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Published : May 14, 2023, 8:49 PM IST

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बदरीनाथ धाम के साथ सतोपंथ भी पहुंच रहे तीर्थयात्री, नेचर के साथ ट्रेकिंग का उठा रहे लुत्फ

ग्लेशियरों से भरे रास्तों के बीच साहसिक और रोमांच का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो संतोपंथ ताल का ट्रेक कर सकते हैं. संतोपंथ ताल तक पहुंचने के लिए दुर्गम रास्तों को पार करना पड़ता है, लेकिन रास्तों के मनोरम दृश्य और बर्फ से जमे ताल के अद्भुत नजारों को देख थकान मिट जाती है. इस ताल की धार्मिक मान्यता ये है कि यहां पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश देव आते थे. इसके अलावा कहा जाता है कि स्वर्गारोहिणी जाते वक्त भीम ने प्राण त्यागे थे. ऐसे में इसी ताल को देखने के लिए काफी संख्या में ट्रेकर पहुंच रहे हैं.

Pilgrims Are trekking Satopanth
सतोपंथ ताल की महिमा

सतोपंथ ताल की खूबसूरती.

चमोलीः उत्तराखंड के चमोली जिले में सतोपंथ एक खूबसूरत जगह है. सतोपंथ भारत के प्रथम गांव माणा से करीब 22 किलोमीटर पैदल दूरी पर स्थित है. इनदिनों यहां बर्फ जमी है, लेकिन बावजूद काफी संख्या में ट्रेकर और यात्री बदरीनाथ धाम के दर्शन के बाद सतोपंथ का भी ट्रेक कर रहे हैं.

उत्तराखंड में इन दिनों चारधाम यात्रा चरम पर है. अकेले बदरीनाथ धाम में ही अब तक 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर पुण्य कमा चुके हैं. आध्यात्मिक तीर्थ यात्री बदरीनाथ धाम के साथ सत्य पथ यानी सतोपंथ सरोवर की यात्रा पर भी जाने लगे हैं. जहां पर रास्ते में बडे़-बडे़ हिमखंड के साथ 6 फीट तक बर्फ जमी है. साथ ही ग्लेशियरों पर हिमस्खलन का भी खतरा बना हुआ है, लेकिन कई ट्रेकर सतोपंथ का ट्रेक कर रहे हैं.

वहीं, ट्रेकरों को सतोपंथ ट्रेक पर बदलते मौसम के कारण नीलकंठ पर्वत पर हिमस्खलन का नजारा भी देखने को मिल रहा है. जोशीमठ के पर्यटन कारोबारी दिनेश सिंह एक एनआरआई दल के साथ इस सीजन की पहली सतोपंथ ताल यात्रा को निकले थे. जो बदरीनाथ धाम से 30 किलोमीटर आगे 14 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है.
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उन्होंने बताया कि रूट पर आज कल बर्फबारी के कारण दिक्कतें हो रही है. साथ ही रूट पर पल-पल ऊपरी हिमालयी हिम शिखरों पर हो रही हलचल से नीचे ट्रेक रूट पर एवलॉन्च का भी खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने अपील की है कि खराब मौसम में रिस्क न लें और खुले मौसम में ही सतोपंथ की आध्यात्मिक यात्रा पर अपने कदम बढ़ाएं.

सतोपंथ की ये है महिमा, पवित्र झील में स्नान करते हैं देवताः मान्यता है कि इसी सतोपंथ ट्रेक पर पांच पांडवों ने स्वर्गारोहण यात्रा शुरू की थी. वसुधारा से आगे लक्ष्मी वन, चक्रतीर्थ, सहस्त्र धारा समेत इस सतोपंथ सरोवर तक आते-आते पांडवों के तीन भाई और द्रौपदी की एक एक कर मृत्यु हुई थी. इस तिकोने पवित्र सतोपंथ ताल के पास ही पांडवों के भाई बलशाली भीम ने अपने प्राण त्यागे.

यहां से सिर्फ धर्मराज युधिष्ठर ही एक श्वान के साथ शशरीर स्वर्गारोहिणी मार्ग से स्वर्ग गए थे. माना जाता है कि इस सतोपंथ सरोवर के तीन कोनों पर निर्मल जल में एकादशी के दिन त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश देव रूप में दिव्य स्नान के लिए आते हैं. इसलिए इस सरोवर के जल को बहुत पवित्र माना जाता है. सनातन धर्म में वैदिक पूजाओं में इस जल का इस्तेमाल किया जाता है.

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