वैशाली: बिहार के भागलपुर मेंरेत की तरह पुल ढहनेका मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि वैशाली से भी इसी तरह की खबर सामने आई है. राघोपुर को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली अस्थायी पीपा पुल का एक हिस्सा तेज आंधी की वजह से बह गया है. यह वही हिस्सा है जो घाट के नजदीक का था, जिसके सहारे लोग पीपा पुल पर चढ़ा करते थे. बताया गया कि गंगा नदी पर निर्मित जमीन दारी घाट पीपा पुल तेज आंधी और बारिश में बह गया.
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वैशाली में गंगा में बहा पीपा पुल:इस पुल को निर्धारित समय से दो महीने बाद खोला गया था, लेकिन अक्सर इसपर सुचारू आवागमन नहीं हो पा रहा था. अब पुल के बह जाने से राघोपुर प्रखंड के लोगों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है.
नदी के बीचो बीच फंस गए थे लोग:जब पीपा पुल का एक हिस्सा नदी में बहा उस दौरान बड़ी संख्या में लोग पुल को पार कर रहे थे, जो वहीं नदी में बीचो बीच फंस गए. हालांकि बाद में प्रशासन की ओर से सभी का सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया. लोगों ने बताया कि पीपा पुल का एक भाग जमीन दारी घाट से हटने के कारण बड़ी संख्या में लोग पीपा पुल पर ही फंसे हुए थे, जिन्हें बाद में 9:00 बजे के करीब अपने गंतव्य तक पहुंचाया गया.
"इस बार निर्धारित समय से करीब डेढ़ माह बाद फरवरी में पीपा पुल चालू हुआ था. चालू होने के साथ ही इस पर रुक-रुक कर आवागमन बाधित होता रहा. 6 माह तक सेवा प्रदान करने वाला पीपा पुल इस बार बमुश्किल 5 महीने ही सेवा दे सका."- स्थानीय
5 महीने में ही बह गया पुल "संवेदक ने काफी लेट से पीपा पुल लगाया था. जैसे-जैसे अप्रोच रोड बनाया गया, विभागीय आदेश था कि 15 जून के बाद ही पीपा पुल खोल कर हटा लिया जाएगा. हालांकि गंगा नदी में पानी कम होने के कारण पीपा पुल को नहीं खोला गया था. अभी भी गंगा नदी में पानी कम है. इसमें नाव चलाने में काफी दिक्कत होगी."-स्थानीय
तीन लाख की आबादी प्रभावित: इसके बहने से राघोपुर का जिला मुख्यालय हाजीपुर से संपर्क भंग हो गया है और दियारा के करीब तीन लाख आबादी के समक्ष यातायात की समस्या उत्पन्न हो गई है. अब लोगों के आवागमन का एकमात्र सहारा नाव रह गया है.
नाव बना सहारा:बताया जाता है कि तेज आंधी बारिश के दौरान पीपा पुल बह जाने से एक बार फिर से राघोपुर के लोगों को लगभग 6 महीने के लिए नाव के सहारे यात्रा करनी होगी. इसके साथ ही नाविकों ने अब अपना भाड़ा भी बढ़ा दिया है. पहले जहां प्रति खेत प्रति व्यक्ति ₹10 भाड़ा लगता था. अब वह बढ़कर ₹20 कर दिया गया है. इतना ही नहीं यातायात से एकमात्र साधन नाव होने के कारण इस पर ओवरलोडिंग भी शुरू हो जाएगी. जिससे खतरे की आशंका फिर बढ़ गई है.
''यहां तो परेशानी ही परेशानी है. पुल नहीं रहने से बहुत परेशानी हो रही है. एक घंटा का रास्ता 5 घंटे में जाना पड़ रहा है. पुल था तो बड़ी सुविधा होती थी.'' - राजेश कुमार, यात्री
''पीपा पुल बह जाने के कारण बहुत दिक्कत हो रही है. बहुत परेशानी हो रही है. आने-जाने में डर लगता है.''- देवेंद्र कुमार, यात्री
भागलपुर में भी बह चुका है पुल: इससे पहले बिहार के भागलपुर में भी पुल रेत की तरह गंगा में बह चुका है. 2014 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पुल का शिलान्यास किया था, लेकिन 9 साल में यह पुल बनकर तैयारी तो नहीं हुआ उल्टे भरभराकर गिर गया. इससे पहले पिछले साल 30 अप्रैल को इस निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गिर चुका था. खुद सीएम ने इसके निर्माण कार्य को लेकर सवाल खड़े किए थे.