भागलपुर: बिहार के भागलपुर के पास अगुवानी पुल गंगा नदी में गिरकर ध्वस्त होने के मामले पर पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है. ये जनहित पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर की ओर से दायर की गयी है. उन्होंने अपनी जनहित याचिका में कहा कि भ्रष्टाचार, घटिया निर्माण सामग्री और निर्माण कंपनी के घटिया कार्य से ये पुल दोबारा टूटा है. ये पुल 1700 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा था.
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उन्होंने इस याचिका में कहा है कि इस मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने या न्यायिक जांच कराया जाये. जो भी दोषी और जिम्मेदार हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. याचिका कर्ता ने अपने जनहित याचिका में ये मांग की है कि इस निर्माण कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर इससे और अन्य जिम्मेदार और दोषी लोगों से इस क्षति की वसूली की जाये.
इससे पहले भी ये पुल टूटा था, लेकिन उसकी विभागीय जांच भी नहीं करायी गयी. इतने कम समय में दोबारा निर्माणधीन पुल का ध्वस्त होना इसमें भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का होना स्पष्ट प्रतीत होता है. बता दें कि अगुवानी सुल्तानगंज पुल रविवार की शाम को गंगा में समा गया. ये पुल बिहार का पहला ब्रिज था जिसे पहला केबल ब्रिज का दर्जा मिलने वाला था. लेकिन इससे पहले भी ये पुल आंधी में गिर गया था.
इस मामले पर जब डिप्टी सीएम तेजस्वी से विधानसभा में सवाल किया गया था तो उन्होंने सदन में जवाब दिया. ये सवाल कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस और जेडीयू के विधायक ने सवाल पूछे थे. खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ये स्वीकार कर रहे हैं कि पुल के स्ट्रक्चर में खामी की बात जांच रिपोर्ट में आई थी. उन लोगों ने तय किया था कि पुल को नए सिरे से तोड़कर काम करेंगे. हालांकि विपक्ष उनको इसी मामले पर घेर रहा है कि जब पता था तो काम क्यों लगाया? यही नहीं विधानसभा के जवाब में इस तथ्य को छिपाया क्यों गया?