायती बनाना है. संस्कृत के एक प्राचीन श्लोक का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने हर किसी के खुश रहने और बीमारियों से मुक्त होने के समावेशी दृष्टिकोण में विश्वास किया है.उन्होंने कहा कि हजारों साल पहले भी, जब कोई वैश्विक महामारी नहीं थी, तब भी स्वास्थ्य के लिए भारत का दृष्टिकोण सार्वभौमिक ही था.
उन्होंने कहा कि आज जब हम ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ की बात करते हैं तो यह हमारे काम में भी झलकता है. इसके अलावा, हमारी दृष्टि केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है. यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र तक फैला हुआ है. पौधों से लेकर जानवरों तक, मिट्टी से लेकर नदियों तक, जब हमारे आसपास सब कुछ स्वस्थ होगा, तभी हम भी स्वस्थ हो सकते हैं. यह उल्लेख करते हुए कि भारत ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ विषय के साथ अपनी जी-20 अध्यक्षता की यात्रा शुरू की थी, उन्होंने कहा कि वह इस दृष्टिकोण को पूरा करने में लचीली वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के महत्व को समझता है.
उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य न केवल अपने नागरिकों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए स्वास्थ्य सेवा को सुलभ और किफायती बनाना है. उन्होंने कहा कि असमानता को कम करना भारत की प्राथमिकता है और वंचितों की सेवा करना उसके लिए आस्था का विषय है.इस सम्मेलन में पश्चिम एशिया, सार्क, आसियान और अफ्रीकी क्षेत्र के प्रतिनिधियों के अलावा कई देशों के स्वास्थ्य मंत्री भाग ले रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बैठक भारत की जी-20 की अध्यक्षता की थीम से मेल खाती है और कई देशों के सैकड़ों प्रतिभागी इसमें भाग ले रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों, पेशेवर और अकादमिक क्षेत्रों के हितधारकों का होना बहुत अच्छा है. यह वसुधैव कुटुम्बकम के भारतीय दर्शन का प्रतीक है, जिसका अर्थ है कि दुनिया एक परिवार है. मोदी ने कहा, सदी में एक बार आने वाली महामारी ने दुनिया को कई सच्चाइयों की याद दिला दी. इसने हमें दिखाया कि गहराई से जुड़ी दुनिया में, सीमाएं स्वास्थ्य से जुड़े खतरों को रोक नहीं सकती हैं. संकट के समय, दुनिया ने यह भी देखा कि कैसे वैश्विक दक्षिण के देशों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और यहां तक कि संसाधनों तक से वंचित होना पड़ा. उन्होंने कहा कि सच्ची प्रगति जन केंद्रित है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान में चाहे कितनी भी प्रगति की जाए, अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के दौरान कैसे कई देशों ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक विश्वसनीय भागीदार के महत्व को महसूस किया.मोदी ने कहा कि भारत को टीकों और दवाओं के माध्यम से जीवन बचाने के महान मिशन में कई देशों का भागीदार होने पर गर्व है.उन्होंने कहा कि मेड-इन-इंडिया टीके भारत के जीवंत विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र द्वारा विकसित किए गए थे और भारत में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेजा कोविड -19 टीकाकरण अभियान चलाया गया.भारत ने अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए 100 से अधिक देशों को टीकों की 30 करोड़ खुराक भी भेजीं. उन्होंने कहा हम हर उस देश के लिए एक विश्वसनीय मित्र बने रहेंगे जो अपने नागरिकों के लिए अच्छा स्वास्थ्य चाहता है.