पिथौरागढ़ (उत्तराखंड):सीमांत जिला पिथौरागढ़ में पिछले कई दिनों से रुक-रुककर बरसात के चलते कई सड़क मार्ग बंद हैं. मौसम विभाग ने मंगलवार से अगले दो दिन तेज बारिश का अलर्ट जारी है. इसके बाद पिथौरागढ़ डीएम ने जिला और पुलिस प्रशासन को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं. मौसम विभाग के एडवाइजरी के बाद सीमा क्षेत्र धारचूला से चाइना बॉर्डर पर जारी होने वाले इनर लाइन परमिट पर 30 जून तक रोक लगा दी गई है. साथ ही आदि कैलाश यात्रा पर भी रोक लगा दी है.
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट धारचूला दिवेश शाशनी का कहना है कि मौसम विभाग द्वारा दी गई आने वाले दिनों में भारी बारिश की चेतावनी के बाद इनर लाइन परमिट पर 30 जून तक रोक लगा दी है. लोगों को बारिश के दौरान क्षेत्र में गैर-जरूरी यात्रा से बचने के भी निर्देश दिए गए हैं. वहीं, जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि बेवजह पहाड़ों पर यात्रा न करें. गौरतलब है कि पिथौरागढ़ क्षेत्र में पिछले कई दिनों से हो रही बरसात के कारण आधा दर्जन सड़क मार्ग बंद हैं. ऐसे में एक बार फिर से मौसम विभाग की चेतावनी के बाद पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है.
तवाघाट-लिपुलेख सड़क बंद: गौरतलब है कि सीमांत क्षेत्र में भारत और चीन सीमा में प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है. इसे पिथौरागढ़ जिला प्रशासन जारी करता है. संयुक्त मजिस्ट्रेट देवेश शाशनी ने बताया कि भारी बारिश को देखते हुए जिला प्रशासन ने इनर लाइन परमिट जारी नहीं करने के निर्देश जारी किए हैं. बताया जा रहा है कि चीन सीमा को जोड़ने वाली तवाघाट-लिपुलेख सड़क भूस्खलन के चलते 2 दिनों से बंद है. सड़क बंद होने से व्यास वैली सहित कई गांवों और पर्यटकों की दिक्कतें बढ़ गई हैं. इसके अलावा जिला प्रशासन ने आदि कैलाश यात्रा को अग्रिम आदेशों तक रोक दिया है.
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उधर तवाघाट-लिपुलेख सड़क भूस्खलन के कारण मार्ग बंद है. बीआरओ और पीडब्ल्यूडी की टीम सड़क मार्ग खोलने में जुटी हुई है. उम्मीद जताई जा रही है कि बारिश नहीं हुई तो बुधवार तक मार्ग खोल दिया जाएगा. वहीं, इनर लाइन पास नहीं बन पाने के कारण ओम पर्वत के दर्शन करने जा रहे गुजरात, बेंगलुरु, दिल्ली, पंजाब, देहरादून और भीमताल से गए 49 यात्री धारचूला में फंसे हुए हैं.
आदि कैलाश यात्रा: भोलेनाथ शिव के भक्तों के लिए आदि कैलाश यात्रा भी कैलाश मानसरोवर यात्रा के समान ही मानी जाती है. आदि कैलाश यात्रा भारत की सीमा के अंदर ही हो जाती है. इसको छोटा कैलाश भी कहा जाता है. दरअसल, उत्तराखंड के सीमांत पिथौरागढ़ जिले में भारत-तिब्बत बॉर्डर पर आदि कैलाश स्थित है जो भगवान शिव के पांच कैलाश में शामिल है. ग्रंथों-पुराणों में आदि कैलाश को भी कैलाश मानसरोवर के समान पुण्यदायक बताया गया है. पौराणिक कथाओं में आदि कैलाश यात्रा को कैलाश मानसरोवर की प्रतिरूप की तरह वर्णित किया गया है. मान्यता है कि इस स्थान पर शिव परिवार निवास करते हैं.
इस यात्रा का अनुमानित पैदल मार्ग लगभग 105 किलोमीटर का ट्रैक है. ये यात्रा लगभग 12 से 14 दिनों में पूरी होती है. यात्रा का मुख्य आकर्णण ओम आकृति वाला ऊं पर्वत है. आदि कैलाश यात्रा मार्ग नवीढूंगा में ऊं पर्वत स्थित है. यहां पहुंचने के लिए गुंजी से मार्ग तय करना पड़ता है. इसके बाद यात्रा मार्ग पर शिव-शक्ति मंदिर है. मार्ग की तलहटी पर गौरी कुंड के दर्शन होते हैं. आदि कैलाश के पास ही मां पार्वती को समर्पित पार्वती सरोवर स्थित है.
आदि कैलाश समुद्रतल से 5,945 मीटर की ऊंचाई तक स्थित है. ये स्थान दारमा, व्यास और चौदास घाटियों के बीच है. भारत-तिब्बत सीमा पर ये स्थल भारतीय सीमा के अंतर्गत ही आता है, ऐसे में यहां जाने के लिए किसी पासपोर्ट-वीजा की जरूरत नहीं होती लेकिन सीमांत तहसील धारचूला में होने की वजह से आदि कैलाश यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट लेना बेहद जरूरी है. ये परमिट धारचूला तहसील के न्यायधीश के कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं.