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Rajasthan : कोटा पहुंचे कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा बोले- छात्र अपने कर्म पर ध्यान दें, सनातन धर्म को लेकर कही ये बात - Pandit Pradeep Mishra on sanatan Dharma

राजस्थान के कोटा में 1 से 5 अक्टूबर तक कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा पितृशिव महापुराण कथा कहेंगे. शनिवार को प्रदीप मिश्रा कोटा पहुंचे. यहां उन्होंने कोचिंग छात्रों को अपने कर्म पर ध्यान देने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि सनातन धर्म से पूरा विश्व जुड़ा है.

Kathavachak Pandit Pradeep Mishra
Kathavachak Pandit Pradeep Mishra

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 30, 2023, 7:44 PM IST

कोटा.कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा राजस्थान के कोटा में पितृ पक्ष में पितृशिव महापुराण कथा का वाचन दशहरा मैदान में करेंगे. यह आयोजन 1 से 5 अक्टूबर तक दोपहर 2 से 5 बजे तक होगा. शनिवार को कोटा पहुंचे प्रदीप मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में छात्रों से कहा कि उन्हें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए. अपनी एजुकेशन में अच्छा करना चाहिए. छात्र अपने माता-पिता के चरणांविंद का स्मरण करें. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी लोगों को सनातन पर विश्वास करना चाहिए.

संपूर्ण विश्व सनातन से जुड़ा : पंडित प्रदीप मिश्रा शनिवार को हेलीकॉप्टर के जरिए कोटा पहुंचे. यहां पर पूर्व विधायक संदीप शर्मा सहित गई भाजपा नेताओं ने उनका स्वागत किया. मीडिया से बात करते हुए कोटा में छात्रों के सुसाइड के बढ़ते मामलों को लेकर उन्होंने कहा कि कथा के जरिए वो विद्यार्थियों और नवयुवकों को भी संदेश देंगे. उन्होंने कहा कि माता-पिता आपकी अच्छी एजुकेशन के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि उनका जीवन भी सार्थक हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व सनातन धर्म से जुड़ा है. यही एक लक्ष्य लेकर वह आगे बढ़ रहे हैं. इसके बाद प्रदीप मिश्रा दादाबाड़ी के लिए रवाना हो गए.

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शहर में निकाली गई कलश यात्रा : कोटा शहर में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा को लेकर कलश यात्रा निकली गई. यह तीन बत्ती सर्कल से शुरू हुई, जिसमें हजारों की संख्या में महिलाएं शामिल हुईं. आयोजन के सह संयोजक संजय शर्मा ने बताया कि श्रीनाथपुरम स्टेडियम से हजारों की संख्या में महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली थी. यह कलश यात्रा तीन बत्ती, दादाबाड़ी छोटा चौराहा, बड़ा चौराहा, एसएस डेयरी, सीएडी सर्किल होते हुए दशहरा मैदान की गेट नंबर 5 से विजय श्री रंगमंच तक पहुंची. कलश यात्रा में बड़ी संख्या में घुड़सवार भी शामिल हुए. इसके अलावा भगवान की अलग-अलग झांकियां भी सजाई गई थी.

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