हैदराबाद : कोरोना ने किसी की आंखों का तारा छीन लिया तो किसी के सिर से माता-पिता का साया. किसी से भाई तो किसी से बहन का दुलार लेकिन सबसे अफसोसजनक ये है कि जिंदा रहते इलाज के लिए भटकते रहे तो मरने के बाद एंबुलेंस, श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में भी ठिकाना नहीं मिल रहा.
कहते हैं कि जिंदगी से विदाई के बाद विधि-विधान पूर्वक अंतिम संस्कार सभी धर्मों में हर व्यक्ति का अधिकार माना गया है, लेकिन कोरोना के कहर के चलते संक्रमित लोगों से यह अधिकार भी छिन सा गया है.
राजधानी दिल्ली में लोग अपनों का अंतिम संस्कार करने से भी डरने लगे हैं, शव श्मशान घाट के बाहर रखकर भाग जा रहे हैं. वहीं राजधानी से सटे गाजियाबाद में श्मशान घाट पर ना तो लकड़ियां हैं और ना ही शव का अंतिम संस्कार करवाने वाले पुरोहित की व्यवस्था.
राजस्थान के बाड़मेर में कोरोना संक्रमित की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाने के लिए अस्पताल के कर्मियों ने उसके परिजनों से रुपये मांगे. महाराष्ट्र के बीड जिले में तो इस कदर इंसानियत को शर्मसार किया गया कि एक ही एंबुलेंस में 22 शव कब्रिस्तान ले जाए गए. ये सारी घटनाएं व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही हैं.
महाराष्ट्र : बीड में एक ही एंबुलेंस में रखे 22 शव
अंबाजोगाई (बीड): अंबाजोगाई के स्वामी रामानंद तीर्थ अस्पताल से चौंकाने वाली खबर सामने आई है. अस्पताल से जिन 22 लोगों की कोरोना के कारण मृत्यु हुई, उन्हें एक ही एम्बुलेंस में कब्रिस्तान में ले जाया गया. कोरोना मरीजों के शवों के साथ ऐसे व्यवहार से लोंगों में रोष है.
दिल्ली में श्मशानघाट के बाहर तक जल रही चिताएं
दिल्ली :देश का दिल दिल्ली इन दिनों आजादी के बाद मौत का सबसे बड़ा मंजर देख रही है. पिछले कुछ दिनों से लगातार यहां कोरोना से 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही हैं, जिसके चलते अब श्मशान घाट के बाहर चिता जलाने की नौबत आ गई है.
मृतकों की संख्या बढ़ने के साथ ही श्मशान घाट पर अब जगह की कमी होने लगी है और ऐसे में खुली जगहों पर कोरोना से मृत लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर श्मशान घाट के पार्किंग एरिया में एक साथ सैकड़ों लोगों का अंतिम संस्कार खुले आसमान के नीचे हो रहा है.
विचलित कर देने वाली हैं तस्वीरें
गाजीपुर श्मशान घाट पर 48 शवदाह गृह पहले से ही मौजूद है, लेकिन मृतकों की संख्या बढ़ने के साथ ही यहां कुछ अस्थाई शवदाह गृह का निर्माण पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने कराया है. इसके बावजूद भी श्मशान घाट की पार्किंग एरिया में खुले आसमान के नीचे एक साथ कोरोना से मृत और कोरोना के संदेहास्पद सैकड़ों शवों का एक साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा है. रात 9 बजे भी गाजीपुर श्मशान घाट में सैकड़ों चिता एक साथ जल रही थीं.
शव श्मशान घाट के बाहर रखकर भाग रहे लोग
राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के साथ ही लोगों में खौफ भी बढ़ता जा रहा है. खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोग अपनों का अंतिम संस्कार भी करने से डरने लगे हैं और शव श्मशान घाट के बाहर रखकर भाग जा रहे हैं.
सोमवार रात ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां न्यू सीमापुरी श्मशान घाट पर एक परिवार श्मशान घाट के बाहर शव रखकर भाग गया. मामले की जानकारी शहीद भगत सिंह सेवा दल को हुई तो शहीद भगत सिंह सेवा दल के वालंटियर ने लावारिश शव की जानकारी पुलिस को दी और जरूरी कागजी कार्रवाई के बाद शव का अंतिम संस्कार कराया.
मोर्चरी के बाहर भी घाटों इंतजार
दिल्ली में हालात इतने खराब हैं कि अब शवों को लेने के लिए मोर्चरी के बाहर भी घाटों इतंजार करना पड़ रहा है. स्थिति इतनी विकराल है कि घंटों इंतजार के बाद भी परिजनों को शव देखना नसीब नहीं होता है.
कई लोगों को यह भी नहीं पता लग पा रहा कि मोर्चरी में उनके अपने का शव मौजूद भी है, या नहीं. इसी बीच लगातार मौत होने के कारण उत्तर पूर्वी दिल्ली स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल की व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई है.