नई दिल्ली : देश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ( Mahatama Gandhi National Rural Employment Guarentee), 2005 (मनरेगा) के तहत श्रमिकों की स्थिति के निवारण के लिए तत्काल निर्देश देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर (plea in Supreme court) की गई है. याचिका में केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की है कि श्रमिकों को उनकी लंबित राशि के साथ-साथ उनके वेतन में देरी के लिए मुआवजा दिया जाए. यायिका मेंमनरेगा फंड में 11 हजार करोड़ के नकारात्मक संतुलन को भरने और अधिक धनराशि आवंटित करने की मांग भी की गई है.
एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सीजेआई एनवी रमना (CJI NV Ramana) , न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) और न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Hima kohili) की पीठ के समक्ष आवेदन का उल्लेख किया. एनजीओ स्वराज अभियान (NGO Swaraj Abhiyan) द्वारा एक आवेदन दायर किया गया है, जिसमें केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए एक मैकेनिज्म स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि राज्य सरकारों (State govts) के पास बाद के महीने के लिए कार्यक्रम को लागू करने के लिए पर्याप्त फंड हो. अदालत ने याचिकाकर्ता को केंद्र के समक्ष एक प्रति पेश करने का निर्देश दिया और अदालत के अवकाश से फिर से खुलने के बाद जनवरी में मामले की सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की.
एनजीओ ने अपनी याचिका के माध्यम से अदालत को सूचित किया है कि राज्यों को 9682 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ रहा है और वर्ष के लिए आवंटित धन का 100% समाप्त हो गया है और वर्ष के पांच महीने अभी भी शेष हैं. आवेदन में केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए एक मैकेनिज्म स्थापित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि राज्य सरकारों के पास बाद के महीने के लिए कार्यक्रम को लागू करने के लिए पर्याप्त फंड हो, जिस महीने की मांग पिछले वर्ष में सबसे अधिक थी, उसे आधार माह के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिसके लिए राज्य सरकार को अग्रिम रूप से न्यूनतम धनराशि प्रदान की जानी चाहिए.
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