नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि 1192 से इस्लामी शासन शुरू हुआ और उसके बाद तक विदेशी शासन जारी रहा. प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने के लिए स्वतंत्रता प्रदान करता है, जैसा कि 15 अगस्त 1947 को यह अस्तित्व में था.
जनहित याचिका मथुरा के धार्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने दायर की है और तर्क दिया कि 1192 में मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर इस्लामी शासन स्थापित किया और विदेशी शासन 15 अगस्त 1947 तक जारी रहा. इसलिए कट ऑफ की तारीख वह तारीख होनी चाहिए जब गोरी द्वारा भारत पर विजय प्राप्त की गई थी. साथ ही 1192 से पहले मौजूद हिंदुओं, जैनियों और सिखों के धार्मिक स्थलों को बहाल किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता का तर्क है कि केंद्र के पास उन अमानवीय बर्बर कृत्यों को वैध बनाने की कोई शक्ति नहीं है. इस्लामी शासन आक्रमण से आया और आक्रमणकारियों ने सैकड़ों पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया. हिंदुओं को इस्लाम की ताकत दिखाने के लिए तीर्थयात्राओं को नष्ट कर दिया गया. सभी को शासक के हुक्म का पालन करना पड़ा. हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, देश के मूल निवासी हैं. वे 1192 से 1947 तक अपने जीवन स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार से वंचित रहे. सवाल यह है कि क्या स्वतंत्रता के बाद भी वे इसी के लिए मजबूर रहेंगे.