नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि एक निर्णय का कथित उल्लंघन करते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ दायर अवमानना याचिका को यदि रजिस्ट्री ने क्रमांकित कर दिया है, तो इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ से याचिकाकर्ता अधिवक्ता एम एल शर्मा ने अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया. इस पर पीठ ने शर्मा से कहा, 'यदि यह क्रमांकित है, तो हम इसकी सुनवाई के लिए तारीख तय करेंगे.' शर्मा ने कहा, 'मैंने राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है.'
27 जुलाई को हुई थी नियुक्ति
1984 बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना को 27 जुलाई को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. उनकी नियुक्ति 31 जुलाई को होने वाली उनकी सेवानिवृत्ति से चार दिन पहले हुई थी. राष्ट्रीय राजधानी के पुलिस प्रमुख के तौर पर उनका एक वर्ष का कार्यकाल होगा.
याचिकाकर्ता ने ये दिया तर्क
याचिका के अनुसार, मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति के प्रमुख प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री ने संयुक्त रूप से फैसला किया तथा अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त किया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ है.
शर्मा ने याचिका में कहा कि शीर्ष अदालत के तीन जुलाई, 2018 के फैसले के अनुसार, नियुक्ति की प्रक्रिया रिक्ति से तीन महीने पहले शुरू होनी चाहिए और जिस व्यक्ति को नियुक्त किया जा रहा है उसकी सेवा की तर्कसंगत अवधि शेष होनी चाहिए.
याचिका में अवमानना कार्रवाई के अलावा शीर्ष अदालत से यह घोषणा करने का अनुरोध किया गया है कि अस्थाना की नियुक्ति को 'तीन जुलाई, 2018 के फैसले का विरोधाभासी' बताते हुए अवैध माना जाए. शीर्ष अदालत ने देश में पुलिस सुधारों पर कई निर्देश जारी किए थे और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को किसी भी पुलिस अधिकारी को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त नहीं करने का आदेश दिया था.
न्यायालय ने सभी राज्यों को डीजीपी या पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने वाले संभावित उम्मीदवारों के तौर पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजने का निर्देश दिया था.
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इसमें कहा गया था कि इसके बाद यूपीएससी तीन सबसे उपयुक्त अधिकारियों की एक सूची तैयार करेगा और राज्य उनमें से एक को पुलिस प्रमुख के रूप में नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र होंगे. पीठ ने यह भी कहा था कि प्रयास किया जाना चाहिए कि जिस व्यक्ति को डीजीपी के रूप में चुना और नियुक्त किया गया है, उसकी सेवा की उचित अवधि शेष है.
(पीटीआई-भाषा)