नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने जाति व्यवस्था के पुनर्वर्गीकरण के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने मंगलवार को जाति व्यवस्था के पुनर्वर्गीकरण के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने एक वकील की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए याजिका कर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इस तरह की जनहित याचिकाएं बंद होनी चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 का आह्वान करते हुए केंद्र को जाति व्यवस्था के पुन: वर्गीकरण के लिए एक नीति बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है. यह जनहित याचिका अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. हम इसे खारिज करते हैं और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हैं.
याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर भुगतान की रसीद पेश करनी होगी. शीर्ष अदालत वकील सचिन गुप्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जाति व्यवस्था के पुन: वर्गीकरण के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी. इससे पहले एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च 2023 को कहा था कि फैसले के वाद शीर्षक में किसी मामले में शामिल पक्षों की जाति का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.