नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक ताजा याचिका दायर की गई है, जिसमें बीमा कंपनियों को टर्म लोन के लिए ब्याज मुक्त अधिस्थगन अवधि देने और छह महीने की अवधि तक या स्थिति सामान्य होने तक ऋण किस्तों के भुगतान को स्थगित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग गई है.
याचिका में अनुरोध किया गया है कि डिफॉल्ट के मामले में, वित्तीय संस्थान किसी भी संपत्ति के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं करेंगे या छह महीने की अवधि के लिए एनपीए भी घोषित नहीं करेंगे.
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याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने तर्क दिया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर पहली लहर के मुकाबले देश में गंभीर रूप से असर डाल रही है, जिससे देश में दैनिक मजदूरी करने वाले अधिकतर लोग और वकील जैसे पेशेवरों की भी आर्थिक स्थिति डगमगा गई है.
याचिकाकर्ता ने आगे कहा, कोरोना वायरस और लॉकडाउन दोनों ही तबाही मचाने वाले हैं. कोरोना वायरस स्वास्थ्य तो लॉकडाउन कई मायनों में लोगों को प्रभावित कर रहा है. लोग इस वायरस से जूझने के लिए एकजुट हैं और उन्होंने इसके खात्मे के लिए अपने काम-धंधे, खाना-पीना यहां तक कि अपने बच्चों का भविष्य तक दांव पर लगा दिया है, लेकिन इस समय में जरूरत है कि सरकार ऐसे प्रभावी कदम उठाए, जिससे लोगों की जिंदगी फिर से पटरी पर आ सके.