नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 'जनौषधि दिवस' समारोह को संबोधित किया. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान NEIGRIHMS, शिलांग में 7500वें जनऔषधि केंद्र को राष्ट्र को समर्पित किया. उन्होंने प्रधानमंत्री भारतीय जनधन योजना के लाभार्थियों के साथ बातचीत भी की.
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा, मनसुख मंडाविया, अनुराग ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, मेघालय, मेघालय और गुजरात के उप-मुख्यमंत्री उपस्थित थे.
प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों, केंद्र संचलक, जन आषाढ़ी मित्र के साथ पांच स्थानों पर के साथ बातचीत की. इनमें शिमला, हिमाचल प्रदेश, भोपाल, मध्य प्रदेश, अहमदाबाद, गुजरात, मारुति नगर, दीव और मंगलोर, कर्नाटक शामिल हैं. लाभार्थियों के साथ बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री ने उनसे स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का अनुरोध किया.
पढ़ें प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में क्या कुछ कहा-
- जनऔषधि योजना को देश के कोने-कोने में चलाने वाले और इसके कुछ लाभार्थियों से आज मुझे बातचीत करने का अवसर मिला, और जो चर्चा हुई है, उससे स्पष्ट है कि ये योजना गरीब और विशेष करके मध्यम वर्गीय परिवारों की बहुत बड़ी साथी बन रही है. ये योजना सेवा और रोजगार दोनों का माध्यम बन रही है. जनऔषधि केंद्रों में सस्ती दवाई के साथ-साथ युवाओं को आय के साधन भी मिल रहे हैं.
- विशेषरूप से हमारी बहनों को, हमारी बेटियों को जब सिर्फ ढाई रुपये में सेनिटरी पैड्स उपलब्ध कराए जाते हैं, तो इससे उनके स्वास्थ्य पर एक सकारात्मक असर पड़ता है. अब तक 11 करोड़ से ज्यादा सेनिटरी नैपकिन्स इन केंद्रों पर बिक चुके हैं. इसी तरह 'जनऔषधि जननी' इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी पोषण और सप्लिमेंट्स भी अब जनऔषधि केंद्रों पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, एक हजार से ज्यादा जनऔषधि केंद्र, तो ऐसे हैं जिन्हें महिलाएं ही चला रही हैं. यानी जनऔषधि योजना बेटियों की आत्मनिर्भरता को भी बल दे रही है.
- इस योजना से पहाड़ी क्षेत्रों में, नॉर्थ ईस्ट में, जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले देशवासियों तक सस्ती दवा देने में भी मदद मिल रही है. आज भी जब 7500वें केंद्र का लोकार्पण किया गया है, तो वो शिलॉन्ग में हुआ है. इससे स्पष्ट है कि नॉर्थ ईस्ट में जनऔषधि केंद्रों का कितना विस्तार हो रहा है.
- 7500 के पड़ाव तक पहुंचना इसलिए भी अहम है, क्योंकि 6 साल पहले तक देश में ऐसे 100 केंद्र भी नहीं थे और हम तेजी से 10 हजार का टारगेट पार करना चाहते हैं. मैं आज राज्य सरकारों से, विभाग के लोगों से एक आग्रह करूंगा. आजादी के 75 साल, हमारे सामने महत्वपूर्ण अवसर हैं. क्या हम ये तय कर सकते हैं कि देश के कम से कम 75 जिले ऐसे होंगे, जहां पर 75 से ज्यादा जनऔषधि केंद्र होंगे और वे आने वाले कुछ ही समय में हम कर देंगे. आप देखिए कितना बड़ा फैलाव बढ़ता जाएगा.
- उसी प्रकार से उसका लाभ लेने वालों की संख्या का भी लक्ष्य तय करना चाहिए. अब एक भी जनऔषधि केंद्र ऐसा न हो कि जिसमें आज जितने लोग आते हैं, उसकी संख्या दो-तीन गुनी न हो. इन दो चीजों को ले करके हमें काम करना चाहिए. ये काम जितना जल्दी होगा, देश के गरीब को उतना ही लाभ होगा. ये जनऔषधि केंद्र हर साल गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लगभग 36 सौ करोड़ रुपये बचा रहे हैं और ये रकम छोटी नहीं है जो पहले महंगी दवाओं में खर्च हो जाते थे. यानी अब इन परिवारों के 35 सौ करोड़ रुपये परिवार के अच्छे कामों के लिए और अधिक उपयोगी होने लगे हैं.
- जनऔषधि योजना का तेजी से प्रसार हो इसके लिए इन केंद्रों का incentive भी ढाई लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है. इसके अलावा दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और पूर्वोत्तर के लोगों के लिए 2 लाख रुपये का incentive अलग से दिया जा रहा है. ये पैसा उन्हें अपना स्टोर बनाने, उसके लिए जरूरी फर्नीचर वगैरह लाने में मदद करता है. इन अवसरों के साथ ही इस योजना से फार्मा सेक्टर में संभावनाओं का एक नया आयाम भी खुला है.
- आज made in India दवाइयों और सर्जिकल्स की मांग बढ़ी है. मांग बढ़ने से production भी बढ़ रहा है. इससे भी बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं. मुझे खुशी है कि अब 75 आयुष दवाएं जिसमें होम्योपेथी होती हैं, आयुर्वेद होता है, उसको भी जनऔषधि केंद्रों में उपलब्ध कराए जाने का फैसला लिया गया है. आयुष दवाएं सस्ते में मिलने से मरीजों का फायदा तो होगा ही, साथ ही इससे आयुर्वेद और आयुष मेडिसिन के क्षेत्र को भी बहुत बड़ा लाभ होगा.
- लंबे समय तक देश की सरकारी सोच में स्वास्थ्य को सिर्फ बीमारी और इलाज का ही विषय माना गया. लेकिन स्वास्थ्य का विषय सिर्फ बीमारी से मुक्ति, इतना नहीं है और इलाज तक भी सीमित नहीं है, बल्कि ये देश के पूरे आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करता है. जिस देश की आबादी, जिस देश के लोग- पुरुष हों, स्त्री हों, शहर के हों, गांव के हों, बुजुर्ग हों, छोटे हों, नौजवान हों, बच्चे हों- वो जितने ज्यादा स्वस्थ होते हैं, उतना वो राष्ट्र भी समर्थ होता है. उनकी ताकत बहुत उपयोगी होती है. देश को आगे बढ़ाने में, ऊर्जा बढ़ाने में काम आती है.
- इसलिए हमने इलाज की सुविधा बढ़ाने के साथ ही उन बातों पर भी जोर दिया जो बीमारी की वजह बनती हैं. जब देश में स्वच्छ भारत अभियान चलाते हैं, जब देश में करोड़ों शौचालयों का निर्माण होता है, जब देश में मुफ्त गैस कनेक्शन देने का अभियान चलता है, जब देश में आयुष्मान भारत योजना घर-घर पहुंच रही है, मिशन इंद्रधनुष हो, पोषण अभियान चला, तो इसके पीछे यही सोच थी. हमने हेल्थ को लेकर टुकड़ों-टुकड़ों में नहीं, बल्कि एक संपूर्णता की सोच के साथ, एक holistic तरीके से काम किया.
- आज दुनिया भारत का लोहा मान रही है. हमारी परंपरागत का traditional medicine का लोहा मानने लगी है. हमारे यहां खाने में जो चीजें कभी बहुत उपयोगी होती थीं जैसे रागी, कोर्रा, कोदा, जवार, बाजरा, ऐसे दर्जनों मोटे अनाजों की हमारे देश में समृद्ध परंपरा है. जब पिछली बार मैं कर्नाटक का मेरा प्रवास था तो हमारे वहां के मुख्यमंत्री येदुरप्पा ने मोटे अनाज का एक बहुत बड़ा शो रखा था, और इतने प्रकार के मोटे अनाज जो छोटे-छोटे किसान पैदा करते हैं, उसकी इतनी पोष्टिकता है, बड़े अच्छे से उसको उन्होंने प्रदर्शित किया था. लेकिन हम जानते हैं इन पौष्टिक अनाजों को देश में उतना प्रोत्साहित नहीं किया गया. एक प्रकार से ये तो गरीबों का है, ये तो जिसके पास पैसे नहीं वो खाता है, ये मानसिकता बन गई थी.
- बीते वर्षों में इलाज में आने वाले हर तरह के भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया है, इलाज को हर गरीब तक पहुंचाया गया है. जरूरी दवाओं को, चाहे हार्ट स्टेंट्स की बात हो, घुटना सर्जरी से जुड़े उपकरणों की बात हो, उसकी कीमतों को कई गुना कम कर दिया गया है. इससे लोगों को सालाना करीब साढ़े 12 हजार करोड़ रुपये की बचत हो रही है.
- आयुष्मान योजना ने देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया है. इसका लाभ अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग ले चुके हैं. अनुमान है कि इससे भी लोगों को करीब 30 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है.
- भारत दुनिया की फार्मेसी है, ये सिद्ध हो चुका हे. दुनिया हमारी Generic दवाएं लेती है, लेकिन हमारे यहां ही उनके प्रति एक प्रकार से उदासीनता रही, प्रोत्साहित नहीं किया गया. अब हमने उस पर बल दिया है. हमने Generic दवाओं पर जितना जोर लगा सकते हैं, लगाया ताकि सामान्य मानवी का पैसा बचना चाहिए और बीमारी भी जानी चाहिए.
- कोरोना काल में दुनिया ने भी भारत की दवाओं की शक्ति को अनुभव किया है. यही स्थिति हमारी वैक्सीन इंडस्ट्री की थी. भारत के पास अनेक बीमारियों की वैक्सीन बनाने की क्षमता थी, लेकिन ज़रूरी प्रोत्साहन की कमी थी. हमने इंडस्ट्री को प्रोत्साहित किया और आज भारत में बने टीके हमारे बच्चों को बचाने के काम आ रहे हैं.
- देश को आज अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है कि हमारे पास मेड इन इंडिया वैक्सीन अपने लिए भी है और दुनिया की मदद करने के लिए भी है.
- इस वर्ष के बजट में स्वास्थ्य के लिए अभूतपूर्व बढ़ोतरी की गई है और स्वास्थ्य के संपूर्ण समाधानों के लिए प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना की घोषणा की गई है. हर जिले में जांच केंद्र, 600 से ज्यादा जिलों में क्रिटिकल केयर अस्पताल जैसे अनेक प्रावधान किए गए हैं.
- हर तीन लोक सभा केंद्रों के बीच एक मेडिकल कॉलेज बनाने पर काम चल रहा है. बीते 6 सालों में करीब 180 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं. 2014 से पहले जहां देश में लगभग 55 हज़ार MBBS सीटें थीं, वहीं 6 साल के दौरान इसमें 30 हज़ार से ज्यादा की वृद्धि की जा चुकी है. इसी तरह PG सीटें भी जो 30 हज़ार हुआ करती थीं, उनमें 24 हज़ार से ज्यादा नई सीटें जोड़ी जा चुकी हैं.
- हमारे शास्त्रों में कहा गया है-
'नात्मार्थम् नापि कामार्थम्, अतभूत दयाम् प्रति'
अर्थात, औषधियों का, चिकित्सा का ये विज्ञान जीव मात्र के प्रति करुणा के लिए है. इसी भाव के साथ, आज सरकार की कोशिश ये है कि मेडिकल साइंस के लाभ से कोई भी वंचित ना रहे. इलाज सस्ता हो, इलाज सुलभ हो, इलाज सर्वजन के लिए हो, इसी सोच के साथ आज नीतियां और कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं. - मेरी आपके स्वास्थ्य लिए हमेशा ये कामना रहेगी, मैं चाहूंगा कि मेरे देश का हर नागरिक, क्योंकि आप मेरे परिवार के सदस्य हैं, आप ही मेरा परिवार हैं. आपकी बीमारी यानी मेरे परिवार की बीमारी है और इसलिए मैं चाहता हूं मेरे देश के सभी नागरिक स्वस्थ रहें. उसके लिए स्वच्छता की जरूरत है वहां स्वच्छता रखें, भोजन में नियमों का पालन करना है- भोजन में नियमों का पालन करें. जहां योग की आवश्यकता है योग करें. थोड़ा-बहुत एक्सरसाइज करें, कोई Fit India Movement से जुड़ें. कुछ न कुछ हम शरीर के लिए करते रहें, जरूर बीमारी से बचेंगे और बीमारी आ गई, तो जनऔषिध हमें बीमारी से लड़ने की ताकत देगी.